शिव जी हुए बीमार | Shiv Ji Huye Bimar | Hindi Kahani | Bhakti Kahani | Bhakti Stories | Shiv Bhakti -

 शिव जी हुए बीमार | Shiv Ji Huye Bimar | Hindi Kahani | Bhakti Kahani | Bhakti Stories | Shiv Bhakti - 



ओम नमः शिवाय ओम नमः शिवाय जय जय शिवशंकर जय जय शिवशंकर जय जय शिवशंकर जय मेरे भोले भंडारी यह है सागर और रीना जो कि शिवजी के बहुत बड़े भक्त थे व हर रोज सुबह तड़के उठकर शिवजी के मंदिर जाकर उनकी पूजा पाठ करते एक रोज मंदिर से लौटने की कुछ देर बाद अरे बाप रे आज तो बहुत देर हो गई आज तो वह खड़ूस मालिक हमको नहीं छोड़ेगा रीना ओ रीना जल्दी से हमारा खाना बांध दो भाई हां हां आ गई बस आ गई जरा भी सब्र नहीं है आप में यह लो आपका खाना अच्छा चलो मैं अभी तुम्हारे साथ चलती हूं मुझे आंगनवाड़ी छोड़ते हुए चलना साइकिल पर अच्छा ठीक है

(00:58) चलो फिर रीना और सागर दो दोनों साइकिल पर बैठकर अपने काम पर चले जाते हैं सागर एक ढाबे पर खाना बनाने का काम करता था जबकि रीना आंगनवाड़ी में साफ सफाई का काम करती थी जहां उसे मुश्किल से 000 महीना मिलते थे इस तरह मिलजुलकर दोनों अपनी जिंदगी की रेलगाड़ी खींच रहे थे उधर कैलाश पर्वत पर बैठे-बैठे भगवान शिव का अचानक सर दुखने लगा जिससे वह अपना सर पकड़ कर बैठ गए क्या हुआ महादेव आपने सर क्यों पकड़ रखा है पता नहीं पार्वती सर दर्द हो रहा है और शरीर भी गर्म है बुखार जैसा लग रहा है लाइए मैं आपका सर दबा देती हूं फिर मां पार्वती

(01:38) अपने हाथों से शिवजी का सर दबाने लगी जिससे उन्हें काफी आराम मिला सचमुच पार्वती तुम्हारे हाथों में तो जादू है जादू अब काफी आराम लग रहा है इधर कुछ देर बाद सागर ढाबे पर पहुंच जाता है क्यों सागर कहां रह गया था आज तो पूरे पाच मिनट लेट है अगर रोज ऐसा ही चलता रहा ना तो मैं तेरी तनख्वा में से काटना शुरू कर दूंगा समझा नहीं नहीं मालिक माफ कर दीजिए आगे से ऐसा नहीं होगा सागर अंदर चला जाता है और झट से खाना बनाने की तैयारी करने लगता है सागर बहुत ही अच्छा खाना बना लेता था दिन से ही उसके यहां लोगों की भीड़ लगनी शुरू हो जाती थी अरे सागर भाई एक प्लेट कड़ी

(02:16) जावल लगाना और मेरे लिए मखनी दाल और नान दरअसल ये सागर के हाथों का कमाल ही था जो लोगों की इतनी लंबी लाइन लग जाती थी जो स्वाद लोगों को बड़े से बड़े होटल में भी नहीं मिलता था लेकिन इनके बावजूद सेठ को गरीब सागर की बिल्कुल भी कदर नहीं थी ए सागर क्या हुआ आज इतना वक्त क्यों लग रहा है तुझे बाहर लोगों के खड़े होने तक की जगह नहीं है जी मालिक बस हो गया दरअसल वो यह सिल्ली टूटी हुई है जिस वजह से सारी आंच बाहर आ रही है हां तो तू ना मुझे बेवकूफ ना बना यह जो तू सुबह 5 मिनट देर से आया ना ये उसी का नतीजा है जो अब तुझे वक्त लग रहा है दिल्ली में कोई दिक्कत

(02:53) नहीं है यह कहकर सेठ बाहर चला गया सेठ हमेशा से सागर से ऐसे ही बात करता था काफी देर देर हो गई जब सागर ऑर्डर लेकर बाहर नहीं आया तो गुस्से में एक बार फिर सेठ अंदर रसोई की तरफ गया लेकिन वहां का नजारा देख तो उसके होश ही उड़ गए सागर जमीन पर बेहोश पड़ा था और वह सिल्ली टूटकर उसके ऊपर गिरी हुई थी सेठ अपने आदमियों के साथ उसे अस्पताल लेकर पहुंचा जहां डॉक्टर ने उसके ऑपरेशन का खर्चा ₹ लाख बताया 5 लाख का नाम सुनकर सेठ उसे वहीं छोड़कर लौट आया रीना को जैसे ही ये पता चला वो दौड़ी-दौड़ी अस्पताल पहुंची जिसके बाद वो बहुत रोई उसके पास कोई चारा नहीं था कोई

(03:33) उसकी मदद नहीं कर रहा था वो थक हार करर शिवजी के मंदिर पहुंची हे शिव शंकर मैंने और मेरे पति ने हमेशा आपकी पूजा की है आपने हमें जैसे रखा हम उसी हाल में खुश रहे पर आज मेरे पति के ऊपर ऐसा भारी संकट आ गया है जिसे आप ही दूर कर सकते हो मेरे पति की जान बचा लो भगवान मैं आपसे विनती करती हूं मेरे सुहाग की रक्षा करो प्रभु भगवान शिव से प्रार्थना करके वापस अस्पताल लौट आई रिसेप्शन पर उसे बार-बार पैसा जमा करने के लिए कहा जा रहा था ताकि मोहन को ऑपरेशन जल्दी से जल्दी हो सके तभी एक से सेनी हॉस्पिटल में आते हैं डॉक्टर साहब कहां है मेरे पति की तबीयत बहुत खराब है

(04:15) बोल रहे हैं ठंड लग रही है और बुखार भी चढ़ रहा है आप इन्हें वहां लिटा दीजिए मैं डॉक्टर को बुलाती हूं ठीक है अब जल्दी से डॉक्टर को बुला लाओ सब कुछ ठीक है आपको तो कोई कोई प्रॉब्लम नहीं है लगता है आपको कोई चिंता या कोई परेशानी है जिस कारण आपको तबीयत खराब महसूस हुई वरना आपकी तो सारी रिपोर्ट नॉर्मल है कितनी बार कहा है चिंता कम किया करो पर क्या करें चिंता करना तो इनकी आदत है आपको क्या ही बताऊं यह तो पूरे संसार की चिंता अपने ऊपर लिए रहते हैं अच्छा पर चिंता के साथ-साथ अपनी सेहत का भी ख्याल रखना चाहिए सेठ जी मैं आपको कुछ ताकत की

(04:53) दवाइयां लिख कर दे रहा हूं इन्हें समय पर ले लेना आपको कमजोरी नहीं महसूस होगी अच्छा धन्यवाद डॉक्टर साहब डॉक्टर साहब वो जो पेशेंट एडमिट हुआ था उसकी पत्नी पैसों का इंतजाम नहीं कर पा रही है पैसों का इंतजाम तो उन्हें करना ही होगा बहुत बड़ा ऑपरेशन है जिसमें बहुत खर्चा आएगा यह बात उनको समझनी होगी वैसे भी पहले ही बहुत लेट हो चुका है हम उनके पति के ऑपरेशन में लेट नहीं कर सकते तभी रीना रोते हुए आ जाती है डॉक्टर साहब कोई भी मेरी मदद नहीं कर रहा मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा मैं कहां से पैसे लाऊं मेरे पति को बचा लीजिए डॉक्टर साहब हे शिवशंकर

(05:33) मेरी मदद करो मेरे पति को बचा लो लगता है यह बहन शिवजी की बहुत बड़ी भक्त है अब इसने शिवजी को याद किया है तो मुझे इसकी मदद करनी ही होगी मैंने कहा था ना पूरी सृष्टि की चिंता इन्ही रहती है भाग्यवान मेरे बैग में जो रुपए रखे हैं वह इस बहन को दे दो इसके काम आ जाएंगे इसे पैसों की बहुत जरूरत है और मेरी तबीयत तो अब ठीक है मैं तो पैसे रखकर इसलिए लाया था कि कहीं मेरे इलाज में जरूरत ना हो पर डॉक्टर साहब तो कह रहे हैं कि मैं बिल्कुल ठीक हूं तो ये पैसे इस बहन के पति के इलाज में काम आ जाएंगे कितने पैसे देने हैं मुझे बता दो 5

(06:11) लाख रप देने हैं 5 लाख रप ही तो हम रखकर लाए थे ना भाग्यवान हां हम इतने ही रख कर लाए थे मैं इन्ह सारे रुपए ही दे देती हूं ये लो बहन जैसे ही सेठ सेठानी रीना के हाथ में पैसे देते हैं वो फूट फूट कर रोने लगती है और सेठ सेठानी को धन्यवाद देती है आपका बहुत-बहुत शुक्रिया आप आज इस संकट की घड़ी में मेरे लिए मेरे शिव पार्वती बनकर आए हो मैं आपका यह एहसान जीवन भर नहीं चुका सकती मैं आपको यह पैसे कैसे लौटा हंगी अरे नहीं नहीं बहन अब यह पैसे तुम्हारे हैं जब तुम्हारे पति ठीक हो जाए तो बस इस पते पर मिठाई खिलाने आ जाना हमें उसी में बहुत खुशी होगी चलो सेठानी चलते

(06:54) हैं सेठ सेठानी को अपने घर का पता देकर चले जाते हैं सागर का शुरू होता है ऑपरेशन सफल रहता है कुछ दिनों बाद की तबीयत ठीक हो जाती है और वह घर आ जाता है उस समय तुम्हारे ऑपरेशन की घबराहट में मैंने वह पता लिखा हुआ पर्चा इसी बटवे में रख लिया था इसी में सेठ जी के घर का पता लिखा है उनके घर का पता फिर हम दोनों उनसे मिलने चलते हैं सचमुच उन्होंने हमारी कितनी मदद की कोई इतनी मदद नहीं करता अरे इसमें तो शिव मंदिर लिखा है जहां मैं रोज पूजा के लिए जाती हूं इसमें तो और कुछ लिखा ही नहीं है ऐसा कैसे हो सकता है जी शिव मंदिर वहां तो हमारे भोलेनाथ और माता

(07:38) पार्वती का वास है इसका मतलब भगवान शिव और मां पार्वती हमारी मदद को आए थे सेठ सेठानी के रूप में वह हमारी मदद के लिए उस दिन मरीज बनकर हॉस्पिटल में आए मैं सब समझ गया यह सब भगवान शिव की ही लीला है हां उस दिन जब वह हॉस्पिटल अपने इलाज के लिए आए थे तब वो यही कह रहे थे कि उन्हें पूरी सृष्ट की चिंता है यह सच है उन्हें पूरी सृष्टि की चिंता है जी उन्होंने उस दिन मेरी प्रार्थना सुन ली सुनो जी हम बच्चों के साथ शिव मंदिर चलते हैं मिठाई खरीद लेंगे भगवान शिव ने बोला था कि जब तुम ठीक हो जाओ तो मैं उनके पास मिठाई लेकर जाऊं आंखें आंसुओं से भर आती हैं वह भगवान शिव

(08:18) के मंदिर जाते हैं और मीठे का भोग लगाते हैं और अपने जीवन में आई खुशियों के लिए भगवान शिव और माता पार्वती को धन्यवाद कहते हैं 


एक समय की बात है एक बार भगवान शंकर और माता पार्वती सृष्टि की यात्रा के लिए निकले उन्होंने एक साधारण मनुष्य का रूप धारण कर लिया पार्वती आप मुझे वचन दीजिए कि आप किसी भी मनुष्य की दुख तकलीफ को देखकर विचलित नहीं होंगी ठीक है स्वामी मैं आपको वचन देती हूं भगवान शंकर और माता पार्वती चलते चलते एक घर के बाहर रुके उन्होंने देखा एक सास अपनी बहू को ताने दे रही थी जिसका मा का ससुराल से बहुत कम हैसियत वाला था फिर भी माता-पिता ने दान

(09:04) दहेज बहुत दिया लेकिन धनी ससुराल में तो यह सब ऊंट के मुंह में जीरे के समान था पता नहीं कैसे कंगाल से रिश्ता जोड़ लिया हमने हमारी तो मती ही मारी गई थी ना दहेज लाई और ना ही कोई तीज त्यौहार पर तेरे मां बापू कभी कुछ भिजवा हैं मां जी मां जी की तबीयत ठीक नहीं रहती उनके इलाज में भैया के बहुत पैसे लग गए मां जी बापू आज लेने आ रहे हैं मैं मां को मिलाऊं बिल्कुल सोचना भी मत मैं तुझे किसी तीज त्यौहार तो क्या वैसे भी मायके नहीं जाने दूंगी जाकर अपना काम कर और मायके जाने के बारे में भूल जा प्रभु क्या हम इस दुखियारी बहू की मदद

(09:41) नहीं कर सकते देवी पार्वती मैंने आपको पहले ही कहा था कि आप धरती वासियों के दुखों को देखकर बिल्कुल भी विचलित नहीं होंगी पर आप अपना वचन भूल रही हैं संसार के नियम के अनुसार व्यक्ति को जब पृथ्वी पर भेजा जाता है तो उसे अपने दुखों से स्वयं ही लड़ना पड़ है हमारा आशीर्वाद उन्हें दुखों से लड़ने की ताकत प्रदान करता है बीमार मां की इच्छा पूरी करने के लिए बहू का मजबूर पिता लेने आता है समधन जी बस एक दिन के लिए रानी बिटिया को भेज दीजिए उसकी मां बहुत बीमार है रानी को बहुत याद कर रही है हां हां ठीक है ले जाओ एक दिन के लिए पर कल दोपहर मोहन को लेने

(10:19) भेजूंगी मां जी मैं समय से आ जाऊंगी आप इनको भेज देना सास ने एहसान जताते हुए बहू को मायके भेज दिया रानी ने जाकर देखा कि उसकी मां की तबीयत बहुत खराब खराब है और घर के हालात भी बहुत बिगड़ चुके हैं मालिनी रानी काफी समय बाद रहने आई है तुम कुछ उसकी पसंद का ही बना लो सुनो जी आप तो जानते ही हो घर में कुछ भी खाने को नहीं था तो मैंने बाजरे की रोटी और चटनी बनाकर रख दी थी रानी के भाई भाभी अभी बात कर ही रहे थे कि तभी वह अंदर आ जाती है उसने उनकी बातें सुन ली थी भैया आपको क्या लगता है क्या अब मैं इस घर की कुछ भी नहीं लगती मैं आज भी इस घर की बेटी हूं यह मेरा अपना

(10:55) घर है भाभी के हाथ की चटनी और बाजरे की रोटी मुझे बहुत पसंद है कब से नहीं खाई भाभी मेरे तो भूख से पेट में चूहे कूद रहे हैं जल्दी से बाजरे की रोटी और चटनी दे दो हमारी रानी कितनी सयानी हो गई है अपने माइके के हालात समझती है मां तुम जल्दी से ठीक हो जाओ तुम बीमार होती हो ना तो घर भी सुना सा लगता है अब तुझे देख लिया है ना अब मैं बिल्कुल ठीक हो जाऊंगी तू आराम से खाना खा रानी ठीक से एक दिन भी अपने माइकी में नहीं रुकी उसी शाम मोहन उसे लेने आ गया बेटा तुम तो कल आने वाले थे ना आज शाम मतलब वैसी कोई बात नहीं है तुम्हारा अपना

(11:38) ही घर है जब जी चाहे आ सकते हो बाबू जी वो मां की थोड़ी तबीयत ठीक नहीं लग रही थी तो उन्होंने बोला कि घर का काम भी है इसलिए मैं रानी को आज ही घर लेकर जाऊं आखिर अचानक मांजी की तबीयत कैसे खराब हो गई कि उन्होंने मुझे इतनी जल्दी बुला लिया वो तो जाकर ही पता चलेगा रानी अपने घर वालों से विदा लेकर वापस ससुराल पहुंची रानी ने देखा उसकी सास तो आराम से पलंग पर बैठी पूरी पकवान खा रही है रानी को समझ आ जाता है कि उसकी सास ने उसे जानबूझकर झूठ बोलकर वापस बुला लिया है पर वह अब कुछ नहीं कर सकती थी मोहन कमरे में जाकर सो गया रानी भी कमरे में जा ही रही थी तभी उसकी सास ने

(12:16) उसे रोकते हुए पूछा तेरी मां कैसी है खातिरदारी तो बहुत की होगी क्या-क्या बनाया था मां जी भाभी ने मेरे आने की खुशी में बहुत सारी चीजें बनाई थी इतने सारे पूड़ी पकवान जलेबी रबड़ी कचौड़ी और ना जाने क्या-क्या भाभी ने बनाकर मेरे आगे रख दिया पेट फटने लगा खा खा करर लेकिन मन नहीं भरा कितना साफ झूठ बोल रही है इसके भिखारी मां-बाप इसे क्या खिलाएंगे अभी थोड़ी देर में पेट का ढक्कन खोलकर देखूंगी तो इसका झूठ सामने आ जाएगा तभी मैंने इसे कल की जगह आज बुला लिया कुछ देर बाद रानी कमरे में जाकर सो गई सास से रहा नहीं गया वह चुपके से रानी के कमरे में गई और उसके

(12:57) पेट का ढक्कन खोलकर देखा कितना झूठ बोल रही थी कि माल पुए खाकर आई है इसके पेट में तो बाजरे की रोटी और चटनी के अलावा कुछ है ही नहीं इसे सुबह बताऊंगी अगले दिन उठने पर सास रानी को ताना देते हुए बोली बहू तू तो बड़ी झूठी निकली कंगाल की तारीफ कर रही थी झूठ बोलते शर्म नहीं आती मैंने तेरे पेट का ढक्कन खोलकर देख लिया था उसमें सिर्फ बाजरे की रोटी और चटनी थी और तू कह रथी कि तेरी भाभी ने तेरे स्वागत में ढेरों पकवान बनाए अपने माइके वालों की कितनी तारीफ कर रही थी हम झूठ सामने आ गया रानी बेचारी दुख और शर्मिंदगी में कुछ बोल ना पाई वो भगवान शंकर और मां पार्वती से

(13:38) बिलक बिलक कर प्रार्थना करने लगी हे भोले भंडारी हे पार्वती मां ये पेट का ढक्कन हमेशा के लिए बंद कर दो ताकि मुझ जैसी किसी और गरीब का अपमान ना हो ये ढक्कन खुला रहेगा तो बार-बार मुझ जैसों का अपमान होगा अब तो हम अपनी भक्त की सहायता कर सकते हैं क्योंकि उसने हमसे सच्चे हृदय से प्रार्थना की है हे प्रभु आज के बाद किसी का इस तरह से अपमान ना हो आप पेट का ढक्कन सदा के लिए बंद कर दीजिए हमने तो सब देखा महसूस किया है जो रानी के साथ हुआ वह किसी और के साथ ना हो देवी पार्वती के कहने पर शंकर जी ने पेट का ढक्कन हमेशा के लिए बंद

(14:14) कर दिया कहते हैं तब से धरती के प्राणियों के पेट का ढक्कन सदा के लिए बंद हो गया


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