शिव जी ने बेची पतंग | Shiv Ji Ne Bechi Patang | Hindi Kahani | Bhakti Kahani | Bhakti Stories -

शिव जी ने बेची पतंग | Shiv Ji Ne Bechi Patang | Hindi Kahani | Bhakti Kahani | Bhakti Stories - 




महेश एक गरीब मजदूर था पिछले कुछ दिनों से वह घर पर ही बैठा था क्योंकि खाने को कम था और मेहनत ज्यादा इसलिए कमजोरी की वजह से अब उसकी टांगे कांपती रहती थी महेश की पत्नी कमला भगवान शिव की बहुत पूजा करती थी उसे विश्वास था कि शिवजी एक ना एक दिन उसके दुख जरूर दूर करेंगे ओम नमः शिवाय ओम नमः शिवाय ओम नमः शिवाय सुनो तुम कहीं जा रहे हो क्या हां अब खाली बैठने से क्या फायदा कुछ ना कुछ काम तो करना ही पड़ेगा सुना है मकर संक्रांति पर बहुत लोग पतंग उड़ाते हैं सोच रहा हूं पतंग बेच लू कुछ तो कमाई हो जाएगी तुम्हें पता है तुम्हारे पैरों में

(01:06) कमजोरी है तुम ज्यादा चलोगे फिरो ग तो कहीं गिर ना जाओ वैसे भी अभी तुम्हारी दवाई चल रही है कुछ दिन आराम कर लेते कमला ज्यादा चलना फिरना ना पड़े इसी वजह से पतंग बेचने का काम सोच रहा हूं वह तो बैठने का काम है बैठकर पतंग बेचनी है मैंने किसी से उधार पर पतंग की बात की हुई है मैं होकर आता हूं हे शिवशंकर मेरे पति की हमेशा रक्षा करना आपका आशीर्वाद मेरे परिवार पर बना रहे मैं यही प्रार्थना करती हूं जय शिवशंकर कमला को महेश की चिंता थी क्योंकि उसकी तबीयत ठीक नहीं थी फिर भी महेश पतंग बेचने के लिए जाने लगा उसने उधार पर किसी से पतंगे ले ली और अगले दिन से वह पतंग

(01:48) बेचने के लिए बाजार में बैठ गया ठंड ज्यादा थी इसी वजह से महेश को ठंड भी बहुत लग रही थी पर उसकी मजबूरी थी कि उसे तबीयत खराब में भी काम करना था महेश पूरा दिन दिन ठंड में बाजार में पतंगे लेकर बैठा रहा पर पतंग खरीदने कोई भी नहीं आया सब लोग सामने बड़ी दुकान से पतंगे खरीद रहे थे तभी एक आदमी महेश के पास आया अरे भैया पांच पतंगे देना 1010 वाली देता हूं भैया जी अरे आप यहां से पतंग मत खरीदो वो सामने बड़ी दुकान से लेते हैं फिर पतंग खराब निकली तो बच्चे बोलेंगे कि हमने अच्छी दुकान से क्यों नहीं ली थी इससे मत लो पता नहीं कैसी पतंगे देगा अच्छा चलो फिर वहीं

(02:29) से खरीद लेते हैं भैया जी सुनिए तो मेरी पतंगे बहुत अच्छी है खरीद लेते नहीं भाई साहब अब बच्चे ना उड़ाए तो खरीदना बेकार है हम वही सामने से खरीद लेंगे महेश का मन खराब हो गया पूरा दिन उसकी एक भी पतंग नहीं बिकी एक दिन बाद मकर संक्रांति थी अगले दिन महेश अपनी पतंग और चरकी की गठरी सिर पर उठाए बेचने निकला वह मन ही मन चिंता में डूबा हुआ था अचानक उसका पैर लड़खड़ा जाता है तभी एक आदमी महेश को संभाल लेता है अरे मेरे होते हुए तुम्हारी गठरी कैसे गिर सकती थी मेरा मतलब है मैंने इसे संभाल जो लिया आओ कहां जाना है मैं तुम्हें छोड़ देता हूं महेश उस

(03:11) आदमी को देखता रहा जिसके चेहरे पर चमक और मुस्कान थी बस यही रख दो भैया वैसे क्या नाम है तुम्हारा मेरा नाम शिवा है अच्छा भगवान शिव के नाम से शिवा बहुत सुंदर नाम है महेश ने पतंग और चकिया खोलकर जमीन पर बिछा दी ताकि लोग खरीदने आ सके अरे वाह तुम्हारी पतंग तो बहुत सुंदर है देखना कुछ ही देर में बहुत सारे ग्राहक आएंगे और तुम्हारी सारी पतंगे बिक जाएंगी पता नहीं भैया पिछले तीन चार दिन से तो कोई भी ग्राहक नहीं आया ऐसे ही खाली हाथ घर लौट जाता हूं कल मकर संक्रांति है बस आज पतंग बिक जाती तो मेरी कमाई हो जाती चिंता मत करो सब भगवान शिव पर छोड़ दो वो तुम्हारी

(03:58) पतंगे बिकवा देंगे वास्तव में वह भगवान शिव ही थे जो महेश की मदद के लिए आए थे भगवान शिव ने पतंग के ऊपर हाथ फेरा तो पतंग में से रोशनी चमकने लगी और पतंगे लाइट वाली पतंग हो गई लोगों ने जब देखा कि पतंग से लाइट निकल रही है तो सब लोग पतंग को खरीदने के लिए आने लगे अरे भैया तुम्हारी पतंग तो बहुत सुंदर है ऐसी लाइट वाली पतंगे तो हमने आज तक नहीं देखी बच्चे बहुत खुश हो जाएंगे जरा 10 पतंगे बाद दो अ भैया पहले मेरी 20 पतंगे बाद दो भैया कहीं ऐसा ना हो ये लाइट वाली पतंगे खत्म हो जाए हां हां अभी देता हूं भैया महेश पतंग बेचता तो पतंगे और बढ़ जाती महेश समझ ही

(04:39) नहीं पा रहा था कि यह सब क्या हो रहा है वो जितनी पतंगे बेचता है उतनी और पतंग का ढेर लग जाता है उस दिन महेश की खूब कमाई हुई पर महेश से अब रहा नहीं गया और वह उनके चरणों में गिर गया मुझे अपना परिचय दो प्रभु आप कौन हो सुबह से आप पतंग बेचने में मेरी मदद कर रहे हो आपके चमत्कार देखकर मैं दंग रह गया हूं मुझे तो आप भगवान शिव दिखाई दे रहे मुझे दर्शन दो प्रभु भगवान शिव अपने रूप में आ जाते हैं तुमने सही पहचाना महेश जब भी मेरा कोई भक्त मुसीबत में होता है तो मैं उसकी सहायता के लिए जरूर आता हूं कमला ने और तुमने मुझे सच्चे हृदय से याद किया

(05:17) था इसीलिए मैं तुम्हारी मदद के लिए आ गया चिंता मत करो अब तुम्हें कभी कोई परेशानी नहीं होगी तुम्हारी गरीबी के दिन अब दूर हो गए खूब मेहनत से कार्य करो सदैव ईमानदारी से मेहनत करके रोटी कमाना मैं तुम्हारे साथ हमेशा रहूंगा मेरा आशीर्वाद हमेशा तुम्हारे साथ रहेगा आपकी आपकी जय हो प्रभु जय हो प्रभु शिवशंकर आपकी जय हो भगवान शिव अंतरध्यान हो गए और महेश खुशी-खुशी घर लौटा उस दिन महेश ने महसूस किया कि उसकी तबीयत में सुधार हो गया था उसके पैरों ने कांपना बंद कर दिया भगवान शिव के आशीर्वाद से उसमें एक नई ऊर्जा का संचार हुआ था घर पहुंचकर और महेश ने सारी

(06:00) बात अपनी पत्नी को बताई कमला भी बहुत खुश थी वह भी भगवान को धन्यवाद कहती है अगले दिन महेश अपने परिवार के साथ मकर संक्रांति का त्यौहार मनाता है महेश देखता है कि आसमान में जो पतंगे उड़ रही थी उनमें से बहुत सी पतंगों में रोशनी थी महेश समझ गया कि भगवान शिव की चमत्कारी पतंगे हैं वह और कमला भगवान शिव को धन्यवाद कहते हैं 



एक गांव में शिवम नाम का एक दूध वाला रहता था उसके पास दो भैंसे थी वह हर सुबह उनका दूध निकालता और पूरे गांव में घूमकर बेचा करता था शिवम का रोजाना का एक नियम था दूध बेचने के बाद उसके पास जो भी दूध बचता था उसे शिवम रास्ते में शिवजी के

(06:47) मंदिर में शिवलिंग पर चढ़ा देता था उसका दोस्त मंगल रोजाना उसे ऐसा करते देखता था एक दिन शिवम तू इतनी मेहनत से पूरे गांव में दूध बेचता है और जो दूध बच जाता है उसे त शि मंदिर में चढ़ा देता है बाकी लोग तो शिवलिंग पर थोड़े से दूध में पानी मिलाकर चढ़ाते हैं तू भी ऐसा किया कर और बाकी बचे दूध को इकट्ठा करके उसकी दही और घी बनाकर बाजार में बेच दिया कर इससे तेरी दुगनी कमाई होगी मंगल मैं भोलेनाथ को अपना पिता मानता हूं इसलिए उनकी भक्ति और सेवा करता हूं भोलेनाथ की कृपा से मेरी इतनी कमाई हो जाती है जिससे मैं खुश रहता हूं शिवम मंगल की बात पर ध्यान नहीं देता व

(07:22) नियम से ही रोजाना दूध चढ़ाने का कार्य करता रहता था एक दिन मंदिर के पंडित जी ने शिवम से कहा शिवम हर दिन महादेव का दूध से अभिषेक करता है तेरी क्या मनोकामना है जिसके लिए तू यह सब कर रहा है पंडित जी मुझे भोलेनाथ से कुछ नहीं चाहिए मैंने कई बार कुछ लोगों को दूध में पानी मिलाकर चढ़ाते देखा तो मुझे लगा भोलेनाथ पानी मिला दूध पीकर कमजोर ना हो जाए इसलिए मैं उनको दूध चढ़ा देता हूं अच्छा अच्छा फिर ठीक है एक दिन गांव में तेज बारिश हो रही थी बारिश के कारण शिवम दूध बेचने नहीं जा सका उसका आज सारा दूध बच गया था उसने सोचा आज इतना दूध बच गया है मैं इसे शिवलिंग पर

(08:01) चढ़ा आता हूं शिवम यह दूध तो बहुत सारा है यह तो बहकर खराब हो जाएगा तो फिर मैं इस दूध का क्या करूं पंडित जी मैं ये दूध घर वापस भी नहीं ले जा सकता और ऐसे तो यह दूध खराब हो जाएगा तुम एक काम क्यों नहीं करते तुम्हें सारे दूध की खीर बनाकर भोलेनाथ को भोग लगाकर गांव में खीर का प्रसाद बाट दो इससे तुम्हें पुण्य मिलेगा पंडित जी यह तो आपने बहुत अच्छा विचार बताया है मैं अभी जाकर बाजार से खीर का सामान लेकर आता हूं शिवम को पंडित जी की बात अच्छी लगी और वह बाजार से खीर बनाने का सामान ले आया शिवम ने खीर बनाकर भगवान शंकर को भोग लगाया और

(08:36) सारे गांव में खीर का प्रसाद बांटा इधर कैलाश पर्वत पर भगवान भोलेनाथ के मुख पर खीर लगी देख मां पार्वती उनसे बोली यह तो जरूर भगवान कृष्ण की भेजी हुई कोई चमत्कारी गाय दिखाई पड़ती है जैसे उनका कोई आशीर्वाद हो देवी पार्वती ये मेरा प्रिय भक्त शिवम है इसकी निश्छल भक्ति ने मेरा मन जीत लिया है यह मुझे अपना पिता मानकर मुझे प्रतिदिन दूध और खीर का भोग लगाता है ये मेरी चिंता करता है और मुझे बिना पानी मिला दूध चढ़ाता है मेरे भोले भाले भक्त की भावना देखो यह समझता है कहीं मैं पानी मिला दूध पीने से कमजोर ना हो जाऊं इसलिए यह दूध से अभिषेक करता है

(09:15) प्रभु फिर तो अपने इस भक्त पर कृपा करने के लिए हमें इसकी परीक्षा लेनी चाहिए तो देर किस बात की देवी पार्वती हम अभी पृथ्वी पर चलते हैं और अपने भक्त शिवम की परीक्षा लेते हैं भगवान शिव और देवी पार्वती ने सेठ से का भेष बना लिया और शिवम के घर पहुंच गए नमस्ते जी कहिए आपको मेरे से क्या काम है हमने तुम्हारे बारे में बहुत सुना है तुम बहुत ताजा और शुद्ध दूध बेचते हो इसलिए हम तुमसे दूध खरीदना चाहते हैं तुम रोजाना अपना सारा दूध हमें बेच दिया करो हम हर दिन तुम्हारा सारा दूध खरीदेंगे और तुम्हें दूध बेचने के लिए पूरे गांव में भागना भी नहीं पड़ेगा हमारे

(09:52) लोग यहीं से दूध ले जाएंगे और पैसे तुम्हें दे देंगे मैं आपको सारा दूध नहीं दे सकता मेरी भैसे जितना दूध देंगी उसमें से थोड़ा दूध मैं भोलेनाथ के अभिषेक और खीर के प्रसाद के लिए रखूंगा पर हमें तो रोजाना बहुत दूध चाहिए तुम सारा दूध दे दो भले ही दाम चार गुना ले लो तुम्हारी अच्छी कमाई हो जाएगी नहीं सेठ जी मैं आपको सारा दूध नहीं दे सकता आपको दूध लेना है तो मैं शिव मंदिर के हिस्से का दूध अलग करके ही आपको दे सकता हूं नहीं तो कोई बात नहीं चलो भाग्यवान हम कहीं और से दूध पता कर लेंगे यह तो कोई बहुत बड़ा शिव भक्त जान पड़ता है सेठ और सेठानी वहां से चले गए

(10:27) कुछ दूर जाकर उन्होंने एक गरीब ब्राह्मण का भेष बना लिया देवी पार्वती अब हमें अपने भक्त की परीक्षा किसी और तरह लेनी होगी भगवान शंकर और मां पार्वती मंदिर की सीढ़ियों पर बैठ गए शिवम दूध बेचकर मंदिर जा रहा था उसने गरीब ब्राह्मण ब्राह्मणी को रोते देखा आप दोनों क्यों रो रहे हो मुझे अपनी परेशानी बताओ शायद मैं आप दोनों की सहायता कर सकूं बेटा हम दोनों कई दिनों से भूखे हैं हमारे पास खाने को कुछ नहीं है आप परेशान मत होइए मेरे पास कुछ दूध बचा हुआ है है और एक डिब्बे में ये खीर है आप यह दूध पी लो और ये खीर खा लो इससे आपका थोड़ा पेट भर

(11:05) जाएगा भगवान शंकर तुम्हारा भला करें बेटा आज तुमने हमें यह दूध और खीर खिलाकर तृप्त कर दिया यदि मैं आपको भूखा छोड़कर भगवान भोलेनाथ को ये दूध और खीर का भोग लगाता तो वो भी इसे ग्रहण नहीं करते क्योंकि जिस तरह से मैं उन्हे अपना पिता मानता हूं तो वो भी तो आपके पिता है तो मैं उनकी संतान को भोखा कैसे रख सकता था इसलिए मैंने ये दूध और खीर आपको दिया पर बेटा ये प्रसाद और दूध तो तुम भगवान भोलेनाथ के लिए लाए थे तुमने हमें दे दिया तुमने हमारे लिए अपना नियम क्यों तोड़ दिया शिवम की भोली भाली और पवित्र बातों को सुनकर भगवान शंकर

(11:40) और देवी पार्वती अपने असली रूप में आ जाते हैं उन्हें देखकर शिवम उनके चरणों में गिर जाता है शिवम मैं तुम्हारी सच्ची भक्ति से बहुत प्रसन्न हूं मांगो क्या मांगते हो प्रभु मुझे आपकी भक्ति के सिवा और कुछ नहीं चाहिए मुझे आपकी भक्ति करके जो खुशी मिलती है उससे बढ़कर मे लिए कुछ भी नहीं शिवम तुम मेरे सच्चे भक्त हो आज के बाद तुम्हारे जीवन में कोई दुख नहीं रहेगा मेरा आशीर्वाद सदैव तुम्हारे साथ रहेगा शिवम को अपना आशीर्वाद देकर भगवान शंकर और मां पार्वती अंतरध्यान हो जाते हैं उस दिन के बाद शिवम का जीवन सभी प्रकार के सुखों से भर जाता

(12:21) [संगीत] है


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