तीन बहुएं बनी कुतिया| बड़ी मज़ेदार कहानी | धार्मिक कहानी | Moral Story

  तीन बहुएं बनी कुतिया| बड़ी मज़ेदार कहानी | धार्मिक कहानी | Moral Story


एक छोटे से गांव में एक बुढ़िया रहती थी उसकी तीन बहुएं और तीन बेटे थे बुढ़िया मां बहुत धार्मिक थी और हर दिन पूजा पाठ में समय बिताती थी वह सुबह सुबह उठकर गंगा स्नान करने जाती थी और भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा करती थी कार्तिक महीने में वह विशेष रूप से स्नान और पूजा करती थी इस दौरान वह माखन मिश्र दही मिश्र और तुलसी के पत्तों का भोग भगवान को चढ़ाती थी और प्रसाद अड़ोस पड़ोस में बांटती थी गांव के लोग उसकी पूजा पाठ की बहुत इज्जत करते थे बुढ़िया मां का यह नियम था कि वह कार्तिक महीने के हर दिन गंगा स्नान करती

(00:43) और पूजा करती कार्तिक पूर्णिमा के दिन वह विशेष रूप से गंगा स्नान के लिए जाती और भोग बनाकर भगवान को चढ़ाती लेकिन उसकी तीन बहुओं को यह सब बिल्कुल पसंद नहीं था वे अक्सर उसकी आस्था का मजाक उड़ाती और प्रसाद खाने से मना कर देती वे कहती इसमें तुलसी के पत्ते हैं हम यह नहीं खा सकते यह सब दिखावा है यह सुनकर बुढ़िया मां बहुत दुखी होती लेकिन वह चुपचाप अपनी पूजा करती रहती बुढ़िया मां का पति कुछ समय पहले ही गुजर चुका था इसीलिए अब वह अकेली थी उसके बेटे भी अपनी पत्नियों के कहने में आकर उससे दूर हो गए थे अब वह सिर्फ अपने पूजा

(01:26) पाठ में ही मन लगाती और पड़ोसियों में प्रसाद बांटती लेकिन उसकी तीनों बहुओं को यह सब बहुत बुरा लगता था वे सोचती हमारी सास जब देखो तब पूजा पाठ में ही लगी रहती है अनाप शनाप खर्च करती है पंडितों को बुलाती है दान पुण्य करती है अगर यह मर जाए तो अच्छा हो कम से कम यह खर्चा तो बचेगा बुढ़िया मां ने अपने तीनों बेटों को बड़े प्यार से पाला था उसने और उसके पति ने मिलकर उनकी परवरिश की थी लेकिन अब जब उसे अपने बेटों की सबसे ज्यादा जरूरत थी तब वे उससे मुंह मोड़ चुके थे बुढ़िया मां दिन रात भगवान से प्रार्थना करती और अपने बच्चों के लिए आंसू बहाती वह सोचती हे

(02:09) भगवान मैंने तो कभी किसी का बुरा नहीं चाहा फिर मेरे साथ ऐसा क्यों हो रहा है एक दिन बुढ़िया मां अपने भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी के सामने बैठी प्रार्थना कर रही थी उसकी आंखों में आंसू थे और वह भगवान से कह रही थी हे भगवान मुझे इस दुख से मुक्ति दिलाओ मेरे बच्चों का भला करो और उन्हें सही रास्ता दिखाओ इस तरह बुढ़िया मां ने अपने पूजा पाठ और दान पुण्य के नियमों को नहीं छोड़ा लेकिन उसकी तीनों बहुओं ने ठान लिया था कि वे अब इस घर में नहीं रहेंगी और बंटवारा करके अलग हो जाएंगी वे सोचती अगर हम अलग हो जाएं तो अपनी मर्जी से रह सकेंगे और सास की पूजा

(02:49) पाठ के खर्चे से बच सकेंगे तीनों बहुओं ने एक दिन आपस में बात की और बंटवारे की योजना बनाई उन्होंने अपने पतियों से कहना शुरू किया कि अब हमें अलग हो जाना चाहिए छोटी बहू ने अपने पति से कहा देखिए बड़े भैया के बच्चे बड़े हो रहे हैं और हमारे बच्चे छोटे हैं हमें अभी बहुत मेहनत करनी है बच्चों को पढ़ाना है अगर हम अलग हो जाएंगे तो अपने बच्चों की अच्छी तरह से देखभाल कर पाएंगे सास का खर्चा बहुत ज्यादा है हर समय पूजा पाठ में लगी रहती है और बहुत पैसा खर्च करती है मंझली बहू ने भी अपने पति को समझाया देखिए अब बंटवारा हो जाना चाहिए हम अपनी मर्जी से

(03:31) रहेंगे क्या खर्च करना है क्या नहीं करना है यह हम खुद तय करेंगे सास के नखरे और खर्चे अब बरदाश नहीं होते हमें अलग रहकर अपने बच्चों का ध्यान रखना है बड़ी बहू ने भी अपने पति से यही बात कही बच्चे बड़े हो रहे हैं कल उनकी शादी ब्याह करनी है पैसे कमाते रहेंगे और सास का खर्चा करते रहेंगे तो कैसे चलेगा हमारे बच्चों का भविष्य सुरक्षित करना है तो हमें अलग होना ही पड़ेगा तीनों बहुओं ने अपने अपने पतियों को समझा बुझाकर उनके मन में बंटवारे की बात डाल दी तीनों भाई अब बंटवारे के लिए तैयार हो गए गांव के पंचों को बुलाया गया और घर का बंटवारा करने की बात हुई तीनों

(04:11) बहुएं भी बंटवारे में हिस्सा लेने के लिए तैयार हो गई गांव के पंचों ने घर का चार हिस्सों में बंटवारा किया तीन बेटों के लिए और एक बुढ़िया मां के लिए घर का सारा सामान भी चार हिस्सों में बांट दिया गया बुढ़िया मां को कम हिस्सा दिया गया क्योंकि वह अकेली थी और ज्यादा की जरूरत नहीं थी पंचों ने कहा कि जो भी बुढ़िया मां को अपने हिस्से में रखेगा वह उसका भी ख्याल रखेगा छोटी बहू ने साफ मना कर दिया मैं बुढ़िया मां को अपने हिस्से में नहीं रख सकती उसका खर्चा बहुत ज्यादा है पूजा पाठ में बहुत पैसा खर्च होता है हमें अपने बच्चों का ध्यान रखना है मजली बह ने भी

(04:49) मना कर दिया मैं भी बुढ़िया मां को अपने हिस्से में नहीं रख सकती वह हमें कभी पसंद नहीं करती थी और हमें भी उसकी जरूरत नहीं है बड़ी बहू ने भी वही जवाब दिया मैं भी बुढ़िया मां को अपने हिस्से में नहीं रख सकती हमें हमारे बच्चों का भविष्य सुरक्षित करना है और उसके लिए हमें बंटवारा करना ही पड़ेगा बुढ़िया मां अब अकेली रह गई पंचों ने अपना फैसला सुनाया और चले गए तीनों बहुओं ने अपना अपना सामान अपने अपने हिस्से में रख लिया बुढ़िया मां के हिस्से में जो झोपड़ी थी वह उसमें रहने लगी अब वह अकेली थी और अपने बेटों से निराश होकर अपने भगवान से प्रार्थना करती

(05:26) रहती थी अब बुढ़िया मां अपने हिस्से की छोटी सी झोपड़ी में रहने लगी वो रोज सुबह जल्दी उठकर गंगा स्नान करती और भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा करती वो पहले की तरह ही भोग बनाकर भगवान को चढ़ाती और फिर अड़ोस पड़ोस में प्रसाद बांटती लेकिन अब वो बहुत अकेली हो गई थी उसके तीनों बेटों ने उससे मुंह मोड़ लिया था और उसकी बहुओं ने उसे घर से बाहर कर दिया था व रोज भगवान से प्रार्थना करती हे भगवान मुझे इस दुख से छुटकारा दिलाओ मेरे बच्चों का भला करो और उन्हें सही रास्ता दिखाओ बुढ़िया मां के पास जो थोड़ा बहुत आटा दाल और चावल था वह उसी से काम चलाती वह सोचती

(06:06) अब मुझे अपनी जिंदगी इसी तरह गुजारनी पड़ेगी मेरे बच्चों ने मुझे छोड़ दिया है लेकिन मैं भगवान की भक्ति नहीं छोडूंगी उसकी भक्ति में कोई कमी नहीं आई वह हर रोज तुलसी के पत्तों से भगवान का पूजन करती और पड़ोसियों को प्रसाद बांटती एक दिन जब बुढ़िया मां अपनी झोपड़ी में बैठी रो रही थी तभी एक युवक आया उसने दरवाजा खटखटाया बुढ़िया मां ने दरवाजा खोला और देखा कि एक 17-18 साल का हष्ट पुष्ट युवक खड़ा है उसके चेहरे पर तेज झलक रहा था उसने कहा अम्मा आप मुझे पहचानती नहीं लेकिन मैं आपके मायके से आया हूं मेरा नाम कृष्णा है मेरे पिताजी ने मुझे आपकी मदद के लिए भेजा

(06:46) है बुढ़िया मां ने आश्चर्य से पूछा कृष्णा तुम मेरे माय कै से हो मैंने तो तुम्हें कभी देखा नहीं कृष्णा ने मुस्कुराते हुए कहा हां अम्मा मैं आपके भाई का पोता हूं हमें खबर मिली कि आपके बेटों ने आपको घर से निकाल दिया है इसलिए मेरे पिताजी ने मुझे आपकी मदद करने के लिए भेजा है बुढ़िया मां की आंखों में आंसू आ गए उसने कृष्णा को अंदर बुलाया और उसे बैठने के लिए कहा उसने कृष्णा को पानी का गिलास और थोड़ा सा गुड़ दिया कृष्णा ने पानी पिया और गुड़ खाया फिर उसने अपनी थैली में से कुछ खाने का सामान कपड़े और दवाइयां निकाली उसने कहा अम्मा यह सब सामान मैं

(07:26) आपके लिए लाया हूं आप भूखी मत रहना हम रोज आपको खाना भिजवा देंगे बुढ़िया मां ने कृष्णा को आशीर्वाद दिया और कहा बेटा तुम्हारा बहुत-बहुत धन्यवाद तुमने मेरे लिए जो किया है उसके लिए मैं भगवान से तुम्हारी सुख समृद्धि की प्रार्थना करूंगी कृष्णा ने बुढ़िया मां से विदा ली और वापस चला गया बुढ़िया मां ने अपने भगवान का धन्यवाद किया और सोचा भगवान ने मेरी प्रार्थना सुन ली अब मैं भूखी नहीं रहूंगी अब बुढ़िया मां को रोज खाना मिल जाता था वो पहले की तरह ही भोग बनाकर भगवान को चढ़ाती और पड़ोसियों को प्रसाद बांटती लेकिन उसकी तीनों बहुओं को यह सब देखकर

(08:05) बहुत जलन होती थी वे सोचती यह बुढ़िया आखिर कहां से इतना खाना ला रही है इसके पास कोई कमाने वाला भी नहीं है फिर यह इतनी तंदुरुस्त कैसे हो रही है तीनों बहुएं बुढ़िया मां की सेहत देखकर बहुत जलती थी वे सोचती कि बुढ़िया को हमने इसलिए अलग किया था ताकि वह जल्दी ही भूकी प्यासी मर जाए लेकिन यह तो और तंदुरुस्त होती जा रही है एक दिन बहुओं ने फैसला किया कि वह बुढ़िया की झोपड़ी में जाकर पता लगाएंगी कि वहां क्या हो रहा है अगले दिन जब बुढ़िया मां गंगा स्नान के लिए गई हुई थी तीनों बहुएं उसकी झोपड़ी में घुस गई वहां उन्होंने देखा कि झोपड़ी में दाल

(08:43) चावल आटा मसाले सूखे मेवे और कई तरह का अच्छा खाना रखा हुआ है बहुएं हैरान रह गई वे आपस में बातें करने लगी यह बुढ़िया इतनी चालाक निकली हमें लगता था कि यह भूख प्यासी मर रही है लेकिन यहां तो हर चीज का भंडार है बड़ी बहू ने कहा इसने जरूर हमारे घर से चोरी करके यह सब जमा किया है हम काम में लगी रहती थी और यह चोरी-चोरी अपना घर भरती रही अब इसे सबक सिखाना होगा मजली बहू ने कहा हां हमें इसे मजा चखाना चाहिए देखते हैं कि इसने यहां क्या-क्या जमा किया है छोटी बहू ने भी सहमति जताई सही कहा हमें इसके खिलाफ कुछ करना होगा तीनों बहुएं झोली भर भर कर सामान अपने घर ले

(09:26) जाने लगी जैसे ही उन्होंने खाने का सामान उठा आया उन्होंने देखा कि उसमें तुलसी के पत्ते हैं गुस्से में आकर उन्होंने तुलसी के पत्ते नाली में फेंक दिए यह देखकर वे और भी क्रोधित हो गई और सामान उठाकर बाहर जाने लगी तभी एक अजीब घटना घटी तीनों बहुओं ने देखा कि उनके हाथ पैर धीरे-धीरे कुत्ते के पंजों में बदलने लगे वे डर गई और चिल्लाने लगी लेकिन कोई उनकी मदद नहीं कर पाया कुछी पलों में वे तीनों बहुएं कुतिया बन गई गांव में हड़कंप मच गया बच्चों और पतियों ने जब ये देखा तो वे हैरान रह गए बच्चे चिल्लाने लगे मम्मी कुतिया बन गई है पापा देखो मम्मी को क्या

(10:06) हो गया तीनों बहुओं के पति समझ नहीं पा रहे थे कि यह कैसे हुआ उन्होंने कोशिश की कि कुतिया को घर से बाहर भगाएं लेकिन वे घर छोड़ने को तैयार नहीं थी वे अपनी भाषा में कुछ समझाने की कोशिश कर रही थी लेकिन कोई उनकी बात नहीं समझ पा रहा था बच्चे रो रहे थे और पतियों को भी रोना आ रहा था उन्होंने अपने बच्चों को संभालते हुए कहा चलो अब कुछ नहीं किया जा सकता हमें मां का इंतजार करना होगा शायद वही कुछ हल बता सके गांव के लोग भी इकट्ठा हो गए और सोचने लगे कि यह अनहोनी कैसे हुई सबने बुढ़िया मां की वापसी का इंतजार करने का फैसला किया

(10:44) बुढ़िया मां को अब अपने रोज के जीवन में थोड़ी राहत मिल रही थी कृष्णा रोज खाना लाकर रख जाता था और बुढ़िया मां भगवान को भोग लगाकर पहले की तरह प्रसाद बांटती थी लेकिन उसे इस बात का कोई अंदाजा नहीं था कि उसके घर में क्या हो रहा है उसे यही लगता कि सब कुछ पहले जैसा ही चल रहा है इधर तीनों बहुएं कुतिया बनकर घर के आंगन में बैठी थी उनके पतियों और बच्चों को घर का सारा काम करना पड़ रहा था वे बहुत परेशान थे और अपनी मां की वापसी का इंतजार कर रहे थे गांव के लोग भी इस अजीब घटना से हैरान थे हर कोई यही कहता था कि यह सब बुढ़िया मां की भक्ति और उसकी तपस्या का

(11:24) फल है एक दिन गांव के कुछ लोगों ने बुढ़िया मां को गंगा स्नान के लिए जाते देखा उन्होंने सोचा कि अब उसे सारी बात बतानी चाहिए वे उसके पास गए और बोले माई तुम्हारे घर में कुछ अजीब हो रहा है तुम्हारी तीनों बहुएं कुतिया बन गई हैं बुढ़िया मां को यह सुनकर बहुत आश्चर्य हुआ उसने सोचा कि यह कैसे संभव हो सकता है उसने तुरंत गंगा स्नान किया और घर की ओर लौट पड़ी उसके दिल में बहुत सारी आशंकाएं थी उसने भगवान से प्रार्थना की हे भगवान मेरे घर की रक्षा करना और मेरे बच्चों को सही रास्ता दिखाना जब बुढ़िया मां घर पहुंची तो उसने देखा कि

(12:02) गांव के लोग उसके घर के सामने इकट्ठा थे उसने पूछा क्या हुआ यहां इतनी भीड़ क्यों लगी है गांव वालों ने उसे सारी घटना बताई बुढ़िया मां ने अपने बेटों को बुलाया और पूछा यह सब कैसे हुआ तुम लोगों ने क्या किया बेटों ने रोते हुए अपनी मां को सारी कहानी सुनाई उन्होंने कहा मां हमसे बहुत बड़ी गलती हो गई हमारी पत्नियों ने तुम्हारे सामान को नाली में फेंक दिया था और उस उसी समय वे कुतिया बन गई अब हमें नहीं पता कि उन्हें कैसे ठीक करें बुढ़िया मां ने अपने बेटों को दिलासा दिया और कहा भगवान सब ठीक करेंगे तुम लोग घबराओ मत बुढ़िया मां ने अपने भगवान से प्रार्थना

(12:43) की और उनसे समाधान मांगा उसने सोचा कि शायद किसी साधु बाबा के पास इसका समाधान हो सकता है उसी समय एक साधु बाबा गांव में आए बुढ़िया मां ने उन्हें अपने घर बुलाया और सारा हाल बताया साधु बाबा ने ध्यान से बातें सुनी और कहा यह सब तुम्हारी भक्ति और तपस्या का फल है लेकिन चिंता मत करो इसका उपाय भी है बुढ़िया मां ने पूछा बाबा कृपया मुझे उपाय बताएं मैं अपने बच्चों को इस हालत में नहीं देख सकती साधु बाबा ने कहा तुम्हें कार्तिक महीने में विशेष पूजा करनी होगी तुम्हारे स्नान के पानी से तुम्हारी बहुओं को नहलाना होगा और ब्राह्मणों को भोजन कराकर उनके झूठे भोजन

(13:25) को बहुओं को खिलाना होगा इससे वे अपने असली रूप में वापस आ जाएंगे बुढ़िया मां ने साधु बाबा को धन्यवाद दिया और अपने बेटों को यह उपाय बताया बेटों ने कहा मां हम तुम्हारी हर बात मानेंगे हम इस उपाय को जरूर पूरा करेंगे बुढ़िया मां ने कार्तिक महीने की विशेष पूजा की तैयारी शुरू कर दी उसके तीनों बेटे और गांव के लोग भी इस पूजा में मदद करने लगे बेटों ने मिलकर पूजा का सारा सामान इकट्ठा किया और भगवान के लिए भोग बनाने की व्यवस्था की हर सुबह बुढ़िया मां गंगा स्नान के लिए जाती और स्नान के पानी को एकत्रित करती उसके बाद वो भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की

(14:04) पूजा करती और फिर अपने पड़ोसियों को प्रसाद बांटती इस बीच तीनों बहुएं अभी भी कुतिया के रूप में घर के आंगन में बैठी रहती उनके पतियों और बच्चों को घर का सारा काम करना पड़ता था बच्चों को अपनी माताओं की बहुत याद आती थी और वे अक्सर रोते हुए अपनी दादी से कहते दादी मां कब ठीक होंगी हमें हमारी मां वापस चाहिए बुढ़िया मां बच्चों को दिलासा देती और कहती बेटा भगवान सब ठीक करेंगे तुम धैर्य रखो और प्रार्थना करो बच्चों को शांत करने के लिए वह उन्हें कहानियां सुनाती और उनके साथ समय बिताती बुढ़िया मां ने पूजा के लिए पांच ब्राह्मणों को बुलवाया बेटों ने भी अपनी

(14:46) ओर से पांच-पांच ब्राह्मणों को बुलाया इस प्रकार कुल 21 ब्राह्मणों को बुलाया गया ब्राह्मणों के लिए विशेष भोग तैयार किया गया कार्तिक पूर्णिमा का दिन आया और बुढ़िया मां ने अपने बेटों की मदद दत से ब्राह्मण भोज की तैयारी की सुबह-सुबह सभी ब्राह्मणों को आमंत्रित किया गया और उन्हें विशेष पकवान बनाकर खिलाया गया ब्राह्मण भोज के बाद बुढ़िया मां ने सबके पैर छुए और भगवान से प्रार्थना की हे भगवान मेरी बहुओं को उनके पूर्व रूप में वापस लाओ मेरे कार्तिक स्नान और पूजा का फल उन्हें मिले ब्राह्मणों ने तृप्त होकर भोजन किया और बुढ़िया मां को आशीर्वाद

(15:24) दिया उन्होंने कहा माई तुम्हारी पूजा और तपस्या सफल होगी भगवान तुम्हारी प्रार्थना अवश्य सुनेंगे ब्राह्मण भोज के बाद बुढ़िया मां ने तीनों बहुओं को बुलाया तीनों बहुएं कुतिया के रूप में भगवान के भोग के झूठे भोजन को बड़े प्रेम से खाने लगी बुढ़िया मां ने उनके ऊपर गंगाजल छिड़का और उन्हें स्नान के पानी से नहलाया जैसे ही गंगाजल और स्नान का पानी बहुओं के ऊपर छिड़का गया एक चमत्कार हुआ धीरे-धीरे तीनों बहुएं अपने असली रूप में वापस आने लगी उनके चेहरे पर पश्चाताप के आंसू थे और वे अपनी सास के पैरों में गिरकर रोने लगी तीनों बहुएं

(16:04) कहने लगी मां हमें माफ कर दो हमने तुम्हारे साथ बहुत बुरा किया हमें हमारे कर्मों की सजा मिल गई अब हम तुम्हें कभी कोई कष्ट नहीं देंगे और हमेशा तुम्हारी सेवा करेंगे बुढ़िया मां ने उन्हें गले लगाया और कहा बेटा भगवान ने तुम्हें माफ कर दिया है अब तुम लोग सच्चे दिल से भगवान की भक्ति करो और अपने कर्मों को सुधारो तीनों बहुओं ने अपनी सास से वादा किया कि वे अब हर साल कार्तिक स्नान और पूजा करेंगी और कभी भी बुढ़िया मां का अपमान नहीं करेंगी इस तरह पूरे परिवार ने मिलकर भगवान की पूजा की और प्रसाद बांटा तीनों बहुओं के अपने असली रूप में वापस आने के

(16:43) बाद घर में एक नई ऊर्जा और शांति का माहौल बन गया बुढ़िया मां की भक्ति और तपस्या ने पूरे परिवार को एक नया जीवन दिया था अब सभी मिलकर भगवान की पूजा करते और कार्तिक स्नान की महिमा को समझते थे बुढ़िया माने अपने बेटे और बहु को सिखाया कि भक्ति और सेवा का महत्त्व क्या होता है उसने कहा देखो बेटा भगवान की पूजा और सेवा से हमें सच्चा सुख और शांति मिलती है हमें हमेशा सच्चे दिल से भक्ति करनी चाहिए और दूसरों की मदद करनी चाहिए भगवान की कृपा से अब परिवार में सुख और समृद्धि आने लगी तीनों भाइयों का व्यापार अच्छा चलने लगा और घर

(17:21) में खुशियों का माहौल बन गया इस कहानी से हमें यह सीखने को मिलता है कि भक्ति सेवा और सच्चे मन से की गई प्रा हमेशा फलदाई होती है भगवान अपने भक्तों की सच्ची भक्ति को कभी निराश नहीं करते और उन्हें सुख शांति और समृद्धि का आशीर्वाद देते हैं मित्रों अगर हमारी यह कहानी आपको पसंद आई हो तो कृपया इसे लाइक और शेयर करें चैनल पर अगर पहली बार आए हैं तो हमारे चैनल को सब्सक्राइब करना ना भूलें धन्यवाद


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