Durga Saptashati Paath Adhyay6दुर्गा सप्तशती छठाअध्यायDurga SaptashatiPath Adhyay6 #durgasaptashati

 

Durga Saptashati Paath Adhyay 6 : दुर्गा सप्तशती छठा अध्याय

Durga Saptashati Paath Adhyay 6 : दुर्गा सप्तशती छठा अध्याय


माता रानी की कृपा हम सब भक्तों पर बनी रहे, इसी की हम कामना करते है| नवरात्री के नौ दिनों में विधि विधान से माँ दुर्गा की उपासना एवं प्रार्थना की जाती है| माँ  दुर्गा की पूजा उपासना में भक्त दुर्गा सप्तशती का पाठ बहुत श्रद्धा के साथ करते है| दुर्गा सप्तशती के 13  अध्याय है जिन में माँ आंबे जी की महिमा का वर्णन विस्तार से बताया गया है माना जाता है की दुर्गा सप्तशती पाठ से उत्तम फल की प्राप्ति होती है| अगर आप संस्कृत में पाठ नहीं कर सकते तो आप सरल हिंदी में इस पाठ को पढ़ सकते है

दुर्गा सप्तशती का पाठ करने के लिए, सबसे पहले नवार्ण मंत्र, कवच, कीलक और अर्गला स्तोत्र का पाठ करना चाहिएइसके बाद दुर्गा सप्तशती का पाठ शुरू करना चाहिए

दुर्गा सप्तशती का पाठ करने से पहले, श्रीदुर्गा सप्तशती की पुस्तक को साफ़ जगह पर लाल कपड़ा बिछाकर रखना चाहिए. इसके बाद, कुमकुम, चावल, और फूल से पूजा करनी चाहिए. इसके बाद, अपने माथे पर रोली लगाकर पूर्वाभिमुख होकर तत्व शुद्धि के लिए चार बार आचमन करना चाहिए

मान्यता है कि अगर नौ दिनों तक दुर्गा सप्तशती का नियमपूर्वक पाठ किया जाए, तो भगवती अति प्रसन्न होती हैं और भक्तों की मनोकामनाएं पूर्ण करती हैं.

दुर्गा सप्तशती का पहला अध्याय, माँ आनंदेश्वरी के बारे में हैइसमें बताया गया है कि कैसे एक व्यक्ति अकेला और दुखी होकर जंगल में आता हैवह अपने परिवार के बारे में कुछ नहीं जानता और यह भी नहीं जानता कि उसके बच्चे सदाचारी हैं या दुराचारी

मान्यता है कि दुर्गा सप्तशती का पहला अध्याय पढ़ने से मानसिक और शारीरिक सुख मिलता है. वहीं, दूसरा अध्याय कोर्ट-कचहरी से जुड़े मामलों में विजय दिलाता है. तीसरे अध्याय से शत्रु बाधा दूर होती है. तो आईये श्री दुर्गा सप्तशती पाठ का अध्याय 6 सुनते है

 

Durga Saptashati Paath Adhyay  6 : दुर्गा सप्तशती छठा अध्याय

                                                   Durga Saptashati Paath Adhyay6

Durga Saptashati Paath Adhyay

6 : दुर्गा सप्तशती छठा अध्याय

 

Durga Saptashati Paath

 

(धूम्रलोचन  वध )

 

 

Durga Saptashati Paath महर्षि मेधा बोले- देवी की बात सुनकर दूत क्रोध में भरा हुआ वहाँ से असुरेन्द्र के पास पहुंचा और सारा वृतांत उसे कह सुनाया दूत की बात सुन असुरेन्द्र के क्रोध का पारावार रहा और उसने अपने सेनापति धूम्रलोचन से कहा- धूम्रलोचन  ! तुम अपनी सेना सहित शीघ्र वहाँ जाओ और उस दुष्टा के केशों को पकड़कर उसे घसीटते हुए यहाँ ले आओ।

यदि उसकी रक्षा के लिए कोई दूसरा खड़ा हो, चाहे वह देवता, यक्ष अथवा गंधर्व ही क्यों हो, उसको तुम अवश्य मार डालना।

महर्षि मेधा ने कहा शुम्भ के इस प्रकार आज्ञा देने पर धूम्रलोचन साठ हजार राक्षसों की सेना को साथ लेकर वहाँ पहुंचा और देवी को देख ललकार कर कहने लगा- ‘अरी तू अभी शुम्भ और निशुम्भ के पास चल ! यदि तू प्रसन्नता पूर्वक मेरे साथ चलेगी तो मैं तेरे केशों को पकड़कर घसीटता हुआ तुझे ले चलूँगा।

 

Durga Saptashati देवी बोली- ‘असुरेन्द्र का भेजा हुआ तेरे जैसा बलवान यदि बलपूर्वक मुझे ले जावेगा तो ऐसी दशा में मैं तुम्हारा कर ही क्या सकती हूँ ? महर्षि मेघा ने कहा ऐसा कहने पर धूम्रलोचन उसकी ओर लपका, किन्तु देवी ने उसे अपनी हुंकार से ही भस्म कर डाला,

Durga Saptashati Paath Adhyay  6 : दुर्गा सप्तशती छठा अध्याय

यह
देख कर असुर सेना क्रोध होकर देवी की ओर बढ़ी, परन्तु अम्बिका ने उन पर तीखें बाणों, शक्तियाँ , तथा फरसों की वर्षा आरम्भ कर दी, इतने में देवी का वाहन भी अपनी ग्रीवा के बालों को झटकता हुआ और बड़ा भारी शब्द करता हुआ असुर सेना में कूद पड़ा, उसने कई असुर अपने पंजों से, कई अपने जबड़ो से और कई को धरती पर पटक कर अपनी दाढ़ी से घायल करके मार डाला,

उसने कई असुरों के अपने नखों से पेट फाड़ डाले और कई असुरों का तो केवल थप्पड़ मारकर सिर धड़ से अलग कर दिया, कई असुरों की भुजाएं और सिर तोड़ डाले और गर्दन के बालों को हिलाते हुए उसने कई असुरों को पकड़कर उनके पेट फाड़कर उनका रक्त पी डाला। Durga Saptashati Paath

 

इस प्रकार देवी के उस महा बलवान सिंह ने क्षणभर में असुर सेना को समाप्त कर दिया। शुम्भ ने जब यह सुना कि देवी ने धूम्रलोचन असुर को मार डाला है और उसके सिंह ने सारी सेना का संहार कर डाला है, तब उसको बड़ा क्रोध आया

उसके मारे क्रोध के होठ फड़कने लगे और उसने चण्ड और मुण्ड नामक महाअसुरों को आज्ञा दी- हे चण्डहे मुण्ड ! तुम अपने साथ एक बड़ी सेना लेकर वहाँ जाओ और उस देवी के बाल पकड़कर उसे बांधकर तुरन्त यहाँ ले आओ। यदि उसको यहाँ लाने में किसी प्रकार का संदेह हो तो अपनी सेना सहित उससे लड़ते हुए उसको मार डालो और जब वह दुष्टा और उसका सिंह दोनों मारे जावें, तब भी उसको बांधकर यहाँ ले आना।

  ॥इति दुर्गा सप्तशती Durga Saptashati Paath छठा अध्याय॥

         Durga-Saptashti-Chapter-6  छठा अध्याय समाप्तम 

Durga Saptashati Paath Adhyay6 

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  1. दुर्गा सप्तशती  पहला अध्याय
  2. दुर्गा सप्तशती दूसरा अध्याय
  3.  दुर्गा सप्तशती तीसरा अध्याय
  4. दुर्गा सप्तशती चौथा अध्याय
  5.  दुर्गा सप्तशती पांचवां अध्याय 
  6. दुर्गा सप्तशती छठा अध्याय  
  7. दुर्गा सप्तशती सातवां अध्याय
  8.  दुर्गा सप्तशती आठवा अध्याय
  9. दुर्गा सप्तशती नवां अध्याय
  10. दुर्गा सप्तशती दसवां अध्याय
  11.   दुर्गा सप्तशती ग्यारहवां अध्याय 
  12. दुर्गा सप्तशती बारहवां अध्याय
  13. दुर्गा सप्तशती तेरहवां अध्याय  

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