नाग देवता ने बचायी गाय की जान | Nag Panchami | Hindi Kahani | Moral Stories | Bhakti Stories |Kahani

  नाग देवता ने बचायी गाय की जान | Nag Panchami | Hindi Kahani | Moral Stories | Bhakti Stories |Kahani 


सीतापुर नमक गांव में महेश्वर माधवी नाम के पति पत्नी रहते थे वे दोनों भगवान शंकर में बहुत विश्वास रखते थे और उनकी बहुत पूजा किया करते थे उनके पास दो गे थी जिनकी वह बहुत सेवा किया करते थे रोजाना सुबह गे को नहलाना धुलना साफ सफाई उनको चार डालना सब कम वे दोनों मिलकर किया करते थे गे जो दूध देती थी उसे दूध से वह रोजाना भगवान शंकर का अभिषेक किया करते थे और उसके पश्चात वह दूध गांव वालों को बेचा जाता था ओम नमः शिवाय ओम नमः शिवाय ओम नमः शिवाय ओम नमः शिवाय ओम नमः शिवाय जय भोले बाबा की सुनो रास्ते में हरि घास खरीदनी है याद है ना मुझे पता है मेरी

(01:10) दोनों प्यारी गे भजन का इंतजार कर रही होगी अभी बस ताज भूसा और हरि हरि घास खरीद लेते हैं उन दोनों को भी पता है हम मंदिर से वापसी जाते हुए उनके लिए चार खरीद कर ले जाते हैं वो दोनों भी दूर से ही शोर मचा देती है महेश्वर माधवी मंदिर से वापसी जाते हुए अपनी दोनों गायों के लिए अनाज और हरि हरि घास खरीद कर ले जाते थे और जैसे ही वो घर पहुंचने थे दोनों गे मानो उन्हें आवाज लगा रही हूं उन्हें अपने भजन की खुशबू पहले ही ए जाति थी वह देखो दोनों हमें आवाज लगा रही है थोड़ा साफ कर लूं मैं तब तक घर में दूध लेकर आता हूं बहुत खुशियां थी वह जितना भी कमाते थे

(01:56) उतने में ही संतोष करते थे दोनों गे भी अपने मलिक को बहुत अच्छे से पहचानती थी इसलिए वह भी बहुत खुश थी और महेश सो कर उठे तो उन्होंने देखा उनकी दोनों गे खूंटी से नहीं बंदी हुई है दोनों गे गायब हैं मेरा तो बड़ा मां घबरा रहा है हमारी दोनों गैस सुरक्षित हो दोनों का कुछ पता नहीं चल रहा है हरिया चाचा आपने मेरी दोनों गे अच्छी कहानी इधर-उधर घूमती भी नजर आई हूं आपको नए बेटा मैंने तुम्हारी दोनों गे नहीं अच्छी क्या हुआ तुम बहुत घबराए हुए हो शांति दें क्या तुमने हमारी दोनों गे अच्छी उनका कहानी पता नहीं चल रहा पता नहीं घर से कहां गायब हो गई है नहीं

(02:44) माधुरी मैंने तुम्हारी गे नहीं अच्छी कल शाम को तो मैंने देखा था वही तुम्हारे आंगन में ही बंदी हुई थी हमारी गे कहां गई गांव में कुछ पता नहीं चल रहा कौन ले गया होगा है शंभू हमारी मदद करो पर उनकी दोनों गे कहानी भी नहीं मिलती किसी को भी उनके बड़े में कुछ पता नहीं था महेश माधवी को घर जान का कहकर गांव से दूर शहर की सड़क पर अपनी गे देखने के लिए निकाल जाता है चलते-चलते उसे एक बैलगाड़ी वाला दिखाई देता है जी पर तीन आदमी दिखाई दिए थे उनके पास दो गे थी कहानी ऐसा तो नहीं की तुम उन्हें के बड़े में पूछ रहे हो वह तो अब तक शहर के करीब पहुंच गए होंगे

(03:39) है महादेव जैसा मैं सोच रहा हूं वैसा ना हो अब मैं क्या करूंगा मेरी दोनों गे उनके साथ क्या हुआ होगा उनका क्या हाल किया होगा महेश ना चाहते हुए भी सोच में पद जाता है उसे पक्का पता था की उसकी दोनों गे किसी कसाई ने चूड़ा ली है और वो अपने साथियों के साथ उन्हें ट्रक में शहर ले जाकर मार देगा वो रोटा हुआ घर आता है और साड़ी बात माधवी को बताता है हमारी दोनों गे पता नहीं डर इन दोनों के साथ क्या किया होगा हिम्मत मत मारो आपने रोजाना सुबह अपनी दोनों गायों के दूध से भगवान भोलेनाथ का अभिषेक किया है वह हमारी दोनों गायों को कुछ नहीं होने देंगे वह

(04:17) हमारी मदद जरूर करेंगे माधुरी और महेश भगवान शंकर के मंदिर जाते हैं और प्रार्थना के लिए बैठ जाते हैं उधर वह तीनों आदमी जी ट्रक में गायों को लेकर जा रहे थे वह ट्रक खराब हो जाता है और ट्रक के परियों की हवा भी निकाल जाति है तीनों ट्रक से नीचे उतरते हैं और ट्रक को ठीक करने लगता हैं अब तो उसको ठीक करने में बहुत समय ग जाएगा एक कम करते हैं इन गायों को पैदल ही जंगल के रास्ते ले चलते हैं और वहीं इन्हें मार देंगे अगर यहां किसी ने देख लिया तो हमें पकड़ लेंगे और जय में बैंड कर देंगे ओ भाई तुम ठीक करो चलो इन्हें नीचे उतरते हैं

(04:53) दोनों गे खिलाकर इतनी भारी कर दी है की नीचे उतारने में ही नहीं ए रही हैं आज इनका कम तमाम कर देंगे तीनों का सही दोनों गायों को जंगल में ले जाते हैं और पेड़ से बंद जैसे ही वो तीनों गायों को काटने की तैयारी करने लगे अचानक उनमें से एक कसाई चिल्लाकर चिक पड़ा उसे एक नाग ने कैट लिया और वो वही तड़प कर मा गया अचानक अपने साथी के पास एक बड़ा ने देखकर दोनों कसाई घबरा गए वहां से गायों को छोड़कर भागने लगे जैसे ही उन्होंने पीछे मुड़कर देखा डॉन नाग नागिन उनकी और बाढ़ रहे थे दोनों कसाई वहां गायों को छोड़कर भाग गए जैसे ही दोनों कसाई वहां से भाग गए नाग नागिन की

(05:33) गायब हो गए कुछ डर बाद वहां से कुछ ग्वाले निकाल रहे थे उन्होंने गायों को बंदे हुए देखा तो उनकी हा खोल दी दोनों गे अपने मलिक का पता जानती थी वह सीधे अपने घर पहुंच गई अपनी दोनों गायों की आवाज को सुनकर महेश्वर माधवी भागते हुए आंगन में सब भोले भंडारी का चमत्कार है आज उन्हें के करण हमारी गे जीते थे दोनों गे भी अपने मलिक से ऐसे लिपट रही थी मानो वह कब से बिछड़े गांव वाले भी ये नजर देख रहे थे महेश्वर माधवी भगवान शंकर को धन्यवाद देते हैं आज भगवान शंकर के आशीर्वाद से सचमुच नाग देवता अपनी नागो की सी के साथ गायों की मदद के लिए धरती पर ए

(06:27) गए थे प्राचीन कल में एक सेठ जी थे जिनके साथ पुत्र थे सातों की शादी हो चुकी थी सबसे छोटे पुत्र की पत्नी सुमन बहुत ही दयालु स्वभाव की थी परंतु उसे हमेशा इसी बात का दुख था की उसका कोई भाई नहीं था एक दिन शेर जी की सबसे बड़ी बहू ने अपनी देवरानियों से कहा घर लीपने के लिए पीली मिट्टी लानी है तुम सब मेरे साथ चलो सभी बहुएं टोकरी और कुल्फी लेकर मिट्टी खोदने चल पड़ती है सभी बहुएं मिट्टी खोज रही थी तभी वहां एक सांप निकाला जिसे देख बड़ी बहू डर गई और उसे सांप को खुरपी से करने की कोशिश करने लगी यह देखकर छोटी बहू ने उसे सांप को करने से रॉक लिया भाभी इसे

(07:15) छोड़ दो इसे मत मारो मां में इतनी दया जैसे तुम्हारा कोई सागा संबंधी हो छोटी बहू की बात सुनकर बड़ी बहू ने उसे नहीं मारा डिसाइड किया तब छोटी बहू ने उसे नाग से कहा हम अभी लोट कर आई है तुम यहां से कहानी मत जाना यह कहकर छोटी बहू सबके साथ मिट्टी लेकर घर चली गई और वहां कामकाज में फैंस कर नाग से किया वादा भूल गई जब छोटी बहू को दूसरे दिन वो बात याद आई तो वो हाथ में दूध का कटोरा लेकर तुरंत नाग के पास पहुंची उसने देखा वो नाग इस स्थान पर बैठा है वो उसे नाग से बोली नाग भैया नमस्कार तुम मुझे भैया का चुकी है इसलिए मैं तुझे माफ कर देता हूं नहीं तो झूठी बात खाने के

(08:06) करण तुझे दुष्ट लेट [संगीत] मुझे आपके रूप में भाई मिल गया मुझे और कुछ नहीं चाहिए भैया [संगीत] मनुष्य का रूप लेकर सुमन के घर आया और बोला मेरा नाम नागार्जुन है मैं अपनी बहन सुमन को लेने आया हूं कृपया करके मेरी बहन को भेज दो और हमारी बहू का तो कोई भाई नहीं है मैथ्स का चचेरा भाई हूं बचपन में ही बाहर पढ़ने चला गया था ब्याह के वक्त में गांव में नहीं था और च ठीक है और सुमन और बहू तुम्हारा भाई नागार्जुन तुम्हें लेने आया है कुछ दिन भाई के घर है आओ नाग छोटी बहू के कमरे में गया और उसे अपने बड़े में बता दिया छोटी बहू उसके साथ चलती

(09:04) रास्ते में नाग उससे बोला बहन मैं अपने असली रूप में ए रहा हूं तू डरना नहीं और जहां चलने में कठिनाई हो वहां मेरी पूछ पकड़ लेना [संगीत] छोटी बहू अपने भाई नाग के कहीं अनुसार उसकी पूछ वहां की धनेश्वरी को देखकर वह चकित र गई मां पिताजी यह मेरी बहन सुमन है अब यह कुछ दिन हमारे साथी रहेगी यह तो बहुत अच्छी बात है बेटा आओ बेटी अब कुछ दिन आराम से अपने भाई के घर रहो एक दिन नाग की माता नाग को दूध दे रही थी तभी सुमन बोली मां आज मैं भैया को दूध ले आऊं ठीक है बेटा जा सुमन ने गलती से नाग को गम दूध पीला दिया जिससे उसका मुंह जल गया सुमन तुमने यह

(09:51) क्या किया तुम जानती भी हो तुम्हारा भाई नाग ग्राम दूध नहीं पी सकता देखो ग्राम दूध पीने से बेचारे का मुंह जल गया मुझे बड़ी भारी भूल हो गई मौत कोई बात नहीं बहन तुम्हें कहां पता था की मैं ग्राम दूध नहीं पिता कोई बात नहीं बेटी अब तुम उदास मत हो ऐसे ही कुछ दिन मायके में रहने के बाद नाग और उसके माता-पिता ने सुमन को बहुत सा सोना चांदी जावा रात वस्त्र भूषण आदि देकर उसके घर पहुंच दिया इतना देर सर धन देकर बड़ी बहू ने ईर्ष्या से कहा सुमन तेरा भाई तो बड़ा धनवान है तुझे तो उसे और विधान लाना चाहिए उसने सुमन को सब बस में सोनी की लाकर दे

(10:30) दी यह देखकर बड़ी बहू ने कहा हम अब इन सोनी की वस्तुओं को झड़ना के लिए झाड़ू भी सोनी की हनी चाहिए यह सुनकर नाग ने झाड़ू भी सोनी की लाकर रख दी नाग ने सुमन को हीरे और बदिया से जड़ाई कद्भूत हर दिया था उसकी प्रशंसा उसे देश की रानी ने भी सनी और वो राजा से बोली महाराज हमारी दासी ने बताया है नगर के सेठ की छोटी बहू सुमन के पास हीरे मानो से जड़ाई कार है हमें वो हर चाहिए नहीं तो हम आपसे बात नहीं करेंगे वो हर लेकर शीघ्र उपस्थित हो और मंत्रियों को देखकर से डर गया और डर के करण सेठ ने छोटी बहू सुमन से हर मांगा कर सैनिकों को दे दिया सुमन को यह बात बहुत

(11:18) बुरी लगी उसने अपने नाग भाई को याद किया तो नाग वहां प्रकट हुआ [संगीत] पहने वैसे ही वह गले में नाग बन गया उसने हर को नाग समझ कर उतार फेंका राजा ने सुमन को सेठ के साथ अपने महल में बुलाया और बोला है मैं तुझे इस अपराध के लिए कठोर दंड दूंगा हीरो और मानो का राहत है और दूसरे के गले में सर बन जाता है वैसे वह हीरो मंदिरों का हो गया यह देखकर राजा को विश्वास हो गया और उसने प्रश्न होकर सुमन को देर साड़ी मुड़े पुरस्कार में दी छोटी बहू घर लोट आई उसके धन को देखकर बड़ी बहू ने ईर्ष्या के करण उसके

(12:22) पति से कहा देवरा जी बड़ा एन मानो तो एक बात कहूं बोलो क्या बात है अचानक से भाई पैदा हो गया और उसने अपनी प्यारी बहन को इतने धन दौलत देकर विदा किया बात कुछ है जब नहीं हुई बड़ी बहू ने अपने देवरा को अपनी देवरानी सुमन के लिए बहुत अच्छे से भड़का दिया था पर तभी सुमन भी वहां जाति है और साड़ी बातें सुन लेती है वह अपने भाई नाग को याद करके रन लगती है इस समय नाग वहां प्रकट होता है उसे देखकर सब लोग डर जाते हैं और आज आपने अपनी बहन की लॉज रख ली भैया बड़ी बहू अपने व्यवहार पर बहुत शर्मिंदा हुई सब ने मिलकर हाथ जोड़कर नाग देवता से

(13:17) क्षमा मांगी और नाग देवता का स्वागत सत्कार किया ऐसी मान्यता है की उसे दिन से नाग पंचमी का त्योहार मनाया जान लगा इसी करण देवता की पूजा करती है [संगीत]


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