सात बहनों का एक भाई | Raksha Bandhan | Hindi Kahani | Moral Stories | Bedtime Stories | Best Kahani -

  सात बहनों का एक भाई | Raksha Bandhan | Hindi Kahani | Moral Stories | Bedtime Stories | Best Kahani -


सूरज और उसकी साथ बहाने माला मधुपुजा सीमा मेघवर्ष और किरण इस दुनिया में अनाथ हो गए कुछ दिन पहले सुबह के समय उनके माता-पिता जी बस में मजदूरी करके शहर से गांव लोट रही थी उसे बस का एक्सीडेंट हो गया यह खबर जब सभी भाई बहनों को मिले तो रो-रो कर उनका बड़ा हाल था रिश्तेदार भी बच्चों से पल्ला झाड़कर अपने-अपने घर चले गए माला दीदी मुझे भूख लगी है हां मेरे राजा भैया मैं और रोटी लाती हूं अब क्या करूं जो आता था उसकी रोटियां बना दी सबके हिस में आदि आदि रोटी आई अब सूरज को रोटी हां मैं अपने हिस की रोटी सूरज को दे देती हूं माला जैसे ही अपने हिस की

(00:54) रोटी सूरज की थाली में रखना लगती है वह देखते है उसकी छह बहाने पहले अपनी रोटी का थोड़ा थोड़ा हिस्सा सूरज की थाली में रख चुकी है माला दीदी यह देखो मेरे पास कितनी साड़ी रोटियां मुझे मधु दीदी पूजा दीदी सीमा दीदी मेघा दीदी वर्षा दीदी और किरण दीदी सबने अपनी रोटी दे दी माला दी हम सब को इतनी भूख नहीं थी हां दीदी सूरज हमारा छोटा भाई है अगर वो पेट भर कर खाएगा तो हमें लगेगा की हमारा पेट भर गया इसीलिए हमने अपनी रोटी में से थोड़ा-थोड़ा टुकड़ा सूरज को दे दिया दीदी मेरी प्यारी बहनों तुम सब बहुत समझदार हो मां बापू के जान के बाद सूरज बहुत उदास रहने लगा है हमें अपने

(01:38) भाई को हर खुशी देनी है खुद को कितनी भी तकलीफ हो जाए पर हमारा भाई हमेशा मुस्कुराता रहे अब से हम यही कोशिश करेंगे मैंने गांव की जमींदार साहब से बात कर ली है वह हम सबको अपने खेतों पर कम दे रहे हैं अब हम सब मिलकर मजदूरी करेंगे और सूरज को पढ़ने के लिए शहर भेजेंगे फिर सूरज की अच्छी नौकरी ग जाएगी सब कुछ कितना अच्छा हो जाएगा हर साल रक्षाबंधन का त्योहार सभी पहने मिलकर अपने भाई को राखी बांधती उसकी लंबी आयु की कामना करती अरे वह दीदी यह बेड बाल तो बहुत अच्छा है तुम्हें पसंद आया देखो हम सब ने तुम्हारे लिए नया कुर्ता पजामा भी खरीदा है माला दीदी हम सब

(02:19) ने लड्डू बना दिए लड्डू आज तो मजा ही ए जाएगा मैं तो हर दिन रक्षा बंधन बनाऊंगा दीदी आप सब मेरे लिए इतना करती हो बढ़िया-बढ़िया कपड़े खिलौने मिठाई सच में रक्षाबंधन का त्योहार तो मुझे बहुत ही अच्छा लगता है क्या हुआ दीदी मैंने आपको कहा था ना हम सब बहाने आज के दिन नहीं रोएंगे बहुत याद ए रही है याद तो हम सब को आएगी शहर में नौकरी लगती उसने हम सब को बिना बताए ना भाभी ने और सूरज ने हमारे साथ कैसा बर्ट किया था सूरज तूने शादी कर ली शहर में घर बस लिया और हमें बताने की जरूर भी नहीं समझी हम सब तेरे आने की र देख रही थी कितने साल तो

(03:19) तूने शहर में पढ़ाई में लगा दिए मुश्किल से एक बार मिलने के लिए आया ऐसा क्यों किया तूने अरे तुम सब उसे क्यों टांग कर रही हो हो सकता है उसकी कोई मजबूरी होगी जो वो नहीं आया तो क्या हुआ हम सब बहाने उससे मिलने ए गए सूरज मेरे प्यार भैया कल रक्षाबंधन है तो हमने सोचा की हम इस बार अपने हाथों से तुम्हें राखी बंदे इसीलिए हम सब बिना बताए ए गए सुनैना भाभी ये आपके लिए कुछ उपहार ले थे हमने सोचा पहले बार आपसे मिल रहे हैं आप देख कर बताओ कैसे हैं मैं इस तरह के कपड़े नहीं पहनती हूं यह सब तुम जैसी गांव की गवार ही पहनती हैं हम शहर के लोग नहीं पहना और मैं अच्छे से

(03:56) जानती हूं तुम सब जानबूझकर यहां आई हो तुम्हें पता है तुम यह ₹2 ₹2 की राखी बंद कर अपने भाई से अच्छे खेस पैसे और महंगा समाज वसूल कर ले जाऊंगी मैं सब जानती हूं तुम जैसी बहाने बहुत चालक होती हैं तुम सब जानती हो की जी एक बहुत अच्छी नौकरी कर रहा है और लाखों रुपए काम रहा है और हमने ये नया फ्लैट भी खरीदा है कहानी ना कहानी तुम सबके मां में यही चल रहा होगा की जितना पैसा तुमने सूरज पर लगाया है वो वसूलने का समय ए गया है क्यों मैं ठीक का रही हूं ना भाभी आप ज्यादा बोल रहे हो हम सब ने ऐसा कभी नहीं सोचा सूरज हमारा छोटा भाई और हमें जान से प्यार है किरण चुप हो

(04:32) जो भाभी के आगे मत बोलो वो पौधे में तुमसे बड़ी है माला दीदी एक बार आने से पहले बता तो देती हमारे भी कुछ पर्सनल कम होते हैं आप सब के सब ए गई हो अचानक से हमें सुनाना के घर जाना था वहां रक्षाबंधन की पार्टी है मैं आपके साथ बैठकर यहां टाइम तो खराब नहीं कर सकता ना एक कम करो आप सब यह राखी रख दो मैं अपने आप बंद लूंगा सुन ना इन सब कुछ चाय पानी दे दो मेरे कुछ दोस्त ए रहे हैं मैं उनसे मिलने होटल जा रहा हूं सूरज तुम लोगों ने चाय पानी पीना है या जल्दी से बताओ क्योंकि मेरा भी ब्यूटी पार्लर का अपॉइंटमेंट है मुझे वहां जाना है मेरी मॉम

(05:06) के घर रक्षाबंधन की बहुत बड़ी पार्टी है कल मुझे अपने भाई के घर राखी बांधने जाना है उसके लिए मुझे तैयार होना है नहीं नहीं भाभी हम कुछ नहीं लेंगे हम चलते हैं सभी बहाने अपने भाई सूरज को याद करके रो पड़ती हैं तभी जमींदार साहब ए जाते हैं सूरज की पत्नी सुनैना का फोन आया है बात ही कुछ ऐसी थी की मैं खुद ही चला आया नहीं तो तुम्हें बुला लेट लगता है सूरज किसी तकलीफ में है सुनैना बहू घबराई हुई है क्या हमारा भाई तकलीफ में है जमीदार साहब एक बार फोन मिलकर बात करवा दो मेरा तो मां घबरा रहा है हेलो माला दीदी हेलो फोन पर रन लगती है सूरज का एक्सीडेंट हो

(05:53) गया था जिसमें उसके कई छोटे आई थी सूरज को खून की जरूर थी जो उसकी बहाने उसे दे शक्ति थी और अस्पताल में सूरज की हालात देखकर साड़ी बहाने फूट-फूट कर रन लगी सूरज को बच्चा लो माला दीदी उनकी हालात मुझे अच्छी नहीं जा रही घबरौनी सुनैना भाभी हमारे भाई को कुछ नहीं होगा कुछ नहीं होगा हम अपने भाई को कुछ नहीं होने देंगे साड़ी मैंने मिलकर सूरज को अपना खून देती है सूरज को जितना खून चाहिए था उसे अपनी बहनों से मिल जाता है और भाई बहन के रिश्ते की जीत होती है सूरज ठीक हो जाता है और अपनी बहनों से माफी मांगता है मैंने तुम्हारे साथ क्या नहीं किया अपनी

(06:32) बहनों को अकेला छोड़ दिया मुझे भी माफ कर दो मैं भी पैसों के अहंकार में रिश्तो को बुला बैठी थी मैंने सूरज को आप सबसे दूर कर दिया दीदी मुझे माफ कर दो नहीं नहीं तुम दोनों रो मत मेरे प्यार भैया हमारे होते हुए तुम्हें कैसे कुछ हो सकता है मधु पूजा मेघा सीमा वर्षा किरण चलो हम सब मिलकर अपने भाई की कलाई पर राखी बांधते हैं और इस रक्षा सूत्र को बांधकर इसकी नजर उतारने हैं इसकी साड़ी बलाई ले लेते हैं हमारा प्यार भैया छुक-छुपिए हम सब यही कामना करते हैं पूरा परिवार खुशी-खुशी आपस में मिल जाता है

 ना तो क्या हुआ मैंने चीनी थी तो वो मेरी हो

(07:44) गई ना और वैसे भी वह किशन बोलते कैसे खेलने हैं उसे तो यह भी नहीं पता नहीं अज्जू हमेशा याद रखना कोई भी चीज किसी से छन लेने से वो तुम्हारी नहीं हो जाति तू परेशान क्यों होता है मैं तेरी और किशन की दोस्ती करवा दूंगा नहीं रहने दो भैया आप तो मुझे मेरी नई बाल चाहिए इतना कहकर अजय वहां से चला जाता है विजय बड़ा भाई था और अजय को अच्छी और सही बातें सीखना था लेकिन अजय को तो हमेशा अपने मां की करनी थी पिता की देहांत के बाद अचानक विजय पर घर चलने की जिम्मेदारी ए गई जी वजह से अपनी पढ़ाई बीच में छोड़ने पड़ी वह गांव की एक सेठ के यहां कम करने लगा उसने

(08:31) अजय की पढ़ाई रुकने नहीं दी दोनों की मां शांति भी लोगों के घरों में कम करने लगी बड़ी मुश्किल से घर का गुजर चल रहा था लेकिन इस सबसे अजय को कोई मतलब नहीं था उसे तो अपनी जिंदगी अपनी तरह से जी थी मां क्या हो गया क्यों आसमान सर पर उठा रखा है तूने मां मुझे ही तो तुझे नहीं बोल दिलवाई थी विजय ने वह कहां गई अच्छी वाली तभी बीजेपी घर ए जाता है उसके हाथ में एक नई बाल थी वह उसे अजय को देता है वहां से चला जाता है और यह कोई बात नहीं मां अभी छोटा है समझ जाएगा

(09:35) ऐसी वक्त गुजरा गया विजयनी कड़ी मेहनत से अब खुद का एक ढाबा खोल लिया था घर खर्च के साथ साथ वो अजय की पढ़ाई का भी सर खर्च उठा रहा था फिर एक दिन वो मुझे आपसे कुछ बात करनी थी आज बोलो ना भैया मुझे बा करना है शहर में एक बहुत ही अच्छा कॉलेज है मेरे दोस्त के पापा की वहां अच्छी जान पहचान है मेरा एडमिशन आराम से हो जाएगा बस थोड़ा फंड जमा करना होगा अच्छा कितने पैसे लगेंगे यह कोई कर पांच लाख क्या इतने पैसे लेकिन अज्जू भैया मुझे पता है आपके पास पैसे हैं बस आप मुझमें पर खर्च करना नहीं चाहते मैंने इसका सपना है की अपने ढाबे को एक

(10:37) अच्छे होटल में बदलें इसलिए कितने सालों से पाई-पाई जोड़ी है इसने तुझे जो करना है अपने दम पर [संगीत] साड़ी बात कर ले पैसों की चिंता मत कर एक बार तेरी अच्छी नौकरी ग जाए फिर तो सारे सपना पूरे हो ही जान हैं शांति के माना करने के बावजूद विजय अपने जुड़े हुए सारे पैसे अजय के एडमिशन के लिए खर्च कर देता है और आगे भी अजय के सारे खर्च उठाता है अजय को बा के बाद कॉलेज प्लेसमेंट से एक बड़ी कंपनी में अच्छी नौकरी मिल जाति है यह सुनकर विजय बहुत खुश था उसे उम्मीद थी की अब घर के खर्च में अजय भी उसका हाथ बताया अप भैया अब मैं जब करूं या यह सब करूं

(11:38) मेरे पास सांस लेने तक की फुर्सत नहीं है आप वहीं पर देख लो ना और मैं फिलहाल घर नहीं ए पाऊंगा बहुत बीजी हूं मैं यह कहकर अजय फोन कैट देता है साथ ही वह उम्मीद भी तोड़ देता है जो विजय उससे लगाकर बैठा था ऐसे ही वक्त बिताता गया अजय ने कभी विजय और अपनी मां की मदद करने के बड़े में नहीं सोचा उसने शहर में अपने बस की बेटी से शादी कर ली और शादी में मिले फ्लैट में आराम से रहने लगा विजय का भी अब अपना परिवार था पत्नी विवाह और दो बच्चों के साथ वह अपनी मां शांति की भी जिम्मेदारी उठा रहा था फिर एक दिन नहीं है मेरे पास अजू को बुला ला बेटा

(12:21) जाते-जाते एक बार जाते-जाते एक बार उसका चेहरा देखना चाहती विजय अजय को फोन लगता है लेकिन अजय एक बार भी उसका फोन नहीं उठाता हर मां कर विजय खुद उसे लेने उसके घर पहुंच जाता है जरूर थी तभी तो आया हूं मां की हालात ठीक नहीं है वो तुझे मिलन चाहती है तो और निधि जल्दी चलो मेरे साथ इतनी अजय की पत्नी निधि कमरे से बाहर आई है और कहती है अजय मैं तो नहीं चल पाऊंगी तुम्हें तो पता ही है ना मुझे बिना एक के रहा नहीं जाता और वैसे भी नेक्स्ट वीक कंपनी का इवेंट भी तो है इतने इंपॉर्टेंट टाइम में तुम कैसे जा सकते हो हां हां भैया निधि बिल्कुल ठीक का रही है

(13:10) मैं नहीं ए पाऊंगा और जो तेरा दिमाग तो ठीक है तू इतना बड़ा आदमी हो गया की तेरे लिए यह सब मां से भी जरूरी हो गया है बस भैया मां का बहन बनाकर आप मुझे मत सुनाओ और यह ज क्या है मेरा नाम अजय है मेरी यहां क्या रेपुटेशन है आपको क्या पता यहां आपका वह सस्ता ढाबा नहीं है मल्टीनेशनल कंपनी है जिसे मैं संभलता हूं मैं अपने कम को सीरियसली लेट हूं इसलिए आज मैं कहां हूं और आप कहां खुद ही देख लीजिए आपकी लाइफ स्टाइल और मेरी लाइफ स्टाइल में कितना अंतर है यह तो आपको दिखे ही रहा होगा देख रहा है आप सब दिखे रहा है मुझे विजय अपनी आंखों के आंसू पूछते हुए वहां

(13:59) से वापस अपने घर की तरफ लोट जाता है उसके बच्ची खुशी उम्मीद भी अब खत्म हो चुकी थी शांति बीमारी से लड़ते हुए जल्द ही दुनिया को अलविदा का देती है अब बजे और विजय के रास्ते बिल्कुल अलग थे अमीरी के घमंड में अजय वह सब करता गया जो उसे नहीं करना चाहिए था उसने अपने ही ससुर की कंपनी को धोखे से अपने नाम करने की कोशिश की यह धोखा निधि को भी बर्दाश्त नहीं हुआ और वजह को छोड़कर चली गई अजय की ससुर ने उसे पर फ्रॉड का कैसे कर दिया अजय को ग रहा था की उसे कोई नहीं हर सकता लेकिन वह गलत था कोर्ट में वह कैसे हर गया देखिए आपकी क्वालिफिकेशन तो ठीक है लेकिन

(14:52) आपका नाम मार्केट में इतना खराब हो चुका है की हम कोई रिस्क नहीं ले सकते लेकिन सर मैं काबिल हूं मैंने इतनी बड़ी कंपनी को अपने दम पर चलाया है आपकी कंपनी छन लेने से वो आपकी नहीं हो जाति मिस्टर अजय बचपन में अजय को दी थी जो अजय को तब तो समझ नहीं आई लेकिन अब ए गई थी उसे एहसास हो गया था की वह हमेशा से गलत था इतने सालों में पहले बार उसे घर की याद ए रही थी और अपने भाई विजय की थी वह तुरंत अपना समाज लेकर अपने गांव पहुंच लेकिन उसका गांव पहले जैसा नहीं था गांव में पक्की सड़क थी अच्छी मकान थी और खास तोर पर हर जगह एक बड़े होटल के इश्तहार लगे हुए थे

(15:40) उसे होटल के साथ हर जगह विजय की फोटो भी लगी हुई थी अजय यह सब देखकर चौक गया उसने गांव वाले से सब के बड़े में पूछा तो उसे पता चला भैया यह तो हमारे विजय भैया है हमारे गांव की तो किया ही पलट दी विजय भैया ने कई साल पहले ढाबा चलते थे फिर अपनी मेहनत से उसे ढाबे को इतना बढ़िया होटल बना दिया इन्होंने की दूर-दूर से लोग ये आने लगे लोग आए तो गांव के लोगों को भी दूसरे रोजगार मिला और सबके दिल संभल गए और भी शर्मिंदा हो गया वह तुरंत अपने घर पहुंच लेकिन वहां पहुंचकर भी वह हैरान र गया उसका घर अब पहले जैसा नहीं था वह तो एक आलीशान हवेली थी नौकर जाकर घूम रहे थे

(16:35) और तभी उसने सामने से विजय को आते हुए देखा स्वागत है मिस्टर अजय गई क्या सेवा कर सकता हूं आपकी [संगीत] समझ ए गया है की मैं कितना गलत था भैया इतना कहकर अजय रन लगता है विजय उसके पास जाकर उसके कंधे पर हाथ रखते हुए कहता है मुझे खुशी है की मैंने जी अज्जू को भेजो था आज वही वापस आया है मेरे पास शहर के घमंडी अजय को वहीं पर छोड़कर मुझे कल भी तेरी जरूर थी और आज भी तेरी जरूर है मेरे भाई उसने अजय को गले से लगा लिया और इसी के साथ दोनों भाइयों के बीच वह लकीर भी मिट्टी गई थी जो अजय ने अपनी अमीरी के घमंड में आकर खींचे थे


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