रक्षाबंधन की कहानी | Raksha Bandhan Ki Kahani | Hindi Kahaniya | Bhakti Kahani | Bhakti Stories -
रक्षाबंधन की कहानी | Raksha Bandhan Ki Kahani | Hindi Kahaniya | Bhakti Kahani | Bhakti Stories -
हमारी हिंदू धर्म में बहुत से त्योहार की एक अलग विशेषताएं जैसे की रक्षा बंधन का त्योहार जो की हर साल श्रवण मास की पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है [संगीत] का भाग नाप कर धरती और पाताल को नाप लिया था दूसरा पग उठाकर भगवान विष्णु ने
(01:09) समर्स्ट नक्षत्रमंडल और आकाश को नाप लिया था तीसरा पग उठाने से पहले भगवान विष्णु बाली से बोले तुम जानते हो बाली मैंने तीन पेग भूमि मांगी थी तीसरा पग रखना के लिए कोई स्थान ही शेष नहीं र गया अब मैं अपना तीसरा पग कहां रखूं जानता हूं प्रभु अपने दो पग रखकर पुरी सृष्टि मेरा राजपत मेरे द्वारा जीते हुए सारे क्षेत्र ले लिए हैं और राजा बाली ने दान करने का जब भी संकल्प लिया है उसे सदा पूरा किया है इसलिए अभी भी एक स्थान शेष है जो मेरा है वो है मेरा शरीर आप मेरे शीश पर अपना तीसरा पधारिए ताकि संसार ये जान ले की बाली अपना वचन
(01:59) निभाना जानता है कृपा करके उठाइए अपना पग और धार दीजिए मेरे शीश पर है बाली यदि तुम यही चाहते हो और तुम्हें लगता है की तुम्हारा उधर इसी में है तो मैं तुम्हारे शीश पर अपना बग्घरता हूं भगवान विष्णु ने वामन रूप में राजा बाली के सर पर अपना पगधारा और बाली पाताल में समता चला गया भगवान विष्णु ने तीन पग में ही पुरी धरती नपाली और राजा बाली को रहने के लिए पाताल लोक दे दिया और वरदान मांगने को कहा है राजा बाली तुम्हारी ये भक्ति देखकर मैं अति प्रश्न हूं तुम्हें जो चाहिए तुम मुझे मांग सकते हो है भगवान [संगीत] पाताल लोग में
(03:03) तथास्तु भगवान विष्णु मुस्कुराए उन्होंने राजा बाली की इस इच्छा को पूर्ण कर दिया और राजा बाली को यह वरदान दिया उसके बाद भगवान विष्णु राजा बाली के साथ पाताल लोक में ही रहने लगे इससे माता लक्ष्मी चिंतित हो गई और नारद जी को साड़ी बात बताई नारायणराया देवासी नारद आप ही बताइए मैं क्या करूं प्रभु पाताल लोक में राजा बाली के साथ ही रहने लगे हैं मेरा मां अत्यंत चिंतित है उन्हें वापस लाने का कोई तो उपाय होगा विष्णु को अपने साथ रहने का वरदान प्राप्त किया था और उनसे उन्हें को मांगा था वैसे ही अब प्रभु को वापस लाने के लिए आपको
(03:54) राजा बाली से भगवान विष्णु को मांगना होगा भगवान विष्णु को वापस लाने का एक उपाय मैं आपको बता सकता हूं माता आप राजा बाली को अपना भाई बना लीजिए और भगवान विष्णु को मांग लीजिए जब आप राजा वाले को रक्षा सूत्र में बंद देगी तो वो आपसे उपहार मांगने के लिए रहेगा तब आप भगवान विष्णु को ही मांग लेना यह विचार उत्तम है मैं अभी राजा बाली के पास जाति हूं अब मैं प्रभु को लेकर ही बैकुंठ लौटेगी नरक जी की बात से सहमत होकर माता लक्ष्मी राजा बाली के पास एक ब्राह्मणी का भेस बादल कर गई और उनके पास जाते ही रन लगी क्या हुआ बहन तुम रो क्यों रही हो आपने
(04:48) मुझे बहन बुलाया बहन सुनने के लिए मेरी कान तरस गए भैया मैं इसीलिए रो रही थी क्योंकि मेरा कोई भाई नहीं है आज अगर मेरा भाई होता तो वह मेरी सहायता अवश्य करता मैं तुम्हारा भाई हूं इसके पश्चात माता लक्ष्मी ने राजा बाली को राखी बंदी बहन बहुत से तुम मेरी बहन हो मैंगो उपहार में तुम्हें क्या चाहिए और तुम्हें क्या सहायता चाहिए थी अब तो मैं तुम्हारा भाई बन गया हूं मुझे अपनी परेशानी कहो मैं तुम्हारी हर प्रकार से सहायता करूंगा बहन भैया जी के बिना मेरा जीवन सोना है तुम्हारे पति पर वो कहां है कहानी किसी मुसीबत में है क्या यदि ऐसा है तो मैं अभी अपने
(05:44) सैनिकों को आदेश देता हूं की वो तुम्हारे पति को ढूंढने में ग जाए और मैं स्वयं तुम्हारे पति को ढूंढने के लिए जाऊंगा बहन तुम चिंता मत करो तुम्हारा यह भाई अपनी बहन के द्वारा बंदे गए इस रक्षा सूत्र की लॉज अवश्य रखेगा और अपना कर्तव्य निभाएगा मैं यह बात अच्छे से जानती हूं पर मेरे पति कहानी और नहीं यही है साक्षात भगवान विष्णु आप मुझे मेरा पति लोटा दो भैया मैं का कर देवी लक्ष्मी अपने रूप में वापस ए गई उन्हें अपने समक्ष देखकर राजा बाली हैरान र गए और उन्होंने दोनों हाथ जोड़कर देवी लक्ष्मी को प्रणाम किया तभी भगवान विष्णु भी वहां गए
(06:31) लक्ष्मी की मुझे आपका भाई बने का सौभाग्य प्राप्त हुआ बहन मैं आपकी इच्छा अवश्य पुरी करूंगा आप भगवान विष्णु को अपने साथ ले जाइए राजा बाली तुमने भाई के कर्तव्य को भाले भांति निभाया है इसीलिए आज श्रवण मास की पूर्णिमा का यह दिन रक्षाबंधन के नाम से जाना जाएगा यह त्योहार भाई और बहन के अनमोल रिश्ते का प्रतीक होगा धन्य है प्रभु आप दोनों की जय हो प्रभु अब तो आप दोनों मेरे संबंधी हो गए हैं तो कुछ दिन और पाताल लोक में रहे ताकि मैं आप दोनों की सेवा का लाभ उठा सुकून राजू बाली की बात सुनकर भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी मुस्कुरा दिए और रक्षा बंधन से लेकर
(07:25) धनतेरस तक भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी पाताल लोक में रहे इस तरह देवी लक्ष्मी भगवान विष्णु को फिर से बैकुंठ लोक लेकर लोट आए तभी से रक्षाबंधन और खूब धूमधाम से रक्षाबंधन का यह त्योहार मनाया जान लगा श्री चंद नाम का एक व्यक्ति भगवान गणेश का बहुत बड़ा भक्ति था वह भगवान गणेश के बुधवार के व्रत रखना था एक रात जब वह सो रहा था तब भगवान गणेश उसके स्वप्न में आई और बोली गणेश जी श्री चंद तुम मेरे बुधवार के व्रत और पूजा सच्चे हृदय से करते हो मैं चाहता हूं तुम आने वाले बुधवार के दिन एक बालक को अपने घर भजन के लिए आमंत्रित करके उसे प्रेमपूर्वक भजन करो जिससे
(08:21) तुम्हारे घर में सुख समृद्धि धन-धन्य का वास होगा अपनी पत्नी निर्मला से कहीं सृजन की पत्नी निर्मला स्वभाव से बहुत कंजूस थी वह कभी भी किसी को दान पुण्य नहीं करती थी तुम भी क्या सपनों के ऊपर विश्वास करने लगता हो ऐसे तो फिर हमारे भंडार भरे होते अगर ऐसे ही रोजाना तुम्हारी दान पुण्य का कार्यक्रम चला रहा तो जो थोड़ा बहुत घर में है वह सब भी लूट देंगे और फिर एक बालक को ही तो भजन करना है एक थाली किसी को भजन दे भी दिया तो तुम्हारा क्या बिगड़ जाएगा ठीक है ठीक है बुधवार तो आने दो देख लेंगे श्रीचंद को पता था निर्मला फिर से इस शुभ कार्य के लिए
(09:04) आनाकानी करेगी इसलिए वह उसे दोबारा याद दिलाता है कल बुधवार का दिन है तुम्हें याद है ना हमें कल किसी एक बच्चे को भगवान गणेश के नाम का भजन खिलाना है तो तुम एक कम करना कल जाकर किसी एक छोटे बच्चे को ले आना हम उसे प्रेमपूर्वक भजन खिलाएंगे किसी एक बच्चे को ही तो खाना खिलाना है बच्चा चाहे छोटा हो या फिर बड़ा मतलब तो खाना खिलौने से ही है यदि मैं बहुत छोटे बच्चे को खाना खिलाऊंगी तो वो खाना कम खाएगा शाम के वक्त मैदान में बच्चे खेल रहे होते हैं वहीं जाकर देखते हूं किसी एक बच्चे को कल भजन के लिए आमंत्रित कर दूंगी अच्छा किसी
(09:41) छोटे बच्चे को भजन खिलौने के लिए तुम इतना सोच रही हो फिर तो मुझे लीला रचनी ही होगी आखिर मेरे नाम का भजन है तो मैं भला पीछे कैसे र सकता हूं मैं ही तो आमंत्रित हूं शाम को जहां बच्चे खेलने थे निर्मला वहां जाकर सबसे छोटा बच्चा ढूंढने लगती है अब मुझे एक छोटे बच्चे का रूप ले लेना चाहिए यहां तो बहुत सारे बच्चे हैं देखते हूं इनमें से कोई छोटा बच्चा मिल जाए भगवान गणेश ने देखा की निर्मला एक छोटा बच्चा ढूंढ रही है तो उन्होंने भी एक छोटे से बच्चे का रूप ले लिया और वो सभी बच्चों के बीच खेलने लगे निर्मला की नजर उसे छोटे से
(10:19) बच्चे पर गई वो रहा छोटा बच्चा बेटा सुनो कल तुम मेरे घर खाना खाने ए सकते हो मैं तुम्हें भजन के लिए आमंत्रित करती हूं यही पास में मेरा घर है तुम अपने घर में पूछ कर ए जाना ठीक है मां मैं कल भजन के लिए जरूर आऊंगा चलो अच्छा है यह छोटा बच्चा मिल गया मेरा कम आसन हो जाएगा अगले दिन जब भगवान गणेश जी छोटा सा बालक बनकर निर्मला के घर गए तो निर्मला ने उनके सामने दो पुरी और हवा थोड़ी सी सब्जी और थोड़ी सी खीर परोस दी गणेश जी ने फटाफट उसे भजन को का लिया और कहा मां भजन तो बहुत ही स्वादिष्ट बना है पर अभी और भजन खाने की इच्छा है ऐसा ग
(11:00) रहा है मैं तो अभी भूख ही हूं निर्मला रसोई में से जाकर और भजन ले आओ लगता है इस बच्चे को भजन बहुत ही स्वादिष्ट लगा है छोटे बच्चे तो भगवान का रूप होते हैं इस बालक को हमारे द्वारा भरोसा गया भजन पसंद आया है ये हमारे लिए बहुत ही प्रसन्नता की बात है अच्छा कोई बात नहीं बेटा तुम तब तक यह खीर खाओ मैं और भजन लाती हूं निर्मला बालक के सामने भजन परोसती जाति और भगवान गणेश बालक रूप में भजन को फटाफट खत्म करते जाते मैं अभी भी भूख हूं मां मुझे और भजन चाहिए निर्मला कुछ भी समझ नहीं का रही थी जितना भी भजन निर्मला ने बनाया था गणेश जी
(11:40) सभी का जाते हैं और फिर बोलते हैं मां मैं तो अभी भूख हूं निर्मला को गुस्सा ए जाता है वह बोलती है अब तुझे क्या डन जितना खाना भी मैंने बनाया था सब ले आई हूं तू तो सर खाना जा रहा है निर्मला मुझे तो यह कोई चमत्कारी बालक दिखाई पड़ता है और फिर भी अतिथि तो भगवान का रूप होते हैं हमें इस बालक की बात को मानना ही होगा ये जैसा कहता है हमें वैसा ही करना होगा मां तुम्हारे घर में अभी भजन खत्म नहीं हुआ है भंडार घर में मूंग और चावल रखें हैं घर में दही रखा है वो सब भी ले आओ इस बालक को कैसे पता की हमारे यहां क्या-क्या रखा है कुछ समझ नहीं ए रहा मुझे तो सचमुच इस बालक
(12:20) पर बहुत गुस्सा ए रहा है सब कुछ तो इसके आगे रख दिया है यह तो सब खाता जा रहा है घर में जो डालें राखी है ना वो भी ले आओ निर्मला डालें भी लेकर ए जाति है भगवान गणेश दाल और आता भी का जाते हैं मां वो सामने रसोई घर में जो गेहूं की बोरी राखी है ना वह भी ले आओ यह बालक है या कोई भूत डेथ जिसको मैं घर में ले आई हूं मैं तो छोटा सा बच्चा समझ कर लाई थी की ये कम खाएगा है राम अब मैं क्या करूं और करो बालक को भजन पर अमन से प्रभु मैं जान गया हूं यहां पर इस छोटे से बालक के रूप में निर्मला को संदेश देना चाहते हैं पर निर्मला सचमुच घबरा रही है प्रभु उसे
(13:00) क्षमा कीजिए निर्मला रन ग जाति है और उसके घर में जब एन का एक दाना भी नहीं राहत तो गणेश जी प्रकट हो जाते हैं सामने भगवान गणेश को देख श्री चंद अपने हाथ जोड़ लेट है निर्मला भी उसे बालक को गणेश जी के रूप में देखकर चौक जाति है गणेश जी कहते हैं मां भजन खिलौने में कैसी कंजूसी तुम्हें सिर्फ एक बच्चे को खाना खिलाना था और उसमें भी तुमने सबसे छोटा बच्चा ढूंढने के बड़े में सोचा इसलिए मैंने एक बालक के रूप में आकर तुम्हें सबक देना चाहा कभी भी किसी अतिथि को भजन के लिए आमंत्रित करो तो अपने सच्चे हृदय से बिना कपाट किया भजन प्रोसे प्रेमपूर्वक दान पुण्य आदि करने से
(13:40) घर में सुख समृद्धि धन वैभव अन्य आदि के भंडार भरे रहते हैं प्रभु मुझे क्षमा कर दीजिए मैं कभी भी कंजूसी नहीं करूंगी सदैव इच्छा अनुसार दान पुण्य करती रहूंगी और अतिथि को भजन खिलौने में भी कभी-कभी निर्मला को आशीर्वाद देते हैं गणेश जी ने जो भी खाया था उसे समाज का चोगन कर दिया घर से जाते समय भगवान गणेश ने निर्मला के घर की जमीन पर एक लात मेरी जिससे उसे पुरानी घर की जगह सुंदर महल बन गया श्री चंद को अपने भक्ति का फल मिल गया और निर्मला को भी सिख मिल गई
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