मां पार्वती भगवान शंकर से पूछती है महादेव मैंने देखा है कि धरती पर जो व्यक्ति पहले से ही गरीब और दुखी है उसे और ज्यादा दुख मिलता है और जो सुख में है आप उसे दुख नहीं देते ऐसा क्यों भगवन.........

 मां पार्वती भगवान शंकर से पूछती है महादेव मैंने देखा है कि धरती पर जो व्यक्ति पहले से ही गरीब और दुखी है उसे और ज्यादा दुख मिलता है और जो सुख में है आप उसे दुख नहीं देते ऐसा क्यों भगवन.........


एक बार मां पार्वती कैलाश पर भ्रमण कर रही थी तभी उनकी नजर पृथ्वी लोक पर [संगीत] पड़ी सेठ जी यह माल गाड़ी में से उतार दिया है यह ले तेरे आज के कमाई के 200 पूरा दिन मेहनत करके सिर्फ यह 200 ई ही कमाई हुई है अब इसमें से 50 दूध के 50 सब्जी के बाकी बचे 100₹ जो पूरे तीन दिन

(08:41) चलाने हैं आ यह हो गए पूरे5 0,000 इन्हें तिजोरी में रख देता हूं नहीं भैया यह बहुत महंगी साड़ी है कोई सस्ती सी दिखा दो हां ये 50 वाली ठीक है भैया यह तीनों साड़ी पैक कर दो यह लो 5000 मां पार्वती गरीब और अमीर दोनों को देख रही थी आखिर जिसे जो चाहिए उसे मिलता नहीं और जिसके पास पहले से हो उसे और मिल जाता है इस प्रश्न का उत्तर तो महादेव ही दे सकते हैं धरती का यह नजारा देखकर मां पार्वती भगवान शंकर के पास जाती है महादेव मैंने देखा है कि धरती पर जो व्यक्ति पहले से ही गरीब और दुखी है उसे और ज्यादा दुख मिलता है और जो सुख में है

(09:30) आप उसे दुख नहीं देते ऐसा क्यों भगवन यह आपकी कौन सी लीला है देवी पार्वती इस बात का उत्तर जानने के लिए आपको हमारे साथ धरती पर चलकर वहां के प्राणियों का हालचाल जानना होगा वहीं इस प्रश्न का उत्तर आपको प्राप्त होगा भगवान शिव के कहे अनुसार कुछ समय बाद पार्वती उनके साथ मृत्युलोक में प्राणियों का हालचाल जानने के लिए चल पड़ी तभी रास्ते में उन्हें एक गरीब पति-पत्नी जाते दिखाई दिए उर्मिला कुछ समझ नहीं आ रहा हमारी गरीबी के दिन कब दूर होंगे वह चंदन ने फिर एक नई जमीन खरीद ली सबका भाग्य एक सा नहीं होता है जी उसके भाग्य में अमीर बनना लिखा है हमारे में नहीं

(10:24) भगवान की इच्छा होगी तो हम भी अमीर बन जाएंगे पता नहीं कौन से पिछले जन्मों के कर्मों की सजा भुगतनी पड़ रही है ना जाने कौन से बुरे पाप किए थे हे महादेव आप इन दोनों पति-पत्नी को कुछ ही पलों में अमीर बना सकते हैं मेरे कहने पर आप इन्हें अमीर बना दीजिए ये बेचारे कितने दुखी हैं देवी पार्वती इन दोनों के भाग्य में अभी अमीर बनना नहीं लिखा है महादेव जब हम इन्हें धन दे देंगे तो इनकी गरीबी दूर हो जाएगी फिर यह भी अमीर और सुखी हो जाएंगे कृपया करके आप इनकी मदद कीजिए प्रभु देवी पार्वती मैं तुम्हारी इच्छा अनुसार इन्हें धन प्रदान

(11:07) कर देता हूं पर उसका मिलना या ना मिलना कर्मों पर निर्भर करता है पार्वती जी के कहने पर भगवान शिव ने सोने की अशर्फी उस रास्ते में डाल दी पोटली से कुछ दूरी पर उर्मिला की नजर गुजरते हुए एक अंधे व्यक्ति पर पड़ी सुनो जी हम तो गरीब इसलिए दुखी हैं पर यह सामने व्यक्ति तो नेत्रहीन है एक बात समझ नहीं आई यह नेत्रहीन लोग कैसे जीवन व्यतीत करते होंगे हां बड़ी मुश्किल होती होगी उर्मिला इन बेचारे नेत्रहीन लोगों को चलो आज हम भी अंधों की तरह चलकर देखते हैं देखें यह कैसे जीवन जीते हैं उर्मिला और सूरज आंखें बंद कर एक दूजे का हाथ थामे चलने लगे सोने

(11:53) की अशर्फियां की पोटली रास्ते में ही पड़ी रह गई और वे दोनों करीब से गुजर गए भगवान शिव बोले देखा देवी पार्वती इनके भाग्य में अभी गरीबी ही लिखी है हम कुछ दिन धरती पर ही रहेंगे यहां मनुष्य रूप में रहकर मैं तुम्हारे मन की सभी शंकाओं को दूर करना चाहता हूं भगवान शिव और देवी पार्वती ने मनुष्य का रूप धारण किया और पति-पत्नी के रूप में एक गांव के पास डेरा जमाया शाम के समय देवी पार्वती भगवान शिव से बोली स्वामी मैं रसोई की तैयारी शुरू करती हूं यहां पृथ्वी लोक में यदि हम रहने आ ही चुके हैं तो हमें भोजन की भी व्यवस्था करनी होगी मैं चूल्हा बनाने की तैयारी

(12:41) करती हूं आप तब तक भोजन बनाने की सामग्री ले आइए मां पार्वती चूल्हा बनाने के लिए बाहर से ईट लेने गई चूल्हा बनाने के लिए मुझे ईटों की जरूरत है यह एक जरजर और टूटा मकान दिखाई दे रहा है इसकी ईट मेरे काम आ जाएंगी यही ले लेती हूं चूल्हा तो तैयार कर लिया महादेव आते ही होंगे अरे आप आ गए यह देखिए मैंने चूल्हा तैयार कर लिया पर आप खाली हाथ क्यों लौट आए स्वामी भोजन कैसे बनेगा देवी पार्वती अब सामग्री की कोई आवश्यकता नहीं है क्योंकि जिस प्रश्न का उत्तर ढूंढने के लिए आप आई थी वो आपको स्वयं मिल गया मैं कुछ समझी नहीं स्वामी मेरे प्रश्न का उ

(13:29) मेरे समक्ष ही है हां देवी पार्वती आप यही जानना चाहती है ना कि इस पृथ्वी पर क्यों गरीब लोग ज्यादा परेशान होते रहते हैं अच्छा यह बताइए आप इस चूल्हे को बनाने के लिए टे कहां से लेकर आई हो प्रभु इस गांव में बहुत से ऐसे घर भी हैं जिनका रख रखाव सही ढंग से नहीं हो रहा है उन पुराने घरों की जरजर हो चुकी दीवारों में से मैं ईटी निकाल कर ले ले आई इसका मतलब जो घर पहले से खराब थे आपने उन्हें और खराब कर दिया जबकि आप मजबूत घरों की दीवारों से भी तो ईट ला सकती थी प्रभु जो घर अच्छे और सुंदर दिख रहे थे उस घर के लोगों ने अपने घरों

(14:18) का रखरखाव बहुत अच्छी तरह किया है ऐसे में उन सुंदर घरों को बिगाड़ना मुझे उचित नहीं लगा देवी पार्वती कुछ दिन पहले पूछे आपके प्रश्न का उत्तर भी यही है जिन लोगों ने अपने जीवन को अच्छे कर्मों से सुंदर बना रखा है उन्हें दुख कैसे हो सकता है इस संसार में हर मनुष्य अपने कर्मों का ही फल पाता है सबके पास सब कुछ नहीं होता मनुष्य के पिछले जन्मों का कर्म उसे इस जन्म में भुगतना ही पड़ता है और यदि वो अपने इस जन्म और आने वाले अन्य जन्मों को सुखी बनाना चाहता है तो हमें सदैव ही पुण्य कार्य करते रहना चाहिए ताकि हमारे कर्म उसमें जुड़ते रहे आपको ज्ञात है वो मार्ग

(15:18) में उस दिन एक नेत्रहीन व्यक्ति हां स्वामी मुझे ज्ञात है वो देखिए देवी पार्वती उसके पास धन दौलत ऐशो आराम की कोई कमी नहीं है परंतु उसकी आंखों का इलाज नामुमकिन है यह उसके पिछले जन्म के कर्मों से जुड़ा है उसने पिछले जन्म में जानबूझकर किसी निर्दोष की आंखों की रोशनी छीन ली थी इसलिए यह इस जन्म में नेत्रहीन हो गया पर इसके कुछ पुण्य कार्यों की वजह से यह अमीर बना और वह गरीब पति पत्नी स्वामी देवी वह दोनों पिछले जन्म में एक कंजूस अमीर सेठ सेठानी थे जो कभी भी कोई दान पुण्य नहीं करते थे इसलिए इस जन्म में उन्हें गरीबी और दुख मिला पर इन दोनों के अच्छे कर्म

(16:22) इनका आगे का जीवन सुखी बना सकते हैं इस पृथ्वी पर कोई मनुष्य पूरी तरह से सुखी नहीं है देवी हर मनुष्य के पास कोई ना कोई दुख और समस्या है मुझे उत्तर मिल गया है स्वामी इस पृथ्वी पर सुख पूर्वक जीवन यापन करने के लिए मनुष्य को अपने द्वारा अच्छे कर्म करने चाहिए ताकि उसे उसके पिछले बुरे कर्मों का फल ना भुगतना पड़े और फिर अपने प्रश्नों का उत्तर पाकर देवी पार्वती भगवान शंकर के साथ में अपने रूप में आकर कैलाश लौट गई

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