कृष्ण और सुदामा का फ्रेंडशिप डे | Krishna Sudama | Hindi Kahani | Bhakti Kahani | Bhakti Stories -

 कृष्ण और सुदामा का फ्रेंडशिप डे | Krishna Sudama | Hindi Kahani | Bhakti Kahani | Bhakti Stories - 


भगवान श्री कृष्ण अपने धाम में विश्राम कर रहे थे तभी सुदामा उनके पास आए और उनके हाथ पर एक बहुत सुंदर मोतियों से सजा हुआ रेशम का धागा बांधा दोस्ती के दिन की बहुत-बहुत बधाई हो कान्हा तुम्हें भी मित्रता दिवस की बहुत-बहुत बधाई हो मेरे प्यारे मित्र कान्हा चलो ना आज मित्रता दिवस पर हम लोग धरती लोक पर घूम कर आए धरती लोक पर वैसे आज के दिन तो मैं तुम्हें भी मना नहीं कर सकता क्योंकि आज दोस्ती का दिन है ठीक है चलो काफी दिनों से हम दोनों दोस्त साथ में कहीं घूमने नहीं गए आज तो बहुत मजा आने वाला है दोनों दोस्त मिलकर खूब मजे

(00:55) करेंगे फ्रेंडशिप डे का दिन था धरती लोक पर सभी फ्रेंडशिप डे को सेलिब्रेट कर रहे थे भगवान श्री कृष्ण और उनके परम मित्र सुदामा धरती लोक पर सबको फ्रेंडशिप डे मनाते हुए देख रहे थे श्री कृष्ण और सुदामा ने दो साधारण युवाओं का रूप धारण कर लिया वहां पर सभी बच्चे एक दूसरे को फ्रेंडशिप बैंड बांध रहे थे कुछ बच्चे कृष्ण जी और सुदामा जी को भी बैंड बांधने लगे हैप्पी फ्रेंडशिप डे हैप्पी फ्रेंडशिप डे भैया मैंने तो इस पिंकी को गुड़िया भी गिफ्ट की है पिंकी मेरी बेस्ट फ्रेंड है मैंने भी तो तुझे यह चॉकलेट दी है अद्भुत अति सुंदर सुदामा धरती लोग पर

(01:38) आज भी दोस्ती का कितना महत्व है यह देखकर बहुत प्रसन्नता हो रही है चलो थोड़ा और आगे चलते हैं और दोस्ती के नए-नए रंग देखते हैं कृष्ण जी और सुदामा जी थोड़ा आगे बढ़े तो उन्होंने देखा एक दुकान से एक लड़के ने एक फ्रेंडशिप बैंड खरीदा और अपनी जेब में रख लिया तभी उसकी बहन उससे बात करने लगी अजय भैया मैंने तो फ्रेंड बैंड अपनी सहेलियों के लिए लिए हैं तुम हर साल ये फ्रेंडशिप बैंड खरीदते हो बांधते तो किसी को भी नहीं हो क्या करोगे इतने सारे फ्रेंडशिप बैंड्स का मैं हर साल फ्रेंडशिप बैंड अपने बचपन के जिगरी दोस्त मोहित के लिए खरीदता हूं क्योंकि एक वही तो था मेरा

(02:15) पक्का और सच्चा दोस्त दोनों भाई बहन एक पेड़ के नीचे बैठ जाते हैं श्री कृष्णा और सुदामा जी उनकी बातों को सुन रहे थे भैया ये तो बहुत पुरानी बात हो गई आप जानते हो कि आपका और मोहित भैया का मिलना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन है वह तो अब आपको पहचानेंगे भी नहीं वह तो बचपन की बात थी तब आप दोनों एक स्कूल में थे पर उसके बाद तो मोहित भैया बड़े स्कूल में पढ़ने चले गए मैं जानता हूं कोमल मेरे और मोहित में जमीन आसमान का फर्क है वह एक करोड़पति खानदान का बेटा है और हम लोग बहुत गरीब हैं एक अमीर और एक गरीब कभी दोस्त नहीं बन सकते भैया मेरी

(02:54) सहेलियां मेरा इंतजार कर रही होंगी आप घर चले जाना मैं थोड़ी देर में आ जाऊंगी हां हां मैं मैं थोड़ी देर यहीं बैठा हूं अजय की बहन कोमल अपनी सहेलियों के पास चली जाती है तभी श्री कृष्ण जी और सुदामा जी अजय के पास आते हैं बुरा ना मानो तो एक बात कहे हमने तुम्हारी सारी बातें सुन ली थी हम दोनों आज मित्रता दिवस मनाने के लिए निकले थे पर तुम पर तुम्हारी बातें सुनकर हम यहीं रुक गए हमने सोचा कि तुम्हारे मन में जो अपने मित्र के लिए शंका है उसे दूर करने में हम तुम्हारी मदद कर सकते हैं मैं कुछ समझा नहीं आप दोनों क्या कहना चाहते

(03:28) हैं हमारा तात्पर्य यह है कि सच्ची मित्रता कभी भी ऊंच नीच अमीर गरीबी नहीं देखती मित्रता में किसी भी प्रकार के स्वार्थ का स्थान नहीं होता क्या पता तुम्हारा मित्र भी तुम्हारी तरह आज के दिन तुम्हें याद कर रहा हो तुम बिना सच जाने कैसे निष्कर्ष पर आ सकते हो आप ये कैसे कह सकते हैं कि मोहित आज के दिन मुझे याद कर रहा है मुझे और उससे मिले तो बहुत साल बीत चुके हैं अब तक तो वो मेरा नाम भी भूल चुका होगा यह तो मोहित को देखने के पश्चात ही पता चलेगा कि सच क्या है पर मैं मोहित से मिलने नहीं जा सकता वह बहुत बड़े बंगले में रहता है मुझे तो बंगले के चौकीदार

(03:58) बंगले के सामने भी नहीं खड़ा होने देंगे अपने दोस्त से मिलना तो दूर की बात है ऐसा नहीं है तुम्हें एक बार अपने दोस्त के पास जरूर जाना चाहिए वो नहीं जानता कि तुम कहां रहते हो पर तुम तो जानते हो कि वह कहां रहता है हां तुम्हें एक बार जरूर अपने मित्र के पास जाना चाहिए और आज तो मित्रता दिवस का बहुत ही शुभ दिन है पर आप दोनों मुझे जानते भी नहीं हो फिर आप मुझे यह सब क्यों कह रहे हो क्या आप मोहित के कोई रिश्तेदार हो जिन्हें मैं नहीं जानता ऐसा समझ लो कि हम तुम्हारे शुभ चिंतक हैं अब देर ना करो जाओ अपने मित्र से जाकर अभी मिलो और तुम तु दोनों जब एक दूसरे से मिल

(04:31) लोगे तो उसके पश्चात उसी नदी के किनारे हमें मिलना जहां पर तुम और मोहित बचपन में कंकड़ फेंककर निशाना लगाते थे मैं आपको वही मिलूंगा आपने मुझे हिम्मत दी है मैं अभी अपने दोस्त से मिलने जाता हूं अजय को क्या पता था कि साक्षात भगवान उसे प्रेरणा दे रहे हैं मोहित का बंगला अजय के घर से काफी दूर था अजय फिर भी हिम्मत नहीं हारा वो जैसे तैसे करके अपने दोस्त मोहित के बंगले के बाहर पहुंच गया पर बाहर खड़े चौकीदार ने उसे रोक दिया ए लड़के कहां अंदर भागा जा रहा है यहीं रुक किससे मिलना है मुझे मुझे वो मैं अपने दोस्त मोहित से मिलना

(05:06) है मोहित साहब तुम्हारे दोस्त हैं अरे भाई कैसा मजाक है वो कहां महलों के राजा और तुम कहां झोपड़ी में रहने वाले मैं चला जाऊंगा यहां से बस एक बार मोहित को यह कह दो कि उसके बचपन का दोस्त अजय उससे मिलने आया है अरे रमेश जाकर एक बार साप को बोल दे हो सकता है उनसे थोड़ी बहुत भीख मांगने आया होगा बेचारा बहुत गरीब दिखाई देता है और मोहित साहब तो बहुत अच्छे स्वभाव के हैं वो अपने दरवाजे से किसी को भी खाली हाथ नहीं जाने देता ठीक है तू यहां पर पहरा दे मैं अंदर बोलकर आता हूं चौकीदार रमेश अंदर जाता है तो एक सूट बूट में लंबा चौड़ा आदमी तैयार होकर

(05:38) खड़ा था वही मोहित था क्या बात है रमेश कुछ काम था मेरी क्लाइंट के साथ आज अर्जेंट मीटिंग है मेरी गाड़ी तैयार है ना हां साहब वो तैयार तो है पर आपसे कोई मिलने आया है कौन मिलने आया है गेस्ट रूम में बिठा दो मैं वही मिल लेता हूं साहब वो गेस्ट रूम में बैठने के लायक नहीं है उसका नाम अजय है वो पागल आपको अपना बचपन का दोस्त बता रहा है मैंने तो उसे चौकीदार के मुंह से अजय का नाम सुनकर मोहित चौक गया उसकी आंखों में खुशी के आंसू आ गए क्या कहा अजय मेरे बचपन का दोस्त वो मुझसे मिलने आया है कहां है वो कहां खड़ा है तुमने उसे अंदर क्यों नहीं

(06:12) आने दिया मैं खुद अपने दोस्त को लेकर आऊंगा अजय मेरा प्यारा दोस्त मोहित बेटा कहां जा रहा है मां अजय मिल गया अजय मुझे मिलने आया है मेरा बचपन का पक्का दोस्त मुझसे मिलने आया है मोहित के चेहरे पर बहुत खुशी थी वो जैसे ही दरवाजे पर पहुंचा अजय सामने खड़ा था मोहित मेरे दोस्त मेरे भाई मैंने तुझे बहुत याद किया मैंने भी तुझे बहुत याद किया बहुत ढूंढा पर तू वह घर और एरिया छोड़ चुका था स्कूल के बाद से मैं तुझे मिल ही नहीं पाया मेरे दोस्त तुझे देखकर मैं बहुत खुश हूं चल अंदर चल मैं तुझे मां से मिलवा हूं उस दिन दोनों दोस्त एक दूसरे से मिलकर बहुत खुश होते

(06:49) हैं साहब आपकी अर्जेंट मीटिंग थी आज मेरी सारी मीटिंग कैंसिल कर दो आज मैं इतने सालों बाद अपने दोस्त से मिला हूं आज मैं उसके साथ रहूंगा आज हम दोनों दोस्त एक साथ मिलकर फ्रेंड डे मनाएंगे तभी अजय को याद आता है कि उसने वादा किया था कि जब वह मोहित से मिलेगा तो वह दोनों उस नदी किनारे जाएंगे जहां वह बचपन में जाते थे अजय मोहित को नदी किनारे लेकर जाता है पर उसे श्री कृष्णा और सुदामा जी उन युवकों के रूप में वहां नहीं मिलते अजय तूने यहां लाकर मुझे बचपन की याद ताजा कर दी हम कितने कंकड़ फेंका करते थे इस नदी में वैसे तुझे यह जगह याद थी हां याद तो थी पर

(07:25) उन दोनों को कैसे पता कि हम बचपन में यहां आते थे किन दोनों को अय तभी अजय को नदी के जल में भगवान श्री कृष्णा और सुदामा जी के दर्शन होते हैं दोनों कभी साधारण मनुष्य रूप में नजर आते तो कभी कृष्ण और सुदामा अजय को सारी बात समझ में आ जाती है वह कृष्ण जी और सुदामा जी को धन्यवाद कहता है आज उन्हीं की वजह से फ्रेंडशिप डे के दिन अजय को अपना सच्चा दोस्त मोहित वापस मिल गया था कुछ दिनों बाद मोहित अपने ही ऑफिस में अजय को अच्छी पोस्ट पर नौकरी दे देता है जिससे अजय की आर्थिक स्थिति में बहुत सुधार होता है और श्री कृष्ण और सुदा जी

(08:00) की दोस्ती की एक और मिसाल कायम हो जाती [संगीत] है 



आज से लगभग हजारों वर्ष पहले की बात है जब भारत में राजाओं का शासन हुआ करता था ऐसा माना जाता है कि राजस्थान के जयपुर का गोविंद देव मंदिर उसी समय का बना हुआ है गोविंद देव मंदिर में शुरू से ही पुजारी पूरे दिन भक्ति भाव से भगवान गोविंद देव जी की पूजा अर्चना किया करते फिर शाम के समय आरती करते और रात को शयन के लिए जाते समय मंदिर का पट बंद करने से पहले भगवान के पास चार लड्डू रख देते थे जय गोविंद पुजारी जी अच्छा एक बात बताइए आप गोविंद देव के सामने रात के समय रोजाना यह चार

(08:47) लड्डू रखकर ही मंदिर के पट बंद करते हैं ऐसा क्यों मतलब इसका क्या कारण है चार लड्डू रखने के पीछे का कारण यह है कि अगर रात के वक्त भगवान गोविंद जी को भूख लग जाए तो व यह चार लड्डू खाकर अपनी भूख मिटा सके मेरे मन के भाव ही कुछ ऐसे हैं कि ऐसा करने से मुझे अलग ही तृप्ति का अनुभव होता है भगवान तो भक्त के भाव को देखते हैं भक्त अपने भाव जैसे रखेगा वैसे ही प्रभु उसकी भक्ति और प्रेम रस में डूब जाते हैं ऐसा क्रम रोजाना ही चलता था रोजाना ही पुजारी जी गोविंद देव की मूर्ति के समक्ष आरती के बाद चार लड्डू रखकर मंदिर के प बंद करते थे पर एक दिन पुजारी जी ने शाम

(09:33) को भगवान गोविंद देव जी की आरती की परंतु रात में जब वो शयन करने जाने लगे तो वह लड्डू रखना भूल गए गोविंद देव लड्डू खाने स्वयं मूर्ति से प्रकट हुए आज थाली में लड्डू नहीं है मुझे तो बहुत जोरों की भूख लगी है यहां तो लड्डू है ही नहीं लगता है पुजारी जी आज लड्डू रखना भूल गए कोई बात नहीं पुजारी जी रोजाना तो रख ही देते हैं आज मैं अपना लड्डू स्वयं ही ले आता हूं इसके पश्चात प्रभु श्री कृष्ण ने उसी समय बड़ी-बड़ी आंखें और घुंघराले बाल वाले एक छोटे से बालक का रूप धारण कर लिया और मंदिर के पास स्थित हलवाई की दुकान पर पहुंच गए वहां पहुंचकर उन्होंने हलवाई से

(10:21) कहा बाबा मुझे भूख लगी है मुझे लड्डू चाहिए लल्ला पहले यह बताओ कि तुम इतनी रात को लड्डू लेने यहां कैसे आए बाबा मैं यहीं पास में ही रहता हूं भूख लगी थी इसी कारण मैं तुम्हारे पास लड्डू लेने आ गया अच्छा ठीक है लाओ पैसे दो मैं तुम्हें लड्डू दे देता हूं बाबा मेरे पास तो पैसे नहीं है मैं तुझे पैसे के बिना लड्डू कैसे दे दूं मैं ऐसे लड्डू नहीं दूंगा बालक रूपी भगवान कृष्ण कुछ पल सोचने लगे फिर अपने हाथ में पहना सोने का कड़ा उतार कर हलवाई से बोले बाबा मेरे पास यह सोने का कड़ा है क्या तुम इसके बदले में मुझे लड्डू दे सकते हो तुम यह कड़ा रख लो

(11:05) और मुझे लड्डू दे दो सोने का कड़ा देखते ही हलवाई के मन में लालच आ गया सोने का कड़ा हां हां लल्ला इसके बदले में तुम्हें मैं चार लड्डू अभी दिए देता हूं हलवाई ने झट से कड़ा अपने हाथ में लिया और भगवान रूपी बालक को चार लड्डू दे दिए उसके बाद गोविंद देव जी ने लड्डू खाए और अपने मंदिर लौटकर वापस मूर्ति में समा गए अगले दिन सुबह पुजारी जी मंदिर पहुंचे और उन्होंने मंदिर का पट खोला और फिर जब वह भगवान का श्रृंगार करने से पहले उन्हें स्नान करा रहे थे तभी उन्होंने देखा कि भगवान गोविंद देव जी के एक हाथ का सोने का कड़ा गायब था

(11:48) यह देखकर पुजारी जी डर गए हे गोविंद आपके हाथ का सोने का कड़ा कहां गया कल रात को मैंने देखा था दोनों हाथों में सोने के कड़े थे मंदिर में कौन आया जिसने सोने का कड़ा ले लिया मुझे महाराज तक यह खबर पहुंचा होगी अब तक यह बात मंदिर में सबको पता चल चुकी थी पुजारी जी ने मंदिर के सेवक के द्वारा उस राज्य के राजा तक यह खबर भिजवाई कि गोविंद देव जी के एक हाथ का कड़ा गायब हो गया है और फिर क्या था यह खबर आग की तरह पूरे राज्य में फैल गई और जब इसका पता उस हलवाई को चला तो वह डर के मारे कांपने लगा लाला दो समोसे देना भैया यह किस सोने के कड़े की बात नगर में फैल

(12:32) रही है अरे तुम्हें नहीं पता गोविंद देव जी के मंदिर से गोविंद देव जी के हाथों में जो सोने के कड़े हैं ना उसमें से एक हाथ का कड़ा गायब है भाई कहीं यह कड़ा वही तो नहीं जो कल रात वह बालक मेरे पास लेकर आया था मुझे तुरंत ही यह बात राजा को बतानी होगी नहीं तो सब मुझे ही चोर समझेंगे हलवाई तुरंत ही राजा के पास गया और भरी सभा में कड़ा देते हुए बोला महाराज जो गोविंद देव जी के मंदिर से गायब है पुजारी जी से पूछिए क्या यह वही कड़ा है जी महाराज यह गोविंद देव जी का ही कड़ा है लाला तुम्हारे पास यह कड़ा कैसे आया महाराज कल रात में जब अपनी दुकान बढ़ाकर

(13:15) घर जाने लगा तो उसी समय मेरे पास एक बालक लड्डू लेने आया था और उसी ने मुझे यह कड़ा दिया था और जिसके बदले मैंने उसे चार लड्डू भी दिए चार लड्डू हे गोविंद कल रात में आपके लिए थाली में लड्डू रखने भूल गया था पुजारी जी आप किस सोच में पड़ गए कौन था वह बालक महाराज वह बालक कोई और नहीं स्वयं गोविंद देव जी थे हे गोविंद हे कृष्ण मुरारी मुझे क्षमा कर दो मैं आपके लिए थाली में लड्डू नहीं रख पाया आपकी लीला अपरम पार है मैं आगे से ऐसी भूल कभी नहीं करूंगा पुजारी जी की बातों को सुनकर राजा और सभा में आए सब लोग हैरान हो जाते कि वह बालक कोई और नहीं बल्कि स्वयं भगवान

(14:02) गोविंद जी थे और यह बात सुनकर हलवाई भी खुद को कोसने लगा कि वह कितना अभागा है जो भगवान कृष्ण गोविंद मुरारी को नहीं पहचान पाया वह मन ही मन भगवान गोविंद देव जी से क्षमा मांगता है उस दिन के बाद से आज तक रोज रात को भगवान गोविंद देव जी को शयन कराते समय चार लड्डू उनके पास रखे जाते हैं


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