Naag panchmi Vrat ki katha || नाग पंचमी व्रत की कथा nag panchmi ki kahani || नाग पंचमी की कहानी -

 Naag panchmi Vrat ki katha || नाग पंचमी व्रत की कथा nag panchmi ki kahani || नाग पंचमी की कहानी - 


 हिंदू धर्म में नाग को देवता माना जाता है सावन मास के कृष्ण पक्ष की पंचमी तिथि को नाग पंचमी मनाई जाती है इस दिन नाग देवता की पूजा करने से भक्तों को उनकी विशेष कृपा प्राप्त होती है नाग देवता को भगवान शंकर ने अपने गले में स्थान दिया है ऐसा कहा जाता है कि नागों

(01:08) की पूजा करने से भगवान भोलेनाथ बहुत प्रसन्न होते हैं इनकी पूजा आराधना करने से ना केवल सर्प दोष से मुक्ति मिलती है बल्कि सभी मनोकामनाएं भी शीघ्र पूर्ण होती हैं नाग पंचमी का व्रत करने वाले भक्त इस कथा को जरूर पढ़े मान्यताओं के अनुसार इस कथा को पढ़ने से नाग देवता जल्द प्रसन्न हो जाते हैं 

 सालों पहले एक नगर में किसी सेठ के साथ बेटे रहते थे सभी की शादी सेठ ने समय रहते करवा दी सातों बहू मिलकर घर का काम भी किया करती थी उन सभी में से सेठ की सबसे छोटी बहू बहुत संस्कारी थी एक दिन यूं ही काम करते हुए घर की बड़ी बहू ने अपनी देवरा नियों से कहा कि घर को लीपने के लिए पीली मिट्टी नहीं है जंगल जाकर लानी होगी जेठानी के ऐसा कहते ही सभी उसके साथ घर लीपने के लिए मिट्टी लाने के लिए निकल गई सभी खुरपी से मिट्टी निकाल ही रही थी कि तभी सबसे बड़ी वाली बहू को एक नाग नजर आया उसे मारने के लिए जैसे ही बड़ी वाली

(00:49) बहू ने खुरपी उठाई वैसे ही सबसे छोटी बहू ने कहा जेठानी जी इसे मत मारिए इसकी कोई गलती नहीं है है जंगल ही तो इसका घर है अपनी देवरानी की बात मानकर उसने नाग को कुछ नहीं किया तभी उस छोटी बहू ने नाग से कहा कि आप एक जगह पर अलग से बैठ जाइए हम तब तक मिट्टी खोदते हैं फिर आपके पास आएंगे इतना कहकर सभी मिट्टी निकालने लगी और कुछ देर बाद घर चली गई सभी के दिमाग से नाग वाली बात निकल गई थी अगले दिन छोटी बहू को अचानक से याद आया कि उसने नाक को इंतजार करने के लिए कहा था वो तुरंत अपनी सभी जेठा नियों को अपने साथ लेकर नाग के पास चली गई वहां देखा तो वह

(01:40) नागन सभी के इंतजार में उसी जगह पर बैठा हुआ था नाग को देखते ही छोटी बहू ने प्यार से कहा भैया कल हम लोग आपके पास आना भूल गए थे उस बात के लिए आप हमें माफ कर दीजिए जवाब में नाग बोला तुमने मुझे भाई कहा है इसलिए मैं तुम्हें दंड नहीं दे रहा हूं नहीं तो अब तक मैं तुम्हें डस चुका होता आज के बाद से तुम हमेशा के लिए मेरी बहन रहोगी अब तुम अपने भाई से कोई वरदान मांग लो मैं तुमसे बहुत खुश हूं इतना सब सुनने के बाद छोटी बहू ने नाक से बोला मेरा कोई भी सगा भाई नहीं है इसलिए मैंने आपको भाई कहा था अब से आप मेरे भाई हो अब हमें हमेशा मेरी रक्षा

(02:31) करना आपका फर्ज है बस यही वरदान मुझे आपसे चाहिए नाग ने हर कदम पर साथ देने का वादा किया और अपने रास्ते निकल गया सेठ की सारी बहू भी अपने घर लौट गई कुछ समय बाद नाग इंसान का रूप बनाकर अपनी बहन से मिलने सेठ के घर गया उसने सेठ से कहा कि मेरी छोटी बहन को बुला दो वह आपकी छोटी बहू है पहले तो उनके मन में विचार आया कि बहू का कोई भाई ही नहीं था फिर यह कहां से आ गया फिर भी उन्होंने अपनी छोटी बहू को बाहर बुलाया नाग ने फिर साथ में बहन को अपने घर लेकर जाने की बात की सेठ ने इसकी भी आज्ञा दे दी तभी नाग ने अपनी बहन से पूछा कहीं

(03:22) तुम मुझे भूल तो नहीं गई हो ना जवाब में बहन बोली नहीं भैया मैं आपको बिल्कुल नहीं भूली हूं फिर नाग ने कहा मैं तुम्हें अपने घर लेकर जा रहा हूं तुम मेरी पूंछ पकड़कर पीछे पीछे चलती रहना उसकी बहन ने वैसा ही किया कुछ ही देर बाद वह एक बड़े से मकान में पहुंच गए वहां हर तरफ सोना चांदी और अन्य कीमती सामान थे वहां नाक की बहन आराम से कुछ दिनों के लिए रहने लगी नाग की मां भी उसे बहुत प्यार करती थी एक दिन नाग की मां ने छोटी बहू को अपने भाई के लिए दूध लेकर जाने के लिए कहा छोटी बहू ने दूध को गर्म किया और भाई को पीने के लिए दे दिया अब गर्म दूध पीते ही नाग

(04:13) का मुह जलने लगा यह सब देखकर नाग की मां को बहुत गुस्सा आया नाग ने किसी तरह से अपनी मां के गुस्से को शांत किया और बताया कि उसकी बहन को नहीं पता था कि मैं गर्म दूध नहीं पी सकता हूं अब नाग के परिवार के साथ कुछ समय बिताने के बाद सेठ की छोटी बहू अपने घर जाने लगी नाग ने अपनी बहन को खूब सारी दौलत और आभूषण देकर विदा किया बहू के साथ घर में इतना सारा धन आते देख सेठ और उसकी जेठा निया हैरान हो गई एक दिन नाक की बहन को घर की बड़ी बहू ने कहा कि तुम अपने भाई से और सोना चांदी लेकर आओ उसके पास तो खूब पैसा है वो तुम्हें मना नहीं करेगा

(05:01) छोटी बहू ने अपने भाई नाग को यह बात बताई इसके बारे में पता चलते ही नाग ने अपनी बहन का घर तरह तर के आभूषणों से भर दिया सभी जेवरा में से एक हीरे का हार बेशकीमती था उस हार को जो भी देखता वही उस पर मोहित हो जाता धीरे-धीरे उस हीरे के हार की खबर राज्य की रानी तक पहुंची उसने छोटी बहू से हार लेकर खुद अपने पास रख लिया दुखी होकर सेठ की छोटी बहू ने अपने भाई को इसके बारे में बताया गुस्से में उसके नाग भाई ने रानी के गले के हीरे के हार को नाग बना दिया इससे डरकर रानी ने एकदम हार को अपने गले से उतारा और सेठ की छोटी बहू को महल में

(05:48) बुलवाया उसके महल पहुंचते ही रानी ने छोटी बहू को बताया कि कैसे हार उसके गले में नाग बन गया था और उससे इसकी वजह पूछने लगी तब से सेठ की छोटी बहू ने बताया कि नाग भाई ने यह हार सिर्फ मुझे पहनने के लिए दिया है इसे कोई दूसरा इंसान गले में डालेगा तो यह तुरंत सांप बन जाएगा इस बात को सही साबित करने के लिए रानी ने सेठ की छोटी बहू को सांप बन चुके हार को पहनने के लिए कहा छोटी बहू ने जैसे ही नाग बने हार को गले में डाला तो वह दोबारा हीरे के हार में बदल गया महारानी ने यह सब होते हुए खुद अपनी आंखों से देखा और हैरान रह गई अब उसे सेठ की छोटी बहू की

(06:35) बात पर यकीन हो गया उसने हार छोटी बहू को अपने साथ लेकर जाने के लिए कहा इतना सब होने के बाद रानी ने सेठ की छोटी बहू को कुछ सोने की मुद्राएं देकर महल से विदा कर किया अब सेठ की छोटी बहू घर में सोने के सिक्के लेकर पहुंची यह सब देखकर सेठ की बड़ी बहू को जलन होने लगी उसने सोचा कि क्यों ने ऐसा कुछ किया जाए जिससे देवरानी परेशान हो जाए उसने अपने देवर से पूछा आखिर तुम्हारी पत्नी को इतने आभूषण धन य सब कुछ कैसे मिल रहा है तुम्हें उस पर ध्यान देना चाहिए यूं ही तो कोई किसी को इतना सारा धन जेवरात और सोने के सिक्के नहीं दे देता है

(07:25) पता करो कि आखिर मामला क्या है भाभी से अपनी प पत्नी के बारे में इतना सब सुनने के बाद उसके मन में अपनी पत्नी के लिए शक पैदा हो गया उसकी हर बात को वह शक भरी निगाहों से देखने लगा एक दिन इस बारे में उसने अपनी पत्नी से बात की खुद के लिए अपने पति से ऐसा सब सुनने के बाद वह दुखी हो गई उसने सीधे अपने नाग भाई से मुलाकात की और अपने पति द्वारा कही गई सारी बातों के बारे में बता दिया अपनी दुखी बहन को देखकर नाग को भी गुस्सा आया फिर क्या था नाग सीधे अपनी बहन के पति से मिला और बोला कि अपनी बहन को जेवरात और दूसरे तोहफे मैंने दिए हैं तुम्हें उस पर किसी भी तरह

(08:13) का शक करने की जरूरत नहीं है वह बहुत ही अच्छी है और अगर आगे से कभी भी तुमने उसे कुछ गलत कहा या उस पर शक किया तो मैं तुम्हें जिंदा खा जाऊंगा नाग से यह सब सुनने के बाद सेठ के बेटे ने उससे माफी मांगी और कहा कि आज के बाद से मैं ऐसी बातें बिल्कुल भी नहीं करूंगा आप मेरे ऊपर गुस्सा मत कीजिए मैं आपकी बहन को किसी भी तरह का दुख नहीं होने दूंगा इतना कहकर वह सीधे घर गया और अपनी पत्नी से भी माफी मांगी उसके बाद दोनों खुशी-खुशी साथ में रहने लगा इसी तरह सेठ की छोटी बहू हर तरह की मुसीबत में अपने भाई को याद करती और वह उसकी की परेशानी को दूर कर देता इसी तरह

(09:03) नाग पंचमी का त्यौहार शुरू हुआ और सभी महिलाएं नाग को अपना भाई मानकर पूछते हुए उन्हें दूध पिलाने लगी अब आइए श्रवण करते हैं नाग पंचमी की दूसरी कथा एक नगर में एक सेठ जी रहते थे उनके सात बेटे और सात बहुए थी इन सातों बहुओं में से छह बहुओं के तो पिहर थे लेकिन सातवी बहू का पिहर नहीं था जब वह गर्भवती हुई तो उसे घेवर खाने की इच्छा हो रही थी उसके पीहर नहीं था तो उसने एक घेवर चुराकर पानी भरने गई तब ले गई वहां जाकर पेड़ के नीचे घेवर रख दिया और सोचा कि पानी भरकर आराम सेवर खा लूंगी जब वह पानी भरकर घेवर लेने गई तो वहां घेवर नहीं मिला उस पेड़ के पास एक

(09:54) बांबी थी उसमें एक नागिन रहती थी वह नागिन भी उस समय गर्भवती थी घेवर को देखकर नागिन की इच्छा उसे खाने की हुई और उसने घेवर खा लिया उस नागिन ने सोचा कि यदि साहूकार की बहू मुझे गाली देगी तो मैं उसे डस लूंगी और यदि कुछ नहीं कहेगी तो इस बिना पीहर की बहू को पीहर दिखा दूंगी साहूकार के बेटे की बहू ने कहा कि शायद कोई मेरी जैसी ही होगी जिसने यह घेवर खा लिया ऐसा सुनकर नागिन बहुत खुश हुई और उसने अपने बेटों से कहा कि तुम इंसान का रूप बनाकर जाओ और साहूकार के बेटे की बहू को लेकर आओ नागिन के बच्चे इंसान का रूप बनाकर साहूकार के घर चले गए वहां जाकर

(10:41) उन्होंने कहा कि हम हमारी बहन को लेने के लिए आए हैं तब सास ने कहा कि पहले तो कभी नहीं आए इतने दिन कहां थे तब उन्होंने कहा कि जब हमारी बहन का जन्म हुआ तब हम नानी के घर थे और शादी हुई तब हम परदेश कमाने के लिए गए हुए थे लड़को ने बहुत सारे कपड़े गहने और मिठाइयां बहन के सास और जेठा नियों के लिए ले गए थे सास अत्यंत प्रसन्न थी और जेठा निया उसे देखकर जल भुन रही थी सांस ने बहू को उनके साथ में भेज दिया बम्बी के पास जाकर उन्होंने कहा बहन हम नाग हैं उस दिन जब तुमने पेड़ के नीचे घेवर रखा था तब तुम्हारा घेवर हमारी मां ने ही खाया था उन्होंने तुम्हें अपनी बेटी

(11:29) माना है इस नाते से तुम हमारी बहन हुई बहन अब तुम हमारी पूंछ को पकड़ लो और डरना मत उनके कहने पर वह पूंछ पकड़कर बम्बी में चली गई वहां पर उन्होंने उसे बहुत लाड़ प्यार और सुख से रखा वहीं पर उसने एक लड़के को जन्म दिया जब उसका लड़का थोड़ा बड़ा हुआ तब की बात है पड़ोसन ने साहूकार के बेटे की बहू को ताना मारते हुए कहा कि अगर तू तेरी मां की इतनी ही लाडली तो तू तेरी मां से कहना कि आज तो नागों को दूध में ही पिलाऊंगी पड़ोसन का ताना उसे सहन नहीं हुआ वह मां से जिद करके नागों का दूध ठंडा करने लगी अभी तक दूध ठंडा नहीं हुआ था उससे पहले ही

(12:15) उसके बेटे ने घंटी बजा दी घंटी की आवाज सुनकर छोटे बड़े सारे नाग दूध पीने के लिए दौड़ पड़े जब उन्होंने दूध में मोह लगाया तो बहुतों का मोह जल गया तब नाग क्रोधित हो बोलने लगे कि हम बहन को काटेंगे उसकी मां ने उन्हें समझाते हुए कहा कि इसे मत काटो यह तुम्हें आशीष देगी तब साहूकार के बेटे की बहू ने कहा जियो महारा नाग नागिनी जियो महारा खड़िया डिया बीर बीर उठावे देख रो चीर चीर तो फट जाव पन बीर जीता रेवे थोड़े दिन बीत जाने के बाद पड़ोसन ने फिर से ताना मारा कि यदि तेरी मां तुझ पर विश्वास करती तो तुझे सातव कोठे की चाबी देती उसने मां से जिद

(13:04) करके चाबी ले ली और जब ताला खोला तो अंदर झूले में बाबा नाग झूल रहे थे उसने बाबा नाग से कहा सत सिया राम बाबा उन्होंने कहा कि तूने सच सियाराम कर लिया वरना मैं तुझे डस लेता तब उसने कहा कि आप तो मेरे पिता हो मुझे कैसे डस सकते हो और बोली जियो नाग नागिनी जियो वासुकी नाग जीन मेरो लाड लड़ाया न करोड़ को हार नाग देवता ने उसको न करोड़ का हार दे दिया मां ने अपने बेटों से कहा साहूकार की बहू तो अब बड़े घरों में हाथ डालने लगी है उसे ससुराल पहुंचा दो नागों ने साहूकार के बेटे की बहू को बहुत से गहने कपड़े दिए और ससुराल पहुंचा दिया कुछ दिनों बाद की बात

(13:55) है उसका बच्चा झाड़ू तोड़ रहा था ताई ने कहा झाड़ू मत तोड़ इतना तोड़ने का शौक है तो तेरे नाना मामा के यहां से लाया होता सांपों ने सुन लिया मां से जाकर कहा मां ने कहा दो झाड़ू सोने की बनवाओ दो चांदी की बनवाओ और दे आओ ताया देखकर जल गई कहने लगी इसके तो ताने मारने से धन बढ़ता है कुछ दिनों के बाद की बात है बच्चा गेहूं बिखेर रहा था ताई ने ताना मारा गेहूं बिखेर ने का शौक है तो नाना मामा के घर से ले आता हमारे यहां तो मत बिखेर सांपों ने सुन लिया फिर जाकर मां से कहा मां ने कहा दो बोरी दाने सोने के घड़ाव दो बोरी दाने चांदी के घड़ाव और दे

(14:45) आओ ताया और जल गई कहने लगी इसे ताने मत मारो इसका धन बढ़ता है छोटी जेठानी लकड़ी लेने गई वहां सांप था उसने सोचा सबसे छोटी को भेजना चाहिए सांप उसे खा जाएगा तो मुसीबत मिट जाएगी छोटी बहू लकड़ी लेने गई तो वहां सांप बैठा था बोली भैया राम राम सांप ने झट से पायल दे दिए पहनकर छम छम करती चली आई जेठा निया देखकर जल गई दो चार दिन बाद पान की गयो में एक साप देखा तो बड़ी जेठानी ने सबसे छोटी को पान लेने भेजा उसने सोचा आज अवश्य काट लेगा सांप को देखकर छोटी बोली भैया घर के क्या हालचाल है घर में सब ठीक तो है सबको मेरा राम राम कहना सांप ने मुंदड़ी पहना दी जेठा निया

(15:45) फिर जल भुन गई उसका पति दुकान से आया तब जेठा नियों ने सिखा दिया कि तेरी बहू के तो सांप बिच्छू से दोस्ती है साहूकार का बेटा अपनी बहू से रात को कहने लगा सच सच बता साप बिच्छू तेरे क्या लगते हैं जो तुझे काट खाने के बजाय गहने देते हैं बहू ने कहा वह तो मेरे भाई भतीजे लगते हैं फिर उसने सारी बात अपने पति को बताई पति ने कहा तो क्या तेरे भाई भतीजे तुम्हें ही बुलाते हैं कभी अपने जंवाई को यानी हमें तो बुलाते नहीं हैं आने कोने में छुपे सांपों ने बात सुन ली तो जाकर अपनी मां से कहा मां ने कहा दोनों को बुला लाओ वे इंसान का रूप बनाकर दोनों को व बच्चे को बुला

(16:37) लाए खूब कपड़े गहने देकर तीनों को विदा किया ऐसा समर्थ पीहर नाग पंचमी की कहानी कहने वाले को नाग पंचमी की कहानी सुनने वाले सबको मिले जैसी अनपहस्ड करने वाली कहानी किसी गांव में एक किसान राहत था उसके साथ उसकी पत्नी और एक छोटा सा बेटा था किसान बहुत ही सीधा साधा था वह अपने खेतों में काम करके ही अपने परिवार का गुजारा करता था किसान की पत्नी भी सुंदर सुशील और संस्कारी थी वह भी पूजा पाठ किया करती थी और जब भी उसे घर के काम से समय मिलता तो वह खेतों में जाकर अपने पति के साथ भी काम करती थी इसी तरह किसान और उसकी पत्नी अपने बच्चे

(17:33) के साथ खुशी-खुशी रह रहे थे एक दिन की बात है किसान अपने खेत पर काम करने गया तो वह खेत में खुदाई कर रहा था उसने देखा उसकी कुदाल के नीचे एक सांप आ गया है और वह कुदाल की चपेट में आने से मर गया है सांप को मरा हुआ देखकर किसान को बहुत दुख हुआ फिर उसने देखा कि इस बिल में सांप का एक छोटा सा बच्चा भी था लेकिन वहां नागिन नहीं थी फिर क्या था किसान ने सोचा कि यह सांप तो मर गया और पता नहीं नागिन है भी या नहीं किसान ने सोचा यह बच्चा तो अनाथ हो गया यह क्या हो गया भगवान मुझसे तो बहुत बड़ा पाप हो गया फिर उसने सोचा मैं इस पाप का प्रायश्चित करूंगा और उसने सोचा कि मैं

(18:22) इस बच्चे को अकेले नहीं छोड़ सकता इसे अपने साथ अपने घर ले जाता हूं फिर किसा उस सांप के बच्चे को अपने साथ घर ले गया और उसने अपनी पत्नी को सारी बात बताई दोनों ने भगवान का नाम लिया और कहा आज से हम इसका पालन पोषण अपने पुत्र की तरह करेंगे आज से हमारे एक नहीं दो पुत्र होंगे उधर नागिन अपने बिल में आई तो देखा कि सांप मरा पड़ा है और उसका बच्चा भी वहां नहीं था तो वह जोर-जोर से रोने लगी और उसने कसम खाई कि जिसने भी मेरे पति और बच्चे को मारा है मैं उसके परिवार के एक एक सदस्य को मार दूंगी मैं उन्हें ढूंढ कर ही रहूंगी और वह मरे हुए सांप से भी कहती

(19:07) है कि मैं अपना बदला लेकर जल्द ही तुम्हारे पास आ जाऊंगी फिर दूसरे दिन किसान अपने खेत पर हल जोतने गया तो वही कुदाल उसके हाथ में थी जिससे सांप कटा था उस पर अभी भी सांप का खून लगा हुआ था वह नागिन वहीं बैठकर देख रही थी कि किसने मेरे पति को मारा है जब नागिन ने उस कुदाल को देखा तो वह समझ गई कि इस किसान ने ही मेरे पति और बच्चे को मारा है किसान जब दोपहर को घर गया तो फिर नागिन भी उसके पीछे पीछे उसके घर गई लेकिन किसान के अंदर जाते ही उसकी पत्नी ने दरवाजा बंद कर लिया अब नागिन बाहर ही किसान का इंतजार करने लगी फिर थोड़ी देर बाद किसान खाना खाकर

(19:54) खेतों पर चला गया और नागिन खिड़की के रास्ते घर के अंदर चली गई और एक कोने में बैठ गई उसने देखा कि किसान का बेटा खेल रहा है किसान की पत्नी अपने कामों में लगी थी किसान का बच्चा अकेला था मौका देखकर नागिन ने किसान के बेटे को डस लिया वह नागिन बच्चे को काटकर जैसे ही बाहर निकली तभी किसान आ गया और उसने नागिन को जाते हुए देख लिया और वह चिल्लाया कि नागिन ने मेरे बेटे को डस लिया किसान की पत्नी ने भी नागिन को देखा और वह दौड़कर अपने बच्चे के पास गई इधर किसान सोचने लगा कि जरूर वह वही नागिन है जो मुझसे बदला लेने आई थी किसान और उसकी पत्नी ने देखा कि उनके

(20:43) बेटे को नागिन डस गई थी वह जोर-जोर से रोने लगे और थोड़ी देर बाद ही बच्चे की मृत्यु हो गई अपने बेटे की मृत्यु के बाद दोनों पति पत्नी बहुत दुखी रहने लगे एक दिन किसान ने अपनी पत्नी को समझा कि अब यह सांप का बच्चा ही हमारा बेटा है हम इसे ही अपना बेटा समझकर खुश रह लेंगे उधर नागिन बहुत खुश थी कि उसने अपना एक बदला तो पूरा कर लिया फिर एक दिन नागिन किसान की पत्नी को काटने के लिए घर में आ गई और छिपकर बैठ गई वहां का दृश्य देखकर वह आश्चर्य चकित रह गई उसने देखा किसान और उसकी पत्नी सांप के बच्चे को दूध पिला रहे हैं यह देखकर

(21:29) नागिन रोने लगी और सोचने लगी कि यह मैंने क्या कर दिया यह तो मेरे बच्चे को कितने प्यार से पाल रहे हैं और मैंने इनके बच्चे को ही मार दिया किसान से तो अनजाने में पाप हुआ था और मैंने जानबूझकर इनके बच्चे को मार दिया अगर मैंने यह सब पहले देख लिया होता तो मैं इनके बच्चे को नहीं मारती नागिन को बहुत पश्चाताप हो रहा था फिर उसने अपने आप को संभाल लिया और सोचने लगी कि इन्होंने अपना बच्चा खोया है तो मैंने भी तो अपना पति खोया है और वह नागिन वहां से चली गई एक दिन नागिन ने सोचा कि देखती हूं कि किसान और उसकी पत्नी मेरे बच्चे को अपने बेटे की तरह पालते हैं या

(22:16) नहीं फिर वह एक दिन छिप कर आई और अपने बच्चे को देखने लगी कुछ दिन देखने के बाद वह समझ गई कि यह लोग मेरे बच्चे को अपने बच्चे की तरह ही प्यार करते फिर वह नागिन एक शिव मंदिर में गई और भगवान शिव से प्रार्थना करने लगी हे भगवान मैंने अनजाने में इनके बच्चे को मार दिया आप इन्हें एक बच्चा दे दीजिए किसान की पत्नी की गोद भर दीजिए नागिन रोरो करर भगवान शिव से प्रार्थना कर रही थी कहते हैं कि भगवान शिव नाग नागिन की प्रार्थना जल्दी सुनते हैं तभी किसान के घर एक सेठानी आई और उनकी गोद में एक बच्चा था सेठानी ने किसान से कहा आप हमारे बच्चे को

(23:03) बचा लो इसे नागिन ने काट लिया है और हमारे पीछे गुंडे भी पड़े हैं वह हमारे बच्चे को छीन लेंगे अगर तुम हमारे बच्चे को बचाओगे तो भगवान तुम्हारा भला करेंगे किसान ने उनकी बात मान ली और वह सेठानी किसान को बच्चा देकर वहां से चली गई अब किसान और किसान की पत्नी बहुत दुखी हुए क्योंकि उन्हें अपने बच्चे की याद आ गई कि हमारे सामने फिर वही हालात है और वह भगवान से प्रार्थना करने लगे कि हे भगवान इस बच्चे की रक्षा कीजिए तभी किसान ने देखा कि वही नागिन खिड़की पर बैठी थी और उसने एक मणि नीचे गिरा दी किसान ने उस मणि को उठा लिया और जहां उस बच्चे को नागिन ने काटा था वहां

(23:52) उसे लगा दिया उस मणि ने सारा जहर चूस लिया और बच्चे को होश आ गया वह बच्चा फिर से जीवित हो उठा दोनों पति-पत्नी बच्चे को देखकर बहुत खुश हो गए लेकिन साथ में सोच रहे थे कि सेठ जेठानी आएंगे तो वह अपने बच्चे को ले जाएंगे फिर दूसरे दिन किसान अपने खेत पर जा रहा था तो रास्ते में उसने देखा कि सेठ सेठानी तो रास्ते में मरे पड़े थे अब उस बच्चे का कोई भी नहीं था अब किसान और उसकी पत्नी उस बच्चे की परवरिश करने लगे वह बहुत खुश थे कि फिर से हमारे दो बेटे हो गए एक दिन नागिन के मन में विचार आया कि जाकर देखूं कहीं ऐसा तो नहीं कि उन्हें

(24:36) बच्चा मिल गया तो वह मेरे बच्चे के साथ दुर्व्यवहार करने लगे हो फिर उस नागिन ने साधु बाबा का भेस रखा और किसान के घर गई तो किसान की पत्नी ने उन्हें अंदर बैठाया और भोजन की व्यवस्था करने लगे फिर साधु बाबा ने पूछा कि बेटी तुम्हारे कितने बेटे हैं तब किसान की पत्नी ने कहा बाबा मेरे दो बेटे हैं तब साधु बाबा ने कहा लेकिन तुम्हारा तो एक ही बेटा दिखाई दे रहा है दूसरा तो दिख ही नहीं रहा है तब किसान की पत्नी ने कहा नहीं बाबा मेरे तो दो ही बेटे हैं फिर साधु बाबा ने कहा बेटी मुझे यहां किसी सांप की महक आ रही है यह सुनकर किसान की पत्नी हैरान रह गई और कहने लगी

(25:22) नहीं बाबा यह सांप नहीं हमारा बेटा है तो उन बाबा ने कहा तुम यह सांप मुझे दे दो नहीं तो मैं तुम्हें मार दूंगा किसान की पत्नी जोर-जोर से रोने लगी और कहने लगी बाबा मैं अपने बच्चे को नहीं दूंगी आपको और जो चाहिए वह ले लो लेकिन हम अपने बच्चों को नहीं दे सकते यह सांप का बच्चा भी हमारा बेटा है बाबा ने उन्हें धमकी दी कि मैं तुम्हें और तुम्हारी पत्नी को मार दूंगा तब किसान ने कहा बाबा आप मेरी जान ले लीजिए लेकिन मेरी पत्नी को छोड़ दीजिए क्योंकि मेरे बच्चे अभी बहुत छोटे हैं उन्हें अपनी मां की जरूर है और वही उन्हें पाल सकती है तब साधु बाबा ने कहा तो जो मण

(26:09) तुम्हारे पास है वह मुझे दे दो तब किसान ने कहा ठीक है बाबा मैं उस मढी का क्या करूंगा किसान ने वह मढी उन्हें दे दी वह लेकर बाबा घर से बाहर निकल आए और वह नागिन अपने असली रूप में आ गई और उसने सोचा किसान और उसकी पत्नी मेरे बच्चे को बहुत प्यार करते हैं और अपने बच्चे की तरह ही पालते हैं अब उसका भ्रम दूर हो चुका था फिर वह अपने पति के पास गई और कहा आज मेरा वचन पूरा हो गया अब मैं तुम्हारे पास आ रही हूं अब मेरे जीने का कोई मतलब नहीं है और उस नागिन ने अपने पति के पास ही अपने प्राण त्याग दिए फिर थोड़ी देर बाद किसान बाहर निकला तो देखा कि वह नागिन मरी पड़ी

(26:57) है और वह व मण भी उसके पास पड़ी है फिर किसान सारी बात समझ गया कि यह वही नागिन है यह हमारी परीक्षा लेने आई थी और अपने बच्चे को देखने आई थी फिर किसान और उसकी पत्नी दोनों ने मिलकर नाग नागिन का अंतिम संस्कार कर दिया जिससे उनकी मुक्ति हो गई अब किसान और उसकी पत्नी अपने दोनों बच्चों के साथ सुख पूर्वक रहने लगे और नागिन की दी हुई मणि के कारण उनको किसी प्रकार की कोई कमी ना रही जय हो भगवान शिव की जय हो नाग देवता की


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