तीज पर मां पार्वती बनी मेहंदी वाली | Hariyali Teej | Hindi Kahani | Bhakti Kahani | Bhakti Stories -

 तीज पर मां पार्वती बनी मेहंदी वाली | Hariyali Teej | Hindi Kahani | Bhakti Kahani | Bhakti Stories - 


कानपुर शहर के एक बड़े व्यापारी ज्ञानचंद जी की पत्नी कौशल्या देवी हर साल की तरह इस साल भी तीज के त्यौहार के लिए बहुत सी तैयारियां कर रही थी पांच बेटों और पांच बहुओं का भरा पूरा परिवार था उनका इसीलिए हर त्यौहार की तरह तीज के त्यौहार की भी अलग धूम होती थी अरे रजनी सुधा शीतल मेघा पूनम आओ तुम सब भी अपने लिए साड़ियां पसंद कर लो जी मां जी अभी आए मैं तो यह गुलाबी वाली लूंगी यह मुझे पसंद आ गई है भैया वो बैंगनी रंग की दिखाना मैं फिर यह नारंगी वाली लूंगी इसका काम भी अच्छा है पूनम तू कौन सी पसंद कर रही है मैं यह हरे रंग वाली ले रही हूं

(00:58) हरियाली तीज पर हरी साड़ी हरी चूड़ियां और फीकी मेहंदी रजनी की बात सुनकर सारी जेठा नियां खूब जोर से ठाके लगाकर हंसी पूनम चाहे तुम जितना मर्जी तैयार होने की कोशिश कर लो पर सुहागन के श्रृंगार की असली चमक तो उसके हाथों की मेहदी दर्शाती है पर तुम्हारे हाथों पर तो मेहंदी आज तक कभी रची ही नहीं हम सबके हाथों पर देखो कितनी लाल सुर्क मेहंदी रचती है पता नहीं पूनम तुम्हारे हाथों में मेहंदी क्यों नहीं रचती चारों बहुओं के हाथ में मेहंदी रचती है मेरे भी हाथों में मेहंदी रचती है लाल मेहंदी का रंग अच्छा चढ़ता है पर तुम्हारे हाथ तो

(01:34) हमेशा फीके ही रहते हैं मां जी आपको याद है जब पूनम की शादी हुई थी तो सबने कितनी बातें बनाई थी मौसी जी बुआ जी सब यही तो कह रही थी कि नई बहू के हाथ में तो मेदी रची ही नहीं पता नहीं पूम तुम्हारे हाथों में मेहंदी रचनी तो चाहिए ऐसा तुम में क्या खोट है जो तुम्हारे हाथों में मेहंदी का रंग लाल नहीं होता मुझे तो ऐसा लगता है कि पूनम देवर जी को प्यार नहीं करती तभी तो इसके हाथों पर उनके नाम की गहरी मेहंदी नहीं रचती नहीं नहीं ऐसी कोई बात नहीं है मुझे खुद नहीं पता कि मेरे हाथों पर बस बस अब जो उसमें कमी है उसको हम दूर नहीं कर

(02:05) सकते चलो हमें हरियाली तीज के बहुत से काम है मां जी मेहंदी से याद आया आपने मेहंदी वाली को बोल दिया था नाने के लिए हां अच्छा याद दिलाया उसे फोन भी करना है ला मेरा मोबाइल फोन लेकर आ मैं उसे फोन करती हूं कौशल्या देदी मेहंदी वाली को फोन करती है पर मेहंदी वाली फोन नहीं उठा रही थी क्या हुआ मां जी मेहंदी वाली फोन नहीं उठा रही है बाकी और काम तो करो देख लेंगे मेहंदी का भी या तो बाजार से लगवा आएंगे सब बहुए तीज की दूसरी तैयारी में लग गई पूनम को बहुत घबराहट हो रही थी क्योंकि उसे तो मेहंदी लगाने के नाम से भी डर लगता था इस बार भी वह यही सोच रही थी कि तीज की

(02:42) मेहंदी इस बार भी उसके हाथों में ना सजी तो सब उसका फिर से मजाक उड़ाएंगे पम मां पार्वती से प्रार्थना करती है हे माता पार्वती आप तो जानती हो कि मुझे मेहंदी लगाने का बहुत शौक है पर मेरे हाथों में मेहंदी कभी नहीं रचती मां इस बार मेरी मेहंदी हाथों पर रच जाए मुझ पर कृपा करना पूनम की आंखों में आंसू थे इधर सब दूसरे कामों में लग गई तो मेहंदी वाली का किसी को ध्यान ही नहीं आया तीज का दिन आया सभी बहुत सुंदर-सुंदर साड़ियां और जेवर पहनकर तैयार हो गई पर सबके हाथ बिना मेहंदी के थे क्योंकि बाजार जाकर मेहंदी लगवाने का किसी को समय ही नहीं मिला मां जी अब हम

(03:20) क्या करें सब पूजा करेंगे शाम को तो हमारे हाथों की तरफ ही देखेंगे हम में से तो किसी ने भी इस बार मेहंदी नहीं लगाई और बाजार में तो बहुत भीड़ होने वाली है हम सब मेहंदी कैसे लगाए अरे उस दिन मेहंदी वाली को फोन करने के बाद दोबारा मेरे दिमाग से उतर गया तुम सब में से किसी ने मुझे याद नहीं दिलाया मैं तो अपनी सहेलियों को मेहंदी का सुंदर डिजाइन दिखाती थी हर साल अब इस साल क्या कहूंगी कि मैंने मेहंदी नहीं लगाई पूनम की तो कोई बात नहीं इसका तो सबको पता है कि इसके हाथों में मेहंदी रचती नहीं है पर हम सबके हाथों में तो गहरा लाल रंग रचता है मेहंदी

(03:50) का सब कितनी बातें बनाएंगे कि कौशल्या देवी की बहुओं ने मेहंदी नहीं रचाई अरे अब बातें ही करती रहोगी या कोई सुझाव भी दोगी तभी वहां से एक मेहंदी लगाने वाली गुजरती है जो गली-गली आवाज लगा रही थी मेहंदी लगवा लो मेहंदी तीज की सुंदर सुंदर मेहंदी फूल पत्तियों से सजी हुई सुंदर सुंदर मेहंदी लगवा लो मेहंदी लगवा लो मेहंदी सुंदर सुंदर मेहंदी अरे मां जी गली में कोई मेहंदी लगाने वाली निकल रही है हम उसे बुला ले क्या हां हां बुला लो देर मत करो नहीं तो किसी और के घर में चली जाएगी जल्दी बुला लाओ ठीक है मैं आवाज लगाती हूं रजनी मेहंदी वाली को आवाज लगाती है ओ

(04:28) मेहंदी वाली जरा सुनना तो हमें भी मेहंदी लगवानी है हमारे घर आ जाओ अच्छा किस-किस को लगवानी है अरे मुझे और मेरी सारी बहुओं को मेहंदी लगवानी है तुम्हारी अच्छी कमाई हो जाएगी पैसों की कोई चिंता नहीं है पहले मेहंदी तो लगवा लो तीज का त्यौहार है इतना शुभ दिन है अरे मेहंदी वाली तुम्हारा नाम क्या है तुमने तो बड़ी सुंदर अपने हाथों पर आज मेहंदी लगा रखी है तुमने भी तीज का व्रत रखा है क्या मेरा नाम है गौरी हां मैंने भी तीज का व्रत रखा है मेरे पति के लिए और मैं दी 16 श्रृंगार में सबसे महत्त्वपूर्ण है तो भला आज के दिन कोई भी सुहागन भला बिना

(05:04) मेहंदी के कैसे रहे लाओ मैं सबको एक-एक करके मेहंदी लगा देती हूं देखना मेरी मेहंदी इतनी चमत्कारी है कि सबके हाथों में लगते ही रंग लाल चढ़ जाएगा वो तो बात सही है गौरी मेरे और चारों बहुओं के तो हाथों में मेहंदी रच जाती है पर पता नहीं मेरी सबसे छोटी बहू जो है यह पूनम इसके हाथों में कभी मेहंदी रचती ही नहीं है हमेशा इसके हाथ फीके ही रहते हैं जितनी मर्जी बढ़िया मेहंदी लगवा लो अच्छा पर गौरी मेहंदी वाली से कभी मेहंदी नहीं लगवा कर देखी होगी आज मैं मेहंदी लगाऊंगी और अगर पूनम को अपनी देवी पार्वती पर पूरा भरोसा है तो आज इसकी मेहंदी जरूर रचेगी

(05:41) क्यों पूनम विश्वास है ना हां मुझे अपनी देवी पार्वती पर पूरा विश्वास है तो बस जब अपने भगवान पर विश्वास कर लिया तो सब कुछ उन पर छोड़ दो लाओ सब एक-एक करके अपने हाथ दो कोई नहीं जानता था कि आज अपनी भक्त पूनम के हाथों पर तीज की मेहंदी लगाने के लिए स्वयं माता मा पार्वती धरती पर आई हैं माता पार्वती मेहंदी वाली के रूप में सबको एक-एक करके बहुत सुंदर मेहंदी लगाती हैं पम माता पार्वती का नाम मन ही मन ले रही थी और यह बात माता पार्वती जानती थी फिर तो चमत्कार होना ही था जैसे ही पूनम के हाथों में मेहंदी लगी तुरंत ही मेहंदी का

(06:18) रंग हाथों पर चढ़ने लगा सब जेठानी और सास यह देखकर हैरान रह गई कि जिस पूनम की शादी तक में मेहंदी नहीं रची थी आज उसके हाथों पर मेहंदी रच गई पूनम की सास और जेठा नियों के हाथों में तो हम की तरह मेहंदी का रंग आया पर पूनम के हाथों में तो जो मेहंदी का निखार आया था वह सचमुच बहुत ही सुंदर चमकदार लाल गहरा रंग था पूनम बहुत खुश होती है पूनम की सास और जेठा निया एक दूसरे की मेहंदी देखने लगी तो किसी का ध्यान मेहंदी वाली पर गया ही नहीं तभी माता पार्वती पूनम को दर्शन देती है पूनम उन्हें प्रणाम करती है और उन्हें धन्यवाद कहती है पूनम को आशीर्वाद देकर माता

(06:55) पार्वती अंतर्ध्यान हो जाती है अरे मेहंदी वाली कहां गई मा जी वो तो चली गई आप सब अपनी मेहंदी देख रहे थे ना मुझसे कह कर गई है पूनम मेहंदी वाली ने तो कमाल कर दिया तेरे हाथों पर तो बहुत सुंदर मेहंदी रची है चल अच्छा है अब तेरे हाथ भी मेहंदी से रचे होंगे मां जी यह सब चमत्कार उनका ही किया हुआ है जिन्होंने आज मेरे हाथों पर तीज की मेहंदी लगाई है पूनम की आंखों में खुशी के आंसू आ जाते हैं कहते हैं सच्चे मन से जब हम भगवान से कोई इच्छा करते हैं तो वे पूरी करने अवश्य आते हैं और ऐसा ही पूनम के साथ हुआ पूनम ने सच्ची आस्था के

(07:31) साथ माता पार्वती को याद किया और वे पूनम की मदद करने के लिए आ गई पूनम सबके साथ मिलकर खूब धूमधाम से तीज का त्यौहार मनाती है उस दिन के बाद माता पार्वती के आशीर्वाद से पूनम जब भी कभी मेहदी लगाती तो हमेशा उसकी मेहदी का रंग सुर्ख लाल होता 


भगवान शिव तपस्या से उठे तभी उन्होंने माता पार्वती को कहीं से आते हुए देखा अरे देवी पार्वती आप कहां से ब्रह्मण करके लौट रही हैं देवी लक्ष्मी ने बुलाया था बहुत दिनों से दोनों मिले नहीं थे तो सोचा आज मिलाऊं आपको पता है विष्णु जी ने देवी लक्ष्मी के लिए बहुत सुंदर लहंगा साड़ी बनाई है खुद अपने हाथों से सिली है

(08:15) मेरा मन है आप भी मेरे लिए एक सुंदर सा लहंगा अपने हाथों से सिलो मुझे भी आपके हाथों का सिला लहंगा पहनना है मां पार्वती की बात सुनकर शिवजी जोर से हंसे देवी पार्वती आपको लगता है कि मैं सिलाई कर पाऊंगा यह सब कार्य करना मेरे बस की बात नहीं है विष्णु जी ने भी तो देवी लक्ष्मी के लिए सिलाई की है आप मेरे लिए इतना नहीं कर सकते आपको मेरे लिए लहंगा सिलना ही होगा बस मैंने कह दिया सो कह दिया मैं भोजन बनाने जा रही हूं गणेश और कार्तिकेय लौटने वाले होंगे और आते से खाने को कुछ मांगेंगे अरे देवी पार्वती यह कैसी जिद है मैं भला एक लहंगा कैसे सिल सकता हूं यह

(08:54) कैसी दुविधा में डाल दिया है तुमने प्रभु एक रास्ता है इस दुविधा से बाहर आने का क्या रास्ता नंदी जल्दी बताओ प्रभु विष्णु जी ने सिलाई कहां से सीखी यह आपको वो बता सकते हैं बस आप भी वही से सीख लेना उसके पश्चात आप सुंदर सा लहंगा सिल सकते हैं माता पार्वती को प्रसन्न करने का अब आपके पास यही एक रास्ता है नहीं तो जहां तक मैं जानता हूं माता पार्वती तब तक आपसे बात नहीं करेंगी जब तक आप उनकी यह इच्छा पूरी नहीं कर देते यह तो तुम सत्य कह रहे हो नंदी यह तो मुझे पता है कैसे-कैसे पापड़ बेलने पड़ते हैं पत्नी को मनाने के लिए चलो मैं विष्णु जी से मिलकर आता हूं शिवजी

(09:31) विष्णु जी से मिलने पहुंचते हैं और उन्हें सारी बात कहते हैं इसके लिए तो आपको यमपुरी जाना होगा क्योंकि मैंने भी सिलाई यमलोक के दर्जी मंगतराम से सीखी थी वो तो मैं एक दिन किसी कार्य वश यमराज जी से मिलने गया था काफी समय से देवी लक्ष्मी मुझसे कोई भेट देने के लिए कह रही थी बस वहां मुझे मंगत राम मिला यमराज जी ने बताया कि मंगत राम यमलोक का बहुत अच्छा दर्जी है और सबके कपड़े वही सिलता है बस मैंने उससे सिलाई सीखी और वहीं मैंने लहंग साड़ी तैयार की बस वो उपहार देवी लक्ष्मी को बहुत पसंद आया उसके पश्चात तो सारी कहानी आपके सामने ही है ठीक है विष्णु देव

(10:08) फिर मैं यमलोक ही जाता हूं विष्णु जी से वार्तालाप करके भगवान शिव यमलोक की ओर चल पड़े कुछ ही देर में शिवजी यमलोक पहुंचे उन्होंने यमराज जी से अपनी बात कही महादेव मंगतराम के पास आजकल बहुत भीड़ है स्वर्ग के देवताओं के साथ-साथ नर्क के भी बहुत से प्राणियों की भीड़ उसके पास लगी हुई है भीड़ पर क्यों वो इसलिए महादेव क्योंकि मंगतराम का यमलोक में समय समाप्त हो चुका है अब उसे धरती लोक पर नया जीवन प्राप्त होने वाला है इस वजह से जो भी उसके ऑर्डर हैं वह पूरे कर रहा है इस समय पूरे यमलोक में मंगतराम के अलावा कोई दूसरा दर्ज भी

(10:41) नहीं है जो मंगतराम की मदद कर सके इसी वजह से मंगतराम बहुत परेशान है अच्छा तो यह बात है चलिए मैं आपको मंगतराम से मिलवा देता हूं यमराज जी शिवजी को मंगतराम के पास लेकर जाते हैं एक सिलाई मशीन पर एक बुजुर्ग दर्जी कपड़े सिलने में व्यस्त था और उसके पास वस्त्र सिलवाने वा की लंबी कतार थी मंगतराम मेरी धोती तो अभी तक सिली ही नहीं है कब तक दोगे कितने दिन का कपड़ा तुम्हें दिया हुआ है मंगतराम मेरी धोती कब तक मिल जाएगी मैं भी चार चक्कर लगा चुका हूं अरे कुबेर जी आप चार चक्कर लगा चुके हो मैं तो रोजाना ही पूछ कर जाता हूं कि मेरे वस्त्र कब तक सलेंग चिंता मत करो मिल

(11:17) जाएंगे अकेला हूं सारे काम एक साथ नहीं कर सकता पहले तुम्हारे साथ राम प्रकाश भी तो सिलाई करता था वो नजर नहीं आ रहा उसका दूसरा जन्म हो गया है चलो अच्छी बात है अब कुछ समय में तुम्हें भी नया जन्म मिल जाएगा तभी यमराज जी और महादेव आ जाते हैं हां बस अब कुछ ही दिन की बात है मंगतराम भी धरती लोक पर नया जन्म प्राप्त करेगा वैसे कुछ समय बाद एक 95 वर्ष के दर्जी यहां आने वाले हैं पर महादेव आपको तो यह कार्य जल्दी करना है मंगतराम यह कार्य तुम ही कर सकते हो मंगतराम स्वयं भगवान शिव जरूरी कार्य हे तो तुम्हारे पास आए हैं मुझसे मिलने अगर सिलाई के लिए कोई वस्त्र

(11:51) देना है तो क्षमा करें प्रभु अभी तो मेरे पास बिल्कुल भी समय नहीं है नए ऑर्डर लेने का मैं पहले इतने सारे ऑर्डर पूरे नहीं कर पा रहा इसीलिए अब नया कोई भी भी काम नहीं लूंगा यही सोच रहा हूं मुझे कुछ सिलवाना नहीं है बल्कि मुझे खुद सिलाई सीखनी है इसीलिए मैं तुम्हारे पास आया हूं मुझे देवी पार्वती के लिए एक लहंगा सिलना है जिसमें तुम मेरी सहायता कर सकते हो मुझे सिलाई सिखा करर आपको माता पार्वती के लिए लहंगा सिलना है ठीक है मैं आपकी मदद करूंगा पर आपको बहुत मेहनत करनी होगी सबसे पहले कपड़े की कटाई करना सीखना होगा उसके पश्चात ही आप सिलाई करना सीख पाएंगे मैं

(12:24) सब कुछ सीख लूंगा बस तुम मुझे सिलाई कला में इतना निपुण कर दो कि मैं एक लहंगा सिल करर तैया र कर दूं और देवी पार्वती प्रसन्न हो जाए हां हां मैं सिखा दूंगा कब से शुरू करना है नेक काम में देरी कैसी अभी से शुरू करते हैं अति उत्तम मंगतराम मेरे वस्त्रों की कोई जल्दी नहीं तुम आराम से सिल देना अब मैं भी चलता हूं चिंता मत कीजिए यमदेव अब मैं आ गया हूं ना अब मंगत राम का सारा काम जल्दी-जल्दी पूरा हो जाएगा महादेव ने सिलाई सीखनी शुरू कर दी यह लीजिए प्रभु यह रहा कपड़ा और यह रही कैची अब जैसे-जैसे मैं आपको बताऊं वैसे-वैसे आप कपड़े को काटिए मंगतराम

(12:59) महादेव को कपड़ा काटना सिखाना शुरू करता है वैसे तो भगवान अपने चमत्कार से पल भर में कुछ भी कर सकते हैं पर उन्होंने उस समय किसी चमत्कार से नहीं बल्कि स्वयं अपने हाथों से अपने द्वारा खुद से सिलाई करने की इच्छा रखी और इस इच्छा को देखते हुए उन्होंने सिलाई सीखनी शुरू की मंगतराम ने शिवजी का पूरा साथ दिया और शिवजी भी मंगत राम की बहुत मदद करते थे शिवजी धीरे-धीरे सिलाई सीखने लगे और अब वह भी जल्दी-जल्दी मंगतराम के सारे ऑर्डर पूरे करने में उसकी मदद करने लगे मंगतराम की धरती पर जन्म लेने के लिए एक दिन शेष रह गया था पर तब तक भगवान शिव माता पार्वती के लिए बहुत

(13:43) सुंदर लहंगा सिलक तैयार कर चुके थे प्रभु आपके साथ काम करके बहुत आनंद आया मुझे खुशी है कि आपने माता पार्वती के लिए लहंगा सिलक तैयार किया मुझे पूरा यकीन है माता पार्वती य लहंगा देखकर बहुत खुश होंगी क्योंकि यह लहंगा आपने स्वयं अपने हाथों से सिला है मंगतराम यह कार्य तुम्हारे प्रयास के कारण ही सफल हो पाया है मैं तो सिलाई सीखने के बदले तुम्हें कुछ दे ही नहीं पाया मांगो तुम्हें क्या उपहार चाहिए प्रभु आपके साथ कुछ दिन बिताने का समय मिल गया आपका आशीर्वाद प्राप्त हो गया मेरे लिए यही सबसे अनमोल उपहार है बस अगले जन्म में भी मुझे आपका

(14:15) आशीर्वाद प्राप्त होता रहे आपकी कृपा मेरे ऊपर बनी रहे मुझे बस यही आशीर्वाद चाहिए तथास्तु मेरी कृपा से तुम्हारा आने वाला यह जन्म बेहद सुखद रहेगा तुम्हारे जीवन में किसी भी प्रकार की कोई कमी नहीं रहेगी मेरा आशीर्वाद सदैव तुम पर बना रहेगा जाओ मंगतराम अपने नए जीवन की शुरुआत करो मंगतराम को शिवजी के आशीर्वाद के साथ नया जीवन प्राप्त हो जाता है उधर जब शिव जी वापस कैलाश लौटे और माता पार्वती को यह बात पता चली कि भगवान शिव इतने दिनों से यमलोक में रहकर सिलाई सीख रहे थे और उन्होंने स्वयं अपने हाथों से उनके लिए लहंगा सिलक तैयार किया है तो माता पार्वती

(14:54) की खुशी का ठिकाना नहीं था वह खुशी से मुस्कुराती हैं और लहंग पहनकर बहुत सुंदर तैयार होती हैं भगवान शिव माता पार्वती को अपने हृदय से लगा लेते हैं और सभी देवी देवता उनके अद्भुत प्रेम को देखकर उन पर फूलों की वर्षा करते हैं


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