शिवजी ने सिला माता पार्वती के लिए लहंगा

 शिवजी ने सिला माता पार्वती के लिए लहंगा


भगवान शिव तपस्या से उठे तभी उन्होंने माता पार्वती को कहीं से आते हुए देखा अरे देवी पार्वती आप कहां से ब्रह्मण करके लौट रही हैं देवी लक्ष्मी ने बुलाया था बहुत दिनों से दोनों मिले नहीं थे तो सोचा आज मिलाऊं आपको पता है विष्णु जी ने देवी लक्ष्मी के लिए बहुत सुंदर लहंगा साड़ी बनाई है खुद अपने हाथों से सिली है

(08:15) मेरा मन है आप भी मेरे लिए एक सुंदर सा लहंगा अपने हाथों से सिलो मुझे भी आपके हाथों का सिला लहंगा पहनना है मां पार्वती की बात सुनकर शिवजी जोर से हंसे देवी पार्वती आपको लगता है कि मैं सिलाई कर पाऊंगा यह सब कार्य करना मेरे बस की बात नहीं है विष्णु जी ने भी तो देवी लक्ष्मी के लिए सिलाई की है आप मेरे लिए इतना नहीं कर सकते आपको मेरे लिए लहंगा सिलना ही होगा बस मैंने कह दिया सो कह दिया मैं भोजन बनाने जा रही हूं गणेश और कार्तिकेय लौटने वाले होंगे और आते से खाने को कुछ मांगेंगे अरे देवी पार्वती यह कैसी जिद है मैं भला एक लहंगा कैसे सिल सकता हूं यह

(08:54) कैसी दुविधा में डाल दिया है तुमने प्रभु एक रास्ता है इस दुविधा से बाहर आने का क्या रास्ता नंदी जल्दी बताओ प्रभु विष्णु जी ने सिलाई कहां से सीखी यह आपको वो बता सकते हैं बस आप भी वही से सीख लेना उसके पश्चात आप सुंदर सा लहंगा सिल सकते हैं माता पार्वती को प्रसन्न करने का अब आपके पास यही एक रास्ता है नहीं तो जहां तक मैं जानता हूं माता पार्वती तब तक आपसे बात नहीं करेंगी जब तक आप उनकी यह इच्छा पूरी नहीं कर देते यह तो तुम सत्य कह रहे हो नंदी यह तो मुझे पता है कैसे-कैसे पापड़ बेलने पड़ते हैं पत्नी को मनाने के लिए चलो मैं विष्णु जी से मिलकर आता हूं शिवजी

(09:31) विष्णु जी से मिलने पहुंचते हैं और उन्हें सारी बात कहते हैं इसके लिए तो आपको यमपुरी जाना होगा क्योंकि मैंने भी सिलाई यमलोक के दर्जी मंगतराम से सीखी थी वो तो मैं एक दिन किसी कार्य वश यमराज जी से मिलने गया था काफी समय से देवी लक्ष्मी मुझसे कोई भेट देने के लिए कह रही थी बस वहां मुझे मंगत राम मिला यमराज जी ने बताया कि मंगत राम यमलोक का बहुत अच्छा दर्जी है और सबके कपड़े वही सिलता है बस मैंने उससे सिलाई सीखी और वहीं मैंने लहंग साड़ी तैयार की बस वो उपहार देवी लक्ष्मी को बहुत पसंद आया उसके पश्चात तो सारी कहानी आपके सामने ही है ठीक है विष्णु देव

(10:08) फिर मैं यमलोक ही जाता हूं विष्णु जी से वार्तालाप करके भगवान शिव यमलोक की ओर चल पड़े कुछ ही देर में शिवजी यमलोक पहुंचे उन्होंने यमराज जी से अपनी बात कही महादेव मंगतराम के पास आजकल बहुत भीड़ है स्वर्ग के देवताओं के साथ-साथ नर्क के भी बहुत से प्राणियों की भीड़ उसके पास लगी हुई है भीड़ पर क्यों वो इसलिए महादेव क्योंकि मंगतराम का यमलोक में समय समाप्त हो चुका है अब उसे धरती लोक पर नया जीवन प्राप्त होने वाला है इस वजह से जो भी उसके ऑर्डर हैं वह पूरे कर रहा है इस समय पूरे यमलोक में मंगतराम के अलावा कोई दूसरा दर्ज भी

(10:41) नहीं है जो मंगतराम की मदद कर सके इसी वजह से मंगतराम बहुत परेशान है अच्छा तो यह बात है चलिए मैं आपको मंगतराम से मिलवा देता हूं यमराज जी शिवजी को मंगतराम के पास लेकर जाते हैं एक सिलाई मशीन पर एक बुजुर्ग दर्जी कपड़े सिलने में व्यस्त था और उसके पास वस्त्र सिलवाने वा की लंबी कतार थी मंगतराम मेरी धोती तो अभी तक सिली ही नहीं है कब तक दोगे कितने दिन का कपड़ा तुम्हें दिया हुआ है मंगतराम मेरी धोती कब तक मिल जाएगी मैं भी चार चक्कर लगा चुका हूं अरे कुबेर जी आप चार चक्कर लगा चुके हो मैं तो रोजाना ही पूछ कर जाता हूं कि मेरे वस्त्र कब तक सलेंग चिंता मत करो मिल

(11:17) जाएंगे अकेला हूं सारे काम एक साथ नहीं कर सकता पहले तुम्हारे साथ राम प्रकाश भी तो सिलाई करता था वो नजर नहीं आ रहा उसका दूसरा जन्म हो गया है चलो अच्छी बात है अब कुछ समय में तुम्हें भी नया जन्म मिल जाएगा तभी यमराज जी और महादेव आ जाते हैं हां बस अब कुछ ही दिन की बात है मंगतराम भी धरती लोक पर नया जन्म प्राप्त करेगा वैसे कुछ समय बाद एक 95 वर्ष के दर्जी यहां आने वाले हैं पर महादेव आपको तो यह कार्य जल्दी करना है मंगतराम यह कार्य तुम ही कर सकते हो मंगतराम स्वयं भगवान शिव जरूरी कार्य हे तो तुम्हारे पास आए हैं मुझसे मिलने अगर सिलाई के लिए कोई वस्त्र

(11:51) देना है तो क्षमा करें प्रभु अभी तो मेरे पास बिल्कुल भी समय नहीं है नए ऑर्डर लेने का मैं पहले इतने सारे ऑर्डर पूरे नहीं कर पा रहा इसीलिए अब नया कोई भी भी काम नहीं लूंगा यही सोच रहा हूं मुझे कुछ सिलवाना नहीं है बल्कि मुझे खुद सिलाई सीखनी है इसीलिए मैं तुम्हारे पास आया हूं मुझे देवी पार्वती के लिए एक लहंगा सिलना है जिसमें तुम मेरी सहायता कर सकते हो मुझे सिलाई सिखा करर आपको माता पार्वती के लिए लहंगा सिलना है ठीक है मैं आपकी मदद करूंगा पर आपको बहुत मेहनत करनी होगी सबसे पहले कपड़े की कटाई करना सीखना होगा उसके पश्चात ही आप सिलाई करना सीख पाएंगे मैं

(12:24) सब कुछ सीख लूंगा बस तुम मुझे सिलाई कला में इतना निपुण कर दो कि मैं एक लहंगा सिल करर तैया र कर दूं और देवी पार्वती प्रसन्न हो जाए हां हां मैं सिखा दूंगा कब से शुरू करना है नेक काम में देरी कैसी अभी से शुरू करते हैं अति उत्तम मंगतराम मेरे वस्त्रों की कोई जल्दी नहीं तुम आराम से सिल देना अब मैं भी चलता हूं चिंता मत कीजिए यमदेव अब मैं आ गया हूं ना अब मंगत राम का सारा काम जल्दी-जल्दी पूरा हो जाएगा महादेव ने सिलाई सीखनी शुरू कर दी यह लीजिए प्रभु यह रहा कपड़ा और यह रही कैची अब जैसे-जैसे मैं आपको बताऊं वैसे-वैसे आप कपड़े को काटिए मंगतराम

(12:59) महादेव को कपड़ा काटना सिखाना शुरू करता है वैसे तो भगवान अपने चमत्कार से पल भर में कुछ भी कर सकते हैं पर उन्होंने उस समय किसी चमत्कार से नहीं बल्कि स्वयं अपने हाथों से अपने द्वारा खुद से सिलाई करने की इच्छा रखी और इस इच्छा को देखते हुए उन्होंने सिलाई सीखनी शुरू की मंगतराम ने शिवजी का पूरा साथ दिया और शिवजी भी मंगत राम की बहुत मदद करते थे शिवजी धीरे-धीरे सिलाई सीखने लगे और अब वह भी जल्दी-जल्दी मंगतराम के सारे ऑर्डर पूरे करने में उसकी मदद करने लगे मंगतराम की धरती पर जन्म लेने के लिए एक दिन शेष रह गया था पर तब तक भगवान शिव माता पार्वती के लिए बहुत

(13:43) सुंदर लहंगा सिलक तैयार कर चुके थे प्रभु आपके साथ काम करके बहुत आनंद आया मुझे खुशी है कि आपने माता पार्वती के लिए लहंगा सिलक तैयार किया मुझे पूरा यकीन है माता पार्वती य लहंगा देखकर बहुत खुश होंगी क्योंकि यह लहंगा आपने स्वयं अपने हाथों से सिला है मंगतराम यह कार्य तुम्हारे प्रयास के कारण ही सफल हो पाया है मैं तो सिलाई सीखने के बदले तुम्हें कुछ दे ही नहीं पाया मांगो तुम्हें क्या उपहार चाहिए प्रभु आपके साथ कुछ दिन बिताने का समय मिल गया आपका आशीर्वाद प्राप्त हो गया मेरे लिए यही सबसे अनमोल उपहार है बस अगले जन्म में भी मुझे आपका

(14:15) आशीर्वाद प्राप्त होता रहे आपकी कृपा मेरे ऊपर बनी रहे मुझे बस यही आशीर्वाद चाहिए तथास्तु मेरी कृपा से तुम्हारा आने वाला यह जन्म बेहद सुखद रहेगा तुम्हारे जीवन में किसी भी प्रकार की कोई कमी नहीं रहेगी मेरा आशीर्वाद सदैव तुम पर बना रहेगा जाओ मंगतराम अपने नए जीवन की शुरुआत करो मंगतराम को शिवजी के आशीर्वाद के साथ नया जीवन प्राप्त हो जाता है उधर जब शिव जी वापस कैलाश लौटे और माता पार्वती को यह बात पता चली कि भगवान शिव इतने दिनों से यमलोक में रहकर सिलाई सीख रहे थे और उन्होंने स्वयं अपने हाथों से उनके लिए लहंगा सिलक तैयार किया है तो माता पार्वती

(14:54) की खुशी का ठिकाना नहीं था वह खुशी से मुस्कुराती हैं और लहंग पहनकर बहुत सुंदर तैयार होती हैं भगवान शिव माता पार्वती को अपने हृदय से लगा लेते हैं और सभी देवी देवता उनके अद्भुत प्रेम को देखकर उन पर फूलों की वर्षा करते हैं


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